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कब का

۔کس زمانے کا۔ کس مدّت کا۔ ؎ ۲۔ بہت دیر سے۔ مدت ہوئی کی جگہ۔ ؎

कब को

کِس وقت ، کب.

कब के

बहुत देर पहले, बहुत देर से, बहुत पहले से

कब की

किस युग का, किस अवधि का

कब की बिल्ली और कब का बिल्ला

जब कोई शख़्स झूटा दावा तजुर्बा कारी का ज़ाहिर करता है इस की निसबत बोलते हैं

गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आवे

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

गाहक और मौत का ठीक नहीं कब आवे

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

शाम के मुर्दे का कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आए

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

टाल बजा कर माँगे भीक, उस का जूग रहा कब ठीक

घंटी बजा कर मांगने वाले साधुओं पर कटाक्ष है कि यह कैसी साधुता है जो घंटी बजाकर भीख मांगे, उसकी साधना तो व्यर्थ है

जिस को हराम के टुकरों का मज़ा लगा, उस से मेहनत कब हो सके

जिस को बैठे बिठाए खंए को मिले इस से मेहनत नहीं हो सकती

कब के बनिया, कब के सेठ

नौ दौलत के मुताल्लिक़ कहते हैं कि पहले नादार था और अब मालदार है

गाहक और मौत का पता नहीं कब आ जाए

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

जज़्र-उल-का'ब

(गणित) कोई संख्या उस राशि का जज़्र-उल-काब कहलाती है जो उसको तीन बार आपस में गुणा देने से प्राप्त हो, जैसे: 2x2x2=8, तो 8 का जज़्र-उल-काब 2 है, घनमूल

जुज़-उल-का'ब

(गणित) एक संख्या को उसी संख्या से गुणा दें और गुणा-फ़ल को फिर उसी संख्या में गुणा करें तो उसके गुणा-फल को काब और उस संख्या को जुज़हुल-काब कहेंगे

का'ब

(गणित) किसी संख्या को उसी की तीसरी संख्या से तीन बार गुणा करने की प्रक्रिया जैसे 5x5x5=125 अर्थात एक यह योग पाँच का काब है

क़ा'ब

लकड़ी का बड़ा पियाला, इतना बड़ा पियाला जो एक आदमी के लिए पर्याप्त हो

शाम के मुर्दे को कब तक रोए शेवन करें

उम्र भर के झगड़े की कहाँ तक शिकायत की जाये

हारे जुवारी को कब कल पड़ती है

हारा हुआ आदमी चैन से नहीं बैठता उसे हर वक़्त बदला लेने की ख़्वाहिश रहती है

शाम के मुर्दे को कब तक रोइये

जो व्यक्ति शाम को मरे उसे दूसरे दिन जलाते हैं इस लिए परिजनों को रात भर रोना पड़ता है

बुढ़िया को पैंठ बिना कब सरे

(तिरस्कारपूर्वक) उस बूढ़ी औरत के लिए प्रयोग किया गया है जो तमाशा देखने की शौकीन हो

काग़ज़ की नाव कब तक बहेगी

इस मामूली चीज़ से कब तक गुज़ारा होगा

झूटे के पाँव कब हैं

रुक : झूट के पांव कहाँ

के 'अक़ब में

at the back (of)

कैरी पत्तों की आड़ में कब तक छुपेगी

बुराई छुप नहीं सकती ज़रूर ज़ाहिर हो कर रहती है

क़द्र उल्लू की उल्लू जानता है, हुमा कब चुग़द को पहचानता है

विशेषज्ञ या निपुण व्यक्ति के गुण-ग्राहक उसके मान-सम्मान से अनभिज्ञ नहीं होते, गुण-ग्राहक ही सम्मान करता है दूसरे को क्या पता

क़द्र उल्लू की उल्लू जानता है, हुमा को कब चुग़द पहचानता है

विशेषज्ञ या निपुण व्यक्ति के गुण-ग्राहक उसके मान-सम्मान से अनभिज्ञ नहीं होते, गुण-ग्राहक ही सम्मान करता है दूसरे को क्या पता

बकरे की माँ कब तक ख़ैर मनाएगी

व्यक्ति अपने भाग्य एवं अपनी नियति से नहीं बच सकता

सोते को सोता कब जगाता है

लापरवाह की लापरवाह क्या मदद कर सकता है

जिसने अपनी टोपी उतारी वो दूसरे की उतारते कब डरता है

वह जो अपने सम्मान की परवाह नहीं करता, वह दूसरों के सम्मान की परवाह कब करेगा

मैं कब कहूँ तीरे बेटे को मिर्गी आती है

कोई बात प्रत्यक्ष रूप से छुपाना परंतु बहाने से जता देना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जिगर-पैवंद के अर्थदेखिए

जिगर-पैवंद

jigar-paivandجِگََر پَیْونْد

स्रोत: फ़ारसी

देखिए: जिगर-पारह

جِگََر پَیْونْد کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • رک : جگرپارہ ۔

Urdu meaning of jigar-paivand

  • Roman
  • Urdu

  • ruk ha jigar paara

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कब का

۔کس زمانے کا۔ کس مدّت کا۔ ؎ ۲۔ بہت دیر سے۔ مدت ہوئی کی جگہ۔ ؎

कब को

کِس وقت ، کب.

