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बान-गीर

(हाथी-बानी) सवारी में हाथी के साथ रहने वाला कर्मचारी को अपने साथ आतिशी खदँग रखता है और जब रास्ते में हाथी मस्त होता है तो उसे डराने के लिए आतिशी ख़दंग छोड़ता है

बिन गांड़ का बधना

ऐसे व्यक्ति के प्रति कहते हैं जिस में हिम्मत या साहस न हो या जो मंदबुद्धि या दुर्बल हो

गुड़ भरा हँसिया, न निगलते बन पड़ता है न उगलते

हर तरह मुश्किल है न करते बनती है न छोड़ते

दिल की गिरह बन जाना

उम्र भर की चुभन हो जाना, हमेशा के लिए तकलीफ़ का कारण होना

गुर बिन ब्याकुल चेलवा, कंठ बिन बावर गीत

बगै़र गुरु के चेला इस तरह है जैसे गीत बगै़र आवाज़ के, उस्ताद के बगै़र शागिर्द बे कार है, जिस तरह गले के बगै़र गीत बे कार है

हल्दी की गिरह ले के पंसारी बन बैठना

थोड़ी सी पूँजी पर नाज़ाँ होना, उमूमन इस महल पर बोलते हैं जब कोई नाक़िस अपने आपको कामिल जाने

हल्दी की गिरह पा कर पंसारी बन जाना

थोड़ा सामान हासिल कर के बहुत ज़्यादा इमारत का इज़हार करना

हल्दी की गिरह पा के पंसारी बन जाना

थोड़ा सामान हासिल कर के बहुत ज़्यादा इमारत का इज़हार करना

हल्दी की गिरह रख कर पंसारी बन बैठना

रुक : हल्दी की गिरह लेकर अलख

हल्दी की गिरह ले कर पंसारी बन बैठना

boast despite meagre resources, presume a great deal

हल्दी की गिरह ले कर पंसारी बन जाना

रुक : हल्दी की गिरह लेकर / के अलख

चूहे के हाथ हल्दी की गिरह लगी वो पंसारी बन बैठा

थोड़ी सी पूंजी हाथ लगने पर इतराना

गुर बिन मिले न ज्ञान, भाग बिन मिले न सम्पत

बगै़र उस्ताद के इलम हासिल नहीं होता और बगै़र क़िस्मत के दौलत नहीं मिलती

चूहे के हाथ लगी हल्दी की गिरह पंसारी बन बैठा

थोड़ी सी पूंजी हाथ लगने पर इतराना

बंदर को मिली हल्दी की गिरह पंसारी बन बैठा

छिछोरा आदमी ज़रा सी चीज़ पर बहुत इतराता और गर्व करता है

चूहे के हाथ लगी हल्दी की गिरह पंसारी ही बन बैठा

थोड़ी सी पूंजी हाथ लगने पर इतराना

गुरू, बैद और ज्योतिषी, देव मंत्री और राज, उन्हें भेन्ट बिन जो मिले, होए न पूरन काज

गुरू, वैद्य، ज्योतिषी, देवता, वज़ीर और राजा से उस वक़्त तक काम नहीं निकलता जब तक उन को भेंट न दी जाए, अर्थात इनके पास ख़ाली हाथ नहीं जाना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ज़िंदान-बान के अर्थदेखिए

ज़िंदान-बान

zindaan-baanزِنْدان بان

ज़िंदान-बान के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - विशेषण

  • जेल निरीक्षण करने वाला, जेल का संरक्षक, क़ैदख़ाने की निगरानी करने वाला, क़ैदख़ाने का मुहाफ़िज़

زِنْدان بان کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فارسی، عربی - صفت

  • قید خانے کی نگرانی کرنے والا، قید خانے کا محافظ

Urdu meaning of zindaan-baan

  • Roman
  • Urdu

  • qaidKhaane kii nigraanii karne vaala, qaidKhaane ka muhaafiz

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बान-गीर

(हाथी-बानी) सवारी में हाथी के साथ रहने वाला कर्मचारी को अपने साथ आतिशी खदँग रखता है और जब रास्ते में हाथी मस्त होता है तो उसे डराने के लिए आतिशी ख़दंग छोड़ता है

बिन गांड़ का बधना

ऐसे व्यक्ति के प्रति कहते हैं जिस में हिम्मत या साहस न हो या जो मंदबुद्धि या दुर्बल हो

गुड़ भरा हँसिया, न निगलते बन पड़ता है न उगलते

हर तरह मुश्किल है न करते बनती है न छोड़ते

दिल की गिरह बन जाना

उम्र भर की चुभन हो जाना, हमेशा के लिए तकलीफ़ का कारण होना

गुर बिन ब्याकुल चेलवा, कंठ बिन बावर गीत

बगै़र गुरु के चेला इस तरह है जैसे गीत बगै़र आवाज़ के, उस्ताद के बगै़र शागिर्द बे कार है, जिस तरह गले के बगै़र गीत बे कार है

हल्दी की गिरह ले के पंसारी बन बैठना

थोड़ी सी पूँजी पर नाज़ाँ होना, उमूमन इस महल पर बोलते हैं जब कोई नाक़िस अपने आपको कामिल जाने

हल्दी की गिरह पा कर पंसारी बन जाना

थोड़ा सामान हासिल कर के बहुत ज़्यादा इमारत का इज़हार करना

हल्दी की गिरह पा के पंसारी बन जाना

थोड़ा सामान हासिल कर के बहुत ज़्यादा इमारत का इज़हार करना

हल्दी की गिरह रख कर पंसारी बन बैठना

रुक : हल्दी की गिरह लेकर अलख

हल्दी की गिरह ले कर पंसारी बन बैठना

boast despite meagre resources, presume a great deal

हल्दी की गिरह ले कर पंसारी बन जाना

रुक : हल्दी की गिरह लेकर / के अलख

चूहे के हाथ हल्दी की गिरह लगी वो पंसारी बन बैठा

थोड़ी सी पूंजी हाथ लगने पर इतराना

गुर बिन मिले न ज्ञान, भाग बिन मिले न सम्पत

बगै़र उस्ताद के इलम हासिल नहीं होता और बगै़र क़िस्मत के दौलत नहीं मिलती

चूहे के हाथ लगी हल्दी की गिरह पंसारी बन बैठा

थोड़ी सी पूंजी हाथ लगने पर इतराना

बंदर को मिली हल्दी की गिरह पंसारी बन बैठा

छिछोरा आदमी ज़रा सी चीज़ पर बहुत इतराता और गर्व करता है

चूहे के हाथ लगी हल्दी की गिरह पंसारी ही बन बैठा

थोड़ी सी पूंजी हाथ लगने पर इतराना

गुरू, बैद और ज्योतिषी, देव मंत्री और राज, उन्हें भेन्ट बिन जो मिले, होए न पूरन काज

गुरू, वैद्य، ज्योतिषी, देवता, वज़ीर और राजा से उस वक़्त तक काम नहीं निकलता जब तक उन को भेंट न दी जाए, अर्थात इनके पास ख़ाली हाथ नहीं जाना चाहिए

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