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पछता

repent, regret

पछताना

कोई अनुचित कार्य करके बाद में उसके लिए दुखी होना, अफ़सोस या पश्चाताप करना، पचताना

पछतावा

वह संताप या दुःख जो कीसी की, की हुई बात पर पीछे से हो, अपने किए को बुरा समझने से होनेवाला रंज, अनुचित कार्य करने के बाद होने वाली आत्मग्लानि, पश्चात्ताप, अनुताप

पछताव

लज्जा, शर्मिंदगी, अफ़सोस

पछतावना

पछताना

पिछैता

नियत समय के बाद, पिछला, आख़िरी, अंतिम

पिछैती

फ़सल जो देर में बोई जाये या देर में तैय्यार हो

पिछौंता

पड़ोस (वाला), पीछे की तरफ़ का

पच-हत्ता

five hands high, very tall

पिछ-तालू

(لسانیات) وہ آوازیں جو زبان اور تالو کے نرم حصّے کے اتّصال سے نکلتی ہیں .

पूछते पूछते ख़ुदा का घर मिल जाता है

कोशिश और प्रयत्न से कठिन से कठिन काम बन जाता है

पूछते पूछते दिल्ली पहुँच जाते हैं

जुस्तजू से मक़सद हासिल होता है

उस की सीख न सीखियो जो गुरू से फिर जाय, विद्या सूं ख़ाली रहे फिर पाछे पछताय

उस व्यक्ति के पद्य-चिंहों पर नहीं चलना चाहिए जो अपने गुरू से ही फिर जाए क्यूँ कि वो कुछ नहीं सीख सकता और पछताता है, बुरे के पीछे नहीं चलना चाहिए

उस की सीख न सीखियो जो गुर से फिर जाय, बिद्या सूं ख़ाली रहे फिर पाछे पछताय

उस व्यक्ति के पद्य-चिंहों पर नहीं चलना चाहिए जो अपने गुरू से ही फिर जाए क्यूँ कि वो कुछ नहीं सीख सकता और पछताता है, बुरे के पीछे नहीं चलना चाहिए

दिन भले आवेंगे तो घर पूछ्ते चले आएँगे

जब क़िस्मत अच्छी होती है तो नेक काम ख़ुदबख़ुद बिन जाते हैं, क़िस्मत पर शह कर रहना

नीच ज़ात छछूँदरी, नाक धरे पछताए

कमीना छछूंदर की तरह है, पास जाओ तो बू आती है,कमीने से वास्ता पड़े तो इस के ऐब मालूम होते हैं

कोई पूछता नहीं

۔कोई पुरसां नहीं

कोई बात पूछ्ता नहीं

(अपमान के अवसर पर) कोई हाल नहीं पूछता, कोई परवाह नहीं करता, कोई ध्यान नहीं देता

कच्ची कली कचनाल की तोड़त मन पछ्ताए

नाक़ाबिल इस्तिमाल चीज़ का लेने का कोई फ़ायदा नहीं

अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

अवसर के निकल जाने पर बाद में पछताना व्यर्थ है

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

भले दिन आएँगे तो घर पूछते चले आएँगे

जब भाग्य अच्छा होता है तो काम अपने आप बन जाते हैं एवं हालत सुधर जाती है

दिन भले आएँगे तो घर पूछते चले आएँगे

जब भाग्य अच्छा होता है तो काम अपने आप बन जाते हैं एवं हालत सुधर जाती है

बौर के लड्डू खाए सो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसा काम जिस के न करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो

गूँगे ने सपना देखा, मन ही मन पछताए

गूँगे को दुख होता है कि वह अपना सपना किसी को सुना नहीं सकता

कोई नहीं पूछ्ता कि तेरे मुँह में कै दाँत हैं

बहुत शांति का ज़माना है, किसी तरह की पूछताछ नहीं

आछे दिन पाछे गए, हरि से किया न हेत, अब पछताए होत का, चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

जब ख़ुदा देने पर आता है तो यह नहीं पूछ्ता कि तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

बूर के लड्डू खाए सो पछताए, न खाए सो पछताए

ऐसा काम जिस के न करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो

आगे के दिन पाछे गए हर से कियो न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आज कल जंगल में सोना उछालते चले जाओ कोई नहीं पूछता

ऐसा अम्न है कि कोई किसी को नहीं टोकता

अच्छे दिन पाछे गए बर से किया न बेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

जब ख़ुदा देने पर आता है तो ये नहीं पूछता कि तू कौन है

ईश्वर की कृपा नीच और उच्च पर समान होती है

कोई नहीं पूछता कि तुम्हारे मुँह में कितने दाँत हैं

nobody asks about anything

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में इंक़िबाज़ के अर्थदेखिए

इंक़िबाज़

inqibaazاِنْقِباض

स्रोत: अरबी

वज़्न : 2121

टैग्ज़: सूफ़ीवाद

शब्द व्युत्पत्ति: क़-ब-ज़

इंक़िबाज़ के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सिकुड़ना, मिचना, चित्त का मलिन और उदासीन होना, खिन्न
  • सूफ़ीवाद: ऐसी अवस्था जिसमें साधक का स्वभाव ईश्वर के स्मरण की ओर नहीं होता

English meaning of inqibaaz

Noun, Masculine

اِنْقِباض کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • ناشگفتگی، گرفنگی، بستگی، تکدر، کوفت، انبساط کی ضد
  • تصوف: ایک ایسی کیفیت جس میں سالک کی طبیعت ذکر الہٰی کی طرف رغبت نہیں کرتی

