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साईं

साईं-काट

ख़राब, बेकार

साईं-साईं

गोलीयों या तीर के चलने की आवाज़

साईं जिए

(दुआइया कलिमा) सुहाग सलामत रहे

साईं-साहिब

औरत पति को कहती है

साईंस

साईं के भण्डार में कमी नहीं

ईश्वर या अल्लाह के ख़ज़ाने में कोई कमी नहीं

साईं फिर माँगो

रुक : सावें बरकत है

साईं सांसा मेट दे और न मेटे कोय, वा को सांसा क्या रहा जा सर साईं होय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई सांसा अर्थात परेशानी एवं दुख को दूर नहीं कर सकता परंतु जिसे ईश्वर पुण्य की राह दिखा दे

साईं के खेल हैं

कुदरत के करिश्मे हैं

साईं से सच्चा और बंदे से सत भाव

इंसान को हर हाल में पाकबाज़ रहना चाहीए

साईं राज बुलंद राज

पति का युग अथवा समय ऊँचाई एवं ख़ुशहाली का युग होता है

साईंसी

साईं के पाले में भल-भल होना

किसी को लाभ पहुँचाना

साईं को साँच प्यारा, झूटे का मालिक न्यारा

ख़ुदा सचै आदमी को पसंद करता है झूओटे का मालिक कोई और है

साईं तेरे कारने जन तज दिया जहान, ठेठ किया बैकुंठ में उस ने जहाँ मकान

जिस ने ईश्वर के लिए सब कुछ छोड़ दिया उस की छूट हो गई और स्वर्ग उस का ठिकाना है

साईं इस संसार में भाँत भाँत के लोग, सब से मिल कर बैठिये नदी नाव संजोग

दुनिया में तरह तरह के लोग हैं मिल कर जीवन व्यतीत करना चाहिए

साईं अखियाँ फेरियाँ बैरी मुल्क जहान, टुक इक झाँकी महर दी लक्खाँ करें सलाम

ईश्वर नाराज़ हो तो सारा संसार नाराज़ हो जाता है और यदि मेहरबानी की एक नज़र कर ले तो लाखों सलाम करते हैं

साईं से सांची रहूँ बाज बाज रे ढोल, पंचन में मेरी पत रहे सखियाँ में रहे बोल

स्त्री को चाहिए कि पति की नज़रों में सच्ची रहे क्यूँकि इसी तरह लोगों में उस का सम्मान और सहेलियों में उस का महत्व होता है

साईं तेरी याद में जस तन कीता ख़ाक, सोना उस के रू-बरू है चूल्हे की ख़ाक

जो ईश्वर में लीन हो गया हो उस की नज़र में संसार का धन और दौलत धूल के समान है

साईं जिस के साथ हो उस को सांसा क्या, छिन में उस के कार सब दे भगवान बना

ईश्वर जिसका सहायक हो उसके काम पल में बन जाते हैं

साईं का रख आसरा और वाही का ले नाम, दो जग में भरपूर हों जो तेरे सगरे काम

ईश्वर पर भरोसा रख और उसी का नाम ले तो दोनों लोकों में तेरे काम पूरे होंगे

साईं नाता दम ही ताएँ

मर्द से या शौहर से सांस तक रिश्ता है

साईं के सो खेल

ईश्वर सर्वज्ञ है वह जो चाहे सो करे

साईं अपने चित्त की भूल न कहिये कोय, तब लग मन में राखिये जब लग कारज होय

अपने दिल का भेद भूल कर भी किसी को नहीं बताना चाहिये जब तक काम न हो जाए उसे दिल में रखना चाहिये

साईं साईं जीभ पर और किब्र कपट मन बीच, वह न डाले जाएँगे पकड़ नरक में खींच

जिन की जीभ पर ईश्वर का नाम है और उन के दिल में घमंड और धोका कपट और हसद है उन को अंत में नरक ही मिलेगा

साईं राज बुलंद राज, पूत राज दूत राज

स्त्री पति के समय में हुकूमत करती है और बेटे के समय में आश्रित एवं धनहीन हो जाती है

साईं का घर दूर है जैसे लम्बी खजूर, चढ़े तो चाखे प्रेम रस गिरे तो चकना-चूर

ईश्वर को पाना बहुत कठिन है यदि पा ले तो इससे बढ़ कर कुछ नहीं न पाए तो तबाह हो जाए

