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कस कस के

خوب جان٘چ پرکھ کے.

किस किस का मुंँह नहीं देखा

कई आदमियों से मदद माँगी, हर एक से सहायता चाही है

कस के

जाँच और परिक्षा के पश्चात, परखने के पश्चात

कमर कस के बाँधना

resolve on an undertaking, resolutely prepare

चोर और मोठ कस के बाँधने चाहिएँ

چور بھاگ جائے گا اور موٹھ کھل کر بکھر جائینگے

चर्सी यार कस के दम लगाया खिसके

नशे-बाज़ अपने काम से काम रखते हैं अर्थात मतलब पूरा हुआ तो चलते बने

चर्सी यार कस के दम लगाया और खिसके

नशे-बाज़ अपने काम से काम रखते हैं अर्थात मतलब पूरा हुआ तो चलते बने

ढाल बाँधूँ तलवार बाँधूँ कस के बाँधूँ फेटा, बीच बाज़ार में डाका मारूँ तो बाप का बेटा

जो बात करूंगा खुल कर और ईमानदारी से करूँगा

किस का

किस व्यक्ति का? कहाँ का

किस की

किसी का नहीं

क़ाश-क़ाश करना

टुकड़े-टुकड़े करना, फांक-फांक करना, पाश-पाश कर देना

कोस कोस के खा जाना

۔ (عو) (کنایۃً) کوسنے دے کر تباہ کر ڈالنا۔ ؎

तोड़ डाल तागा, तू किस भड़वे के मुँह लागा

बुरे स्वभाव अथवा बुरे व्यक्ति से बचने का सदुपदेश कि अलग होने में देरी न कर

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बिना मुँह धोए खाने बैठ जाए तो उपहास में कहते हैं

आएगा तो अपने पाँव से जाएगा किस के पाँव से

(दुश्मन वग़ैरा) चला तो आएगा मगर मेरे या हमारे होते बच कर कैसे जाएगा

ये किस मरज़ की दवा हैं

निकम्मा आदमी है, जिससे किसी को लाभ न पहुँचे उसके लिए कहते हैं

आज किस का मुँह देख के उठा हूँ

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

रंडी किस की जोरू , भड़वा किस का साला

ख़राब औरत या मर्द किसी के हो कर नहीं रहते

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाह और दरिया की वास्तविक्ता या तह जानना कठिन है

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

किस शख़्स का मुँह देख के उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

बोलते की ज़बान किस ने पकड़ी है

किसी व्यक्ति को आलोचना करने या बुरा भला कहने से कौन रोक सकता है

सहर किस का मुँह देखा

कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

ये घोड़ा किस का जिस का मैं नौकर, तू नौकर किस का जिस का ये घोड़ा

टालने के अवसर पर कहते हैं

किस दर्द की दवा है

किस काम का है, बेफ़ाइदा है, महिज़ नकमअ है

किस मर्ज़ की दवा है

is useless, is good-for-nothing

कस न गोयद कि दोग़ मन तुर्श अस्त

अपनी छाछ को कोई बुरा नहीं कहता

मुफ़्लिस की जवानी और जाड़ों की चाँदी किस ने देखी

जाड़े की चांदनी से लुतफ़ नहीं उठाया जा सकता, बेफ़ाइदा चीज़ जिस से लुतफ़ ना उठा या जा सके तो ये कहावत कहते हैं

पीर आप दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करें

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

किस शख़्स का मुँह देख कर उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

गंगा किस की खुदाई है

बड़े बड़े काम प्राकृतिक रूप से हो जाते हैं, बड़े काम किसी उपाय से नहीं होते

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

राँड का रोना , बाज़ार का सौदा , किस ने सुना

इन दोनों की दादरसी नहीं होती

पीर आप तो दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करेंगे

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

आज किस का मुँह देख कर उठा हूँ

भुखा रहने या परेशान रहने पर कहा जाता है

आज किस का मुँह देखा है

जब सारा दिन परेशानी में गुज़रे तो यह कहा जाता है

किस अंदाज़ का

कैसा अच्छा, किस शान का

चस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का

दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता

घस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का

दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता

सुब्ह किस का मुँह देखा था

what an inauspicious day!