Urdu meaning of inqibaaz

  • Roman
  • Urdu

  • na shaguftagii, griphingii, bastagii, takaddur, kofat, imbisaat kii zid
  • tasavvufah ek a.isii kaifiiyat jis me.n saalik kii tabiiyat zikr alhaa.ii kii taraf raGbat nahii.n kartii

इंक़िबाज़ के पर्यायवाची शब्द

इंक़िबाज़ के विलोम शब्द

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पछता

repent, regret

पछताना

कोई अनुचित कार्य करके बाद में उसके लिए दुखी होना, अफ़सोस या पश्चाताप करना، पचताना

पछतावा

वह संताप या दुःख जो कीसी की, की हुई बात पर पीछे से हो, अपने किए को बुरा समझने से होनेवाला रंज, अनुचित कार्य करने के बाद होने वाली आत्मग्लानि, पश्चात्ताप, अनुताप

पछताव

लज्जा, शर्मिंदगी, अफ़सोस

पछतावना

पछताना

पिछैता

नियत समय के बाद, पिछला, आख़िरी, अंतिम

पिछैती

फ़सल जो देर में बोई जाये या देर में तैय्यार हो

पिछौंता

पड़ोस (वाला), पीछे की तरफ़ का

पच-हत्ता

five hands high, very tall

पिछ-तालू

(لسانیات) وہ آوازیں جو زبان اور تالو کے نرم حصّے کے اتّصال سے نکلتی ہیں .

पूछते पूछते ख़ुदा का घर मिल जाता है

कोशिश और प्रयत्न से कठिन से कठिन काम बन जाता है

पूछते पूछते दिल्ली पहुँच जाते हैं

जुस्तजू से मक़सद हासिल होता है

उस की सीख न सीखियो जो गुरू से फिर जाय, विद्या सूं ख़ाली रहे फिर पाछे पछताय

उस व्यक्ति के पद्य-चिंहों पर नहीं चलना चाहिए जो अपने गुरू से ही फिर जाए क्यूँ कि वो कुछ नहीं सीख सकता और पछताता है, बुरे के पीछे नहीं चलना चाहिए

उस की सीख न सीखियो जो गुर से फिर जाय, बिद्या सूं ख़ाली रहे फिर पाछे पछताय

उस व्यक्ति के पद्य-चिंहों पर नहीं चलना चाहिए जो अपने गुरू से ही फिर जाए क्यूँ कि वो कुछ नहीं सीख सकता और पछताता है, बुरे के पीछे नहीं चलना चाहिए

दिन भले आवेंगे तो घर पूछ्ते चले आएँगे

जब क़िस्मत अच्छी होती है तो नेक काम ख़ुदबख़ुद बिन जाते हैं, क़िस्मत पर शह कर रहना

नीच ज़ात छछूँदरी, नाक धरे पछताए

कमीना छछूंदर की तरह है, पास जाओ तो बू आती है,कमीने से वास्ता पड़े तो इस के ऐब मालूम होते हैं

कोई पूछता नहीं

۔कोई पुरसां नहीं

कोई बात पूछ्ता नहीं

(अपमान के अवसर पर) कोई हाल नहीं पूछता, कोई परवाह नहीं करता, कोई ध्यान नहीं देता

कच्ची कली कचनाल की तोड़त मन पछ्ताए

नाक़ाबिल इस्तिमाल चीज़ का लेने का कोई फ़ायदा नहीं

अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

अवसर के निकल जाने पर बाद में पछताना व्यर्थ है

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

भले दिन आएँगे तो घर पूछते चले आएँगे

जब भाग्य अच्छा होता है तो काम अपने आप बन जाते हैं एवं हालत सुधर जाती है

दिन भले आएँगे तो घर पूछते चले आएँगे

जब भाग्य अच्छा होता है तो काम अपने आप बन जाते हैं एवं हालत सुधर जाती है

बौर के लड्डू खाए सो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसा काम जिस के न करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो

गूँगे ने सपना देखा, मन ही मन पछताए

गूँगे को दुख होता है कि वह अपना सपना किसी को सुना नहीं सकता

कोई नहीं पूछ्ता कि तेरे मुँह में कै दाँत हैं

बहुत शांति का ज़माना है, किसी तरह की पूछताछ नहीं

आछे दिन पाछे गए, हरि से किया न हेत, अब पछताए होत का, चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

जब ख़ुदा देने पर आता है तो यह नहीं पूछ्ता कि तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

आछे दिन पाछे गए पर से किया न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

बूर के लड्डू खाए सो पछताए, न खाए सो पछताए

ऐसा काम जिस के न करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो

आगे के दिन पाछे गए हर से कियो न हेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आज कल जंगल में सोना उछालते चले जाओ कोई नहीं पूछता

ऐसा अम्न है कि कोई किसी को नहीं टोकता

अच्छे दिन पाछे गए बर से किया न बेत, अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

जवानी में बुरे काम करता रहा अब पछताने से क्या लाभ

आगे के दिन पाछे गए हर से किया न हीत, अब पछताए क्या हुवत जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत

समय पर काम न करने के पश्चात पछताना व्यर्थ है

जब ख़ुदा देने पर आता है तो ये नहीं पूछता कि तू कौन है

ईश्वर की कृपा नीच और उच्च पर समान होती है

कोई नहीं पूछता कि तुम्हारे मुँह में कितने दाँत हैं

nobody asks about anything

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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