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शे'र

दो मिस्रों का समाहार, बैत, पद्य

शे'री

शेर का, काव्य का, काव्य-सम्बन्धी

शे'रा

एक तारा जो मिथुन राशि के बाद निकलता है 'शे'रा' दो हैं एक 'उबूर' दूसरा 'ग़मेसा' जो सुहैल की बहन है, पहले वाला अधिक रौशन होता है जाड़े के मौसम में शाम होते ही आसमान पर नज़र आता है

शे'र-फ़हम

जो कविता को समझता है, शे'र को समझने वाला

शे'रियत

काव्यकला का रस

शे'र होना

शेअर तसनीफ़ किया जाना, शेअर मौज़ूं होना, शेअर ढलना

शे'र कहना

कविता लिखना, शेर तसनीफ़ करना, शायरी करना, शेर लिखना

शे'र करना

शेअर के क़ालिब में ढालना, मिसरा लगा के शेअर मुकम्मल करना, शेअर की तरह पुरलुत्फ़ बना देना

शे'र-गोई

शेर कहना, कविता करना, कविता की कला

शे'र बोलना

कविता कहना, कविता लिखना

शे'र बनना

शेर कहे जाना

शे'र-ओ-सुख़न

कविता, काव्य, साहित्य, अदब, शायरी

शे'र लिखना

कविता कहना, शेर कहना

शे'र ढलना

आवर्द से पाक शेअर, शेअर मौज़ूं होना या तसनीफ़ होना, शेअर का बेसाख़तगी के साथ मौज़ूं हो जाना

शे'र बनाना

उचित ढंग से कविता कहना, कविता कहना, कविता बनाना, कविता को सुधारना

शे'र निकलना

शेअर निकालना (रुक) का लाज़िम

शे'रिय्या

शे'र-फ़हमी

शेर समझना, काव्य- मर्मज्ञता, काव्य-निपुणता, कविता की परख होना, कविता को समझने की क्षमता

शे'रियात

काव्य विद्या

शे'र निकालना

शेर कहना, कविता कहना या लिखना

शे'र लड़ना

शेअर का मज़मून किसी दूसरे शायर के मज़मून के मुताबिक़ हो जाना, तवारद होना, अशआर का हम मानी होना, दो शेअर का मज़मून यकसाँ हो जाना

शे'र-ए-तर

काव्यकलापूर्ण शेर, सरस शेर, आनंदायक पद्द्य

शे'र जोड़ना

तुकबंदी करना, शायरी करना, शेर रचना करना

शे'र-नवाई

कविता पढ़ना, कविता पाठ करना, मधुर आवाज़ में कविता पाठ करना, शेर पढ़ना, शेर अलापना, अच्छी आवाज़ में शेर पढ़ना

शे'र-आफ़रीनी

शे'र-ख़्वानी

शेर पढ़ना, एक जगह बैठकर परस्पर शेर सुनना-सुनाना

शे'र-आगीं

शे'र घड़ना

तक बंदी करना, शेअर कहना, शायरी करना

शे'र लड़ाना

एक दूसरे को शेअर सुनाना, शेअर ख़वानी करना, बैतबाज़ी करना

शे'र ढल जाना

बगै़र कोशिश के शेअर मौज़ूं होजाना

शे'र गाँठना

कविता जोड़ना, छंदबद्ध करना, शायरी करना

शे'र-ख़्वाँ

कविता पाठ करने वाला, कवी

शे'रिस्तान

सुंदर एवं और शंत स्थान

शे'र बँधना

शेअर बांधना (रुक) का लाज़िम

शे'र बाँधना

कविता लिखना, शेर कहना

शे'र-ए-ख़ुश्क

ऐसा शेर जिसमें कोई रस न हो।

शे'र तसनीफ़ करना

शेअर कहना, शेअर बनाना, शेअर मौज़ूं करना

शे'री-अदब

शे'र मोज़ूँ होना

शे'र मौज़ूँ करना

किसी गणों की मात्राओं के अनुसार छंद या कविता कहना, किसी छंद और अलंकार के अनुरूप कविता कहना, तुकबंदी करना