सुब्ह किस का मुँह देखा था

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

किस की माँ ने धौंसा खाया है

किस माँ को आफ़त आयी है जो अपनी संतान को खोना चाहेगी? किसकी दुर्भाग्यशाली माँ अपने बच्चों की तबाही चाहेगी, इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति अपने लिए ख़ुद मुसीबत नहीं बनाता, अपना नुक़सान या अपनी बर्बादी नहीं चाहता

किस का सर लाएँ

۔کس سے مدد چاہیں۔ ؎

किस की माँ को माँ कहें

ग़रीब और यतीम बच्चे की निसबत कहते हैं, पहले अनुमानों में मुस्तामल था कि अगर माँ ना हो तो हम किस की माँ को माँ बनाते मगर रफ़्ता रफ़्ता आम और बच्चों के लिए मख़सूस हो गया, यानी कोई फ़र्याद रस नहीं

आज सुब्ह किस का मुँह देखा था

प्रातः काल को किस अशुभ का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भुखा रहना पड़ा

ये गंगा किस की खुदाई है

बड़े बड़े काम प्राकृतिक रूप से हो जाते हैं, बड़े काम किसी उपाय से नहीं होते

किस बाग़ का बथुआ हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

फ़क़ीर की ज़बान किस ने कीली है

फ़क़ीर जो चाहे कह सकता है, उसे कोई भी नहीं रोक सकता

अल्लाह के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर किसी बंदे को देना चाहे तो सब कुछ दे सकता है, ईश्वर असंभव को भी संभव बना सकता है

अल्लाह के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर किसी बंदे को देना चाहे तो सब कुछ दे सकता है, ईश्वर असंभव को भी संभव बना सकता है

ख़ुदा के घर में किस का इजारा

ईश्वर के घर में किसी के जाने पर आपत्ति नहीं

पीर आप ही दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करेंगे

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

किस की रही और किस की रह जाए

۔دل کی اُمنگ نکالنے کی جگہ بولتے ہیں۔

मुँह किस का है

۔کسی کا حوصلہ نہیں۔ کسی کی مجال نہیں۔ ؎

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

ख़ल्क़ का हल्क़ किस ने बंद किया है

कोई किसी की ज़बान को नहीं रोक सकता

दीमक के दाँत, साँप के पाँव और च्यूँटी की नाक किस ने देखी

ये चीज़ें ज़ाहिरन मादूम हैं मगर काम अंसा देती हैं कि जिन जानवरों के दांत पांव और नाक ज़ाहिर होते हैं, इन से ऐसा बिन नहीं आता

का टापू में मोर नाचा किस ने देखा

विदेश में कुछ भी करो जब अपने देश में कुछ करो तो हम समझें कि हाँ कुछ किया, परदेस में किसी बड़े काम के करने का आनंद परिवार या देश के लोग वाले नहीं उठा सकते, जब कोई व्यक्ति अपना धन किसी ऐसी जगह ख़र्च करे जहाँ जहाँ देश के नागरिक या रिश्तेदार उसे न देख सकें तो क

किस क़यामत के

کِس بلا کے، کس غضب کا

हाकिम के मारे और कीचड़ के फिसले का किस ने बुरा मनाया है

हाकिम किसी को ज़द-ओ-कोब करे तो इस की तसल्ली के लिए कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किस दर्द की दवा है के अर्थदेखिए

किस दर्द की दवा है

kis dard kii davaa haiکِس دَرْد کی دَوا ہے

किस दर्द की दवा है के हिंदी अर्थ

  • किस काम का है, बेफ़ाइदा है, महिज़ नकमअ है

کِس دَرْد کی دَوا ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کس کام کا ہے، بے فائدہ ہے، محض نکمَا ہے

Urdu meaning of kis dard kii davaa hai

  • Roman
  • Urdu

  • kis kaam ka hai, befaa.idaa hai, mahiz nakamaa hai

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कस कस के

خوب جان٘چ پرکھ کے.