साईं तेरे आसरे आन पड़े जो लोग, उन के पूरे भाग हैं उन के पूरे जोग

जो ईश्वर पर विश्वास करता है ईश्वर उस का हर काम पूरा करता है

साईं जिस को राख ले मारन मारा कौन, भूत देव क्या आग हो क्या पानी क्या पौन

जिस को ईश्वर रखे उसे कौन चखे

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

साईं तेरा आसरा छोड़े जो अंजान, दर-दर बांडे मांगता कौड़ी मिले न दान

जो ईश्वर की आस छोड़ दे वो दर-दर मांगता फिरे तो भी उसे कुछ नहीं मिलता

साईं बरकत है

साइल को ख़ैरात ना देने के मौक़ा पर कहते हैं

साईं के दरबार में बड़े बड़े हैं ढेर, अपना दाना बीन ले जिस में हेर न फेर

अपनी क़िस्मत पर शुक्र करना चाहिए और जो मिले उस पर संतोष करना चाहिए

साईं तेरी नेह का जिस तन लागा तीर, वही पूरा साध है वही पीर फ़क़ीर

जिसे ईश्वर से प्रेम है वो पूरा फ़क़ीर है एवं वही दर्वेश है

साईं रूठे हम छूटे

ईश्वर नाराज़ तो जग नाराज़

साईं तेरे कारने छोड़ा बल्ख़ बुख़ार, नौ लख घोड़े पाल्की और नौ लखा सवार

ईश्वर के लिए सब कुछ त्याग दिया

भड़-साईं

भाड़, भट्टी

सदा नाम साईं का

रुक : सदा रहे नाम अल्लाह का

कुत्ते तेरा मुँह नहीं, तेरे साईं का मुँह है

मालिक के हेतु उसके बुरे दास को भी झेलना पड़ता है

रहे नाम साईं का

बाज़ू टूटे बाज़ को साईं तो'मा दे

अपने पाले हुए की पालने वाले ही को मुहब्बत होती है

चंगुल भर आटा साईं का, बेटा जीवे माई का

भिखारियों की टेर

तुरत फ़तेह हो उस के ताईं, जिस का हामी होवे साईं

जिस का ईश्वर सहायक हो उसे तुरंत कामयाबी मिलती है

याद रखो इस बात को जो है तुम में कुछ ज्ञान, साईं जा को हो गया वा का सगर जहान

अगर तुम को इलम है तो ये बात याद रखू कि ख़ुदा जिस की तरफ़ है सारा जहां उस की तरफ़ है

मूल न वा सूँ भाए करो जो नर करे ग़ुरूर, जो नर साईं से डरे वा से डरो ज़रूर

घमंडी व्यक्ति से बिलकुल न डरो परंतु जो ईश्वर से डरे उससे अवश्य डरो

तुझ पड़े जो हादिसा दिल में मत घबरा जब साईं की हो दया काम तुरत बन जा

अगर मुसीबत पड़े तो घबराना नहीं चाहिए ईश्वर की कृपा हो तो सब काम बन जाएंगे

आईं बाईं शाईं करना

इधर उधर की बातें करना

आँख फड़के बाईं बीर मिले या साईं आँख फड़के दहनी माँ मिले या बहनी

बाएँ आँख फड़के तो पति या पत्नि से भेंट होती है और दाएँ आँख फड़कने पर माँ या बहन से

तड़के उठ कर खाट से छोड़ छाड़ सब काम, माला कर हाथ में जप साईं का नाम

अली उल-सुबह उठ कर पहले इबादत या पूजा करनी चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बुज़ुर्ग के अर्थदेखिए

बुज़ुर्ग

buzurgبزرگ

स्रोत: फ़ारसी

वज़्न : 121

टैग्ज़: घृणात्मक

बुज़ुर्ग के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वृद्ध और पूज्य व्यक्ति; माननीय व्यक्ति
  • बाप-दादा
  • पुरखा; पूर्वज
  • वृद्ध, बड़े, बूढ़े, ऋषि, पीर
  • गुरुजन
  • संत; महात्मा।
  • श्रेष्ठ प्रतिष्ठित, मुअज्ज़ज़, वयोवृद्ध, बूढ़ा, पूर्वज, बापदादे, महात्मा, पुण्यात्मा, वली, खुदारसीदः, (व्यंग) धूर्त, उत्पाती, शरीर, बदमाश

विशेषण

  • जिसकी अवस्था अधिक हो

शे'र

English meaning of buzurg

Noun, Masculine

  • a holy man, revered, venerable, aged, senior, sacred (place), respected, great
  • ancestor or forefather
  • grandee, noble
  • holy man, saint

بزرگ کے اردو معانی

صفت

  • شریف، سنجیدہ، عالی ظرف (اکثر ترکیب میں)
  • (شخص غائب کے لئے تعظیماً یا تحقیراً) حضرت، صاحب، بزرگوار
  • جسامت میں بڑا (گاہے ترکیب میں مستعمل)
  • خدا رسیدہ، خدا شناس، عارف، ولی
  • موسیقی کے بارہ مقامات (جو آسمان کے بارہ برجوں کے لحاظ سے مقرر کیے گئے ہیں) میں سے ایک مقام
  • رشتے درجے مرتبے وغیرہ کے اعتبار سے بڑا، مربی، سرپرست
  • سن رسیدہ، بڑی عمر کا
  • اسلاف، پرکھے
  • اہم، عظیم الشان، عجیب و غریب (چیز یا شخص)
  • مقدس، قابل احترام (جگہ وغیرہ)

बुज़ुर्ग के पर्यायवाची शब्द

बुज़ुर्ग के विलोम शब्द

बुज़ुर्ग से संबंधित रोचक जानकारी

بزرگ بعض لوگ اس لفظ کا تلفظ اول مفتوح کے ساتھ کرتے ہیں۔اس کی کوئی سند نہیں۔ اول مضموم ہی درست ہے۔

ماخذ: لغات روز مرہ    
مصنف: شمس الرحمن فاروقی

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