कब के

बहुत देर पहले, बहुत देर से, बहुत पहले से

कब की

किस युग का, किस अवधि का

कब की बिल्ली और कब का बिल्ला

जब कोई शख़्स झूटा दावा तजुर्बा कारी का ज़ाहिर करता है इस की निसबत बोलते हैं

गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आवे

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

गाहक और मौत का ठीक नहीं कब आवे

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

शाम के मुर्दे का कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आए

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

टाल बजा कर माँगे भीक, उस का जूग रहा कब ठीक

घंटी बजा कर मांगने वाले साधुओं पर कटाक्ष है कि यह कैसी साधुता है जो घंटी बजाकर भीख मांगे, उसकी साधना तो व्यर्थ है

जिस को हराम के टुकरों का मज़ा लगा, उस से मेहनत कब हो सके

जिस को बैठे बिठाए खंए को मिले इस से मेहनत नहीं हो सकती

कब के बनिया, कब के सेठ

नौ दौलत के मुताल्लिक़ कहते हैं कि पहले नादार था और अब मालदार है

गाहक और मौत का पता नहीं कब आ जाए

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

जज़्र-उल-का'ब

(गणित) कोई संख्या उस राशि का जज़्र-उल-काब कहलाती है जो उसको तीन बार आपस में गुणा देने से प्राप्त हो, जैसे: 2x2x2=8, तो 8 का जज़्र-उल-काब 2 है, घनमूल

जुज़-उल-का'ब

(गणित) एक संख्या को उसी संख्या से गुणा दें और गुणा-फ़ल को फिर उसी संख्या में गुणा करें तो उसके गुणा-फल को काब और उस संख्या को जुज़हुल-काब कहेंगे

का'ब

(गणित) किसी संख्या को उसी की तीसरी संख्या से तीन बार गुणा करने की प्रक्रिया जैसे 5x5x5=125 अर्थात एक यह योग पाँच का काब है

क़ा'ब

लकड़ी का बड़ा पियाला, इतना बड़ा पियाला जो एक आदमी के लिए पर्याप्त हो

शाम के मुर्दे को कब तक रोए शेवन करें

उम्र भर के झगड़े की कहाँ तक शिकायत की जाये

हारे जुवारी को कब कल पड़ती है

हारा हुआ आदमी चैन से नहीं बैठता उसे हर वक़्त बदला लेने की ख़्वाहिश रहती है

शाम के मुर्दे को कब तक रोइये

जो व्यक्ति शाम को मरे उसे दूसरे दिन जलाते हैं इस लिए परिजनों को रात भर रोना पड़ता है

बुढ़िया को पैंठ बिना कब सरे

(तिरस्कारपूर्वक) उस बूढ़ी औरत के लिए प्रयोग किया गया है जो तमाशा देखने की शौकीन हो

काग़ज़ की नाव कब तक बहेगी

इस मामूली चीज़ से कब तक गुज़ारा होगा

झूटे के पाँव कब हैं

रुक : झूट के पांव कहाँ

के 'अक़ब में

at the back (of)

कैरी पत्तों की आड़ में कब तक छुपेगी

बुराई छुप नहीं सकती ज़रूर ज़ाहिर हो कर रहती है

क़द्र उल्लू की उल्लू जानता है, हुमा कब चुग़द को पहचानता है

विशेषज्ञ या निपुण व्यक्ति के गुण-ग्राहक उसके मान-सम्मान से अनभिज्ञ नहीं होते, गुण-ग्राहक ही सम्मान करता है दूसरे को क्या पता

क़द्र उल्लू की उल्लू जानता है, हुमा को कब चुग़द पहचानता है

विशेषज्ञ या निपुण व्यक्ति के गुण-ग्राहक उसके मान-सम्मान से अनभिज्ञ नहीं होते, गुण-ग्राहक ही सम्मान करता है दूसरे को क्या पता

बकरे की माँ कब तक ख़ैर मनाएगी

व्यक्ति अपने भाग्य एवं अपनी नियति से नहीं बच सकता

सोते को सोता कब जगाता है

लापरवाह की लापरवाह क्या मदद कर सकता है

जिसने अपनी टोपी उतारी वो दूसरे की उतारते कब डरता है

वह जो अपने सम्मान की परवाह नहीं करता, वह दूसरों के सम्मान की परवाह कब करेगा

मैं कब कहूँ तीरे बेटे को मिर्गी आती है

कोई बात प्रत्यक्ष रूप से छुपाना परंतु बहाने से जता देना

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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