किस किस का मुंँह नहीं देखा

कई आदमियों से मदद माँगी, हर एक से सहायता चाही है

कस के

जाँच और परिक्षा के पश्चात, परखने के पश्चात

कमर कस के बाँधना

resolve on an undertaking, resolutely prepare

चोर और मोठ कस के बाँधने चाहिएँ

چور بھاگ جائے گا اور موٹھ کھل کر بکھر جائینگے

चर्सी यार कस के दम लगाया खिसके

नशे-बाज़ अपने काम से काम रखते हैं अर्थात मतलब पूरा हुआ तो चलते बने

चर्सी यार कस के दम लगाया और खिसके

नशे-बाज़ अपने काम से काम रखते हैं अर्थात मतलब पूरा हुआ तो चलते बने

ढाल बाँधूँ तलवार बाँधूँ कस के बाँधूँ फेटा, बीच बाज़ार में डाका मारूँ तो बाप का बेटा

जो बात करूंगा खुल कर और ईमानदारी से करूँगा

किस का

किस व्यक्ति का? कहाँ का

किस की

किसी का नहीं

क़ाश-क़ाश करना

टुकड़े-टुकड़े करना, फांक-फांक करना, पाश-पाश कर देना

कोस कोस के खा जाना

۔ (عو) (کنایۃً) کوسنے دے کر تباہ کر ڈالنا۔ ؎

तोड़ डाल तागा, तू किस भड़वे के मुँह लागा

बुरे स्वभाव अथवा बुरे व्यक्ति से बचने का सदुपदेश कि अलग होने में देरी न कर

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बिना मुँह धोए खाने बैठ जाए तो उपहास में कहते हैं

आएगा तो अपने पाँव से जाएगा किस के पाँव से

(दुश्मन वग़ैरा) चला तो आएगा मगर मेरे या हमारे होते बच कर कैसे जाएगा

ये किस मरज़ की दवा हैं

निकम्मा आदमी है, जिससे किसी को लाभ न पहुँचे उसके लिए कहते हैं

आज किस का मुँह देख के उठा हूँ

प्रातःकाल को प्रथम बार किस अभागे का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

रंडी किस की जोरू , भड़वा किस का साला

ख़राब औरत या मर्द किसी के हो कर नहीं रहते

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाह और दरिया की वास्तविक्ता या तह जानना कठिन है

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

किस शख़्स का मुँह देख के उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

बोलते की ज़बान किस ने पकड़ी है

किसी व्यक्ति को आलोचना करने या बुरा भला कहने से कौन रोक सकता है

सहर किस का मुँह देखा

कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

ये घोड़ा किस का जिस का मैं नौकर, तू नौकर किस का जिस का ये घोड़ा

टालने के अवसर पर कहते हैं

किस दर्द की दवा है

किस काम का है, बेफ़ाइदा है, महिज़ नकमअ है

किस मर्ज़ की दवा है

is useless, is good-for-nothing

कस न गोयद कि दोग़ मन तुर्श अस्त

अपनी छाछ को कोई बुरा नहीं कहता

मुफ़्लिस की जवानी और जाड़ों की चाँदी किस ने देखी

जाड़े की चांदनी से लुतफ़ नहीं उठाया जा सकता, बेफ़ाइदा चीज़ जिस से लुतफ़ ना उठा या जा सके तो ये कहावत कहते हैं

पीर आप दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करें

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

किस शख़्स का मुँह देख कर उठा हूँ

जब किसी दिन तकलीफों पर तकलीफें पेश आएं तो कहते हैं यानी सुबह पहले पहल किस मनहूस का मुँह देखा था

गंगा किस की खुदाई है

बड़े बड़े काम प्राकृतिक रूप से हो जाते हैं, बड़े काम किसी उपाय से नहीं होते

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

राँड का रोना , बाज़ार का सौदा , किस ने सुना

इन दोनों की दादरसी नहीं होती

पीर आप तो दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करेंगे

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

आज किस का मुँह देख कर उठा हूँ

भुखा रहने या परेशान रहने पर कहा जाता है

आज किस का मुँह देखा है

जब सारा दिन परेशानी में गुज़रे तो यह कहा जाता है

किस अंदाज़ का

कैसा अच्छा, किस शान का

चस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का

दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता

घस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का

दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता

सुब्ह किस का मुँह देखा था

what an inauspicious day!

सुब्ह किस का मुँह देखा था

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

किस की माँ ने धौंसा खाया है

किस माँ को आफ़त आयी है जो अपनी संतान को खोना चाहेगी? किसकी दुर्भाग्यशाली माँ अपने बच्चों की तबाही चाहेगी, इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति अपने लिए ख़ुद मुसीबत नहीं बनाता, अपना नुक़सान या अपनी बर्बादी नहीं चाहता

किस का सर लाएँ

۔کس سے مدد چاہیں۔ ؎

किस की माँ को माँ कहें

ग़रीब और यतीम बच्चे की निसबत कहते हैं, पहले अनुमानों में मुस्तामल था कि अगर माँ ना हो तो हम किस की माँ को माँ बनाते मगर रफ़्ता रफ़्ता आम और बच्चों के लिए मख़सूस हो गया, यानी कोई फ़र्याद रस नहीं

आज सुब्ह किस का मुँह देखा था

प्रातः काल को किस अशुभ का नाम मुँह से निकला था कि दिन भर भुखा रहना पड़ा

ये गंगा किस की खुदाई है

बड़े बड़े काम प्राकृतिक रूप से हो जाते हैं, बड़े काम किसी उपाय से नहीं होते

किस बाग़ का बथुआ हो

मेरे सामने तुम क्या बेचते हो, तुम कोई हक़ीक़त नहीं रखते

फ़क़ीर की ज़बान किस ने कीली है

फ़क़ीर जो चाहे कह सकता है, उसे कोई भी नहीं रोक सकता

अल्लाह के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर किसी बंदे को देना चाहे तो सब कुछ दे सकता है, ईश्वर असंभव को भी संभव बना सकता है

अल्लाह के घर में किस चीज़ की कमी है

ईश्वर किसी बंदे को देना चाहे तो सब कुछ दे सकता है, ईश्वर असंभव को भी संभव बना सकता है

ख़ुदा के घर में किस का इजारा

ईश्वर के घर में किसी के जाने पर आपत्ति नहीं

पीर आप ही दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करेंगे

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

किस की रही और किस की रह जाए

۔دل کی اُمنگ نکالنے کی جگہ بولتے ہیں۔

मुँह किस का है

۔کسی کا حوصلہ نہیں۔ کسی کی مجال نہیں۔ ؎

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

ख़ल्क़ का हल्क़ किस ने बंद किया है

कोई किसी की ज़बान को नहीं रोक सकता

दीमक के दाँत, साँप के पाँव और च्यूँटी की नाक किस ने देखी

ये चीज़ें ज़ाहिरन मादूम हैं मगर काम अंसा देती हैं कि जिन जानवरों के दांत पांव और नाक ज़ाहिर होते हैं, इन से ऐसा बिन नहीं आता

का टापू में मोर नाचा किस ने देखा

विदेश में कुछ भी करो जब अपने देश में कुछ करो तो हम समझें कि हाँ कुछ किया, परदेस में किसी बड़े काम के करने का आनंद परिवार या देश के लोग वाले नहीं उठा सकते, जब कोई व्यक्ति अपना धन किसी ऐसी जगह ख़र्च करे जहाँ जहाँ देश के नागरिक या रिश्तेदार उसे न देख सकें तो क

किस क़यामत के

کِس بلا کے، کس غضب کا

हाकिम के मारे और कीचड़ के फिसले का किस ने बुरा मनाया है

हाकिम किसी को ज़द-ओ-कोब करे तो इस की तसल्ली के लिए कहते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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