शे'रा-'उबूर

शे'र की बंदिश

शब्द की क्रम, शैली

शे'रा-शामी

एक सितारा जो उत्तर (सीरिया देश) की दिशा में अस्त होता है, अधिक चमकदार भी नहीं होता

शे'र-ए-हाली

शे'री-मस्लक

शायरी की विचारधारा, शायरी का स्कूल या सिलसिला

शे'रा-यमानी

शे'री-रुजहान

शे'र-ए-हिजाई

शे'री-सरमाया

शे'री-निशस्त

महफ़िल-ए- मुशायरा, कविता पाठ सत्र, मुशायरा, उर्दू-फारसी आदि के शायरों की वह बैठक जिसमें वे अपनी ग़जलें आदि पढ़कर सुनाते हैं

शे'री-रवय्या

शे'र-ए-मंसूर

शे'र फ़हमी 'आलम-ए-बाला मा'लूम शुद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) सुख़न फ़हमी का हाल मालूम हो गया किसी अच्छे शेअर या कलाम वग़ैरा की दाद ना मिले तो तंज़न इस मौक़ा पर कहते हैं

पैकर-ए-शे'र

'इल्म-ए-शे'र

काव्यशास्त्र

महफ़िल-ए-शे'र

कवि सम्मेलन, कविता समारोह

पर्दा-ए-शे'र

सोबत-ए-शे'र

पस-ए-शे'र

साफ़-शे'र

वह शेर जिसमें कोई गुत्थी न हो और अर्थ आसानी से समझ में आ जाएँ

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मुशा'इरा के अर्थदेखिए

मुशा'इरा

mushaa'iraمُشاعِرَہ

स्रोत: अरबी

वज़्न : 1112

शब्द व्युत्पत्ति: श-अ-र

मुशा'इरा के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • उर्दू-फ़ारसी आदि के शायरों का वह सम्मेलन जिसमें वे अपनी गजलें आदि पढ़कर सुनाते हैं
  • कवि सम्मेलन, कवि गोष्ठी, शाएरों की सभा, वह सम्मेलन जिसमें शायर अपनी शेर या ग़ज़ल आदि कहते हैं
  • बहुत-से कवियों का एक जगह बैठकर परस्पर कविता सुनाना, बहुत-से आदिमियों के संमुख कविता सुनाना

English meaning of mushaa'ira

Noun, Masculine

  • an assembly where poets recite their poetry

مُشاعِرَہ کے اردو معانی

اسم، مذکر

  • ایک دو سرے کو شعر سنانا، شعرا کا جمع ہو کر شعر خوانی کرنا؛ باہم شعر پڑھنا؛ مجلس شعر خوانی

मुशा'इरा के यौगिक शब्द

मुशा'इरा से संबंधित रोचक जानकारी

مشاعرہ عربی میں لفظ ’’شعر‘‘ کو باب مفاعلہ میں لے جاتے ہیں اور’’مُشاعَرہ‘‘ (اول مضموم، چہارم مفتوح) حاصل کرتے ہیں۔ لیکن وہاں اس کے معنی ہیں، ’’مقابلے کی غرض سے باہم شعرپڑھنا یا کہنا‘‘۔یعنی اس میں کسی باقاعدہ طور پر ترتیب دی ہوئی محفل شعر خوانی اور سامعین کی موجودگی کا کوئی تصور نہیں۔ اردو میں اول مضموم اور چہارم مکسور (مُشاعِرہ) بمعنی ’’شعر سنانے کی محفل، جس میں سامعین بھی ہوں اور کئی شعرا شعر سنائیں‘‘ عام طور پر مستعمل ہے اور اسی کو صحیح سمجھنا چاہئے۔ بعض لوگ میم اور عین پر زبر بولتے تھے۔ اب یہ تلفظ رائج نہیں، ’’مشاعرہ‘‘ (اول مضموم، چہارم مکسور)بروزن ’’مقابلہ‘‘ ہی صحیح ہے۔

ماخذ: لغات روز مرہ    
مصنف: شمس الرحمن فاروقی

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