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बिर

उपकार, भलाई, यश, पुण्य, दान, बख़्शिश

हिर-बिर न जानना

दो चीज़ों में फ़र्क़ ना कर सकना, क़ुव्वत-ए-तमीज़ से महरूम होना

बीर

भाई के लिए प्रयुक्त होनेवाला संबोधन,भाई; बंधु; भ्राता

बार

मर्तबा, दफ़ा

बा'र

मींगनी, बकरी ऊँट इत्यादि का मल

बीर दौड़ाना

मुवक्किलों को किसी काम को पूरा करने के लिए छोड़ना, जिन्न वग़ैरा से कुछ काम लेना

आए बीर भागे बीर

अच्छे और भले लोगों के सामने बुरे और ख़राब लोगों की कुछ नहीं चलती हमेशा भाग खड़े होते हैं

बीर चढ़ना

सर पर जिन या भूत का सवार होना

बीर-बँधनी

माथे पर पहनने का चाँदी या सोने का एक आभुषण

बीर-पपौंदी

قلمی پیر جو تخمی سے بڑا ہوتا ہے.

छूवारा-बीर

(सुखाया हुआ) लाल लंबे बेर की तरह

दान-बीर

وہ جو دان دینے میں بہادر ہو .

शूर-बीर

बहादुर, वीर, साहसी, हीरो, बहादुर आदमी, सूरमा सिपाही

बीरबहूटी

एक लाल रंग का मख़मल के समान नर्म और मुलायम सुंदर सा कीड़ा जो बरसात में पैदा होता है और सुखा करके औषधियों के काम में लाया जाता है

बीर बैठना

बीर बिठाना (रुक) का लाज़िम

बीर आसन

योग आसन जिसमें एक पैर मुड़ा होता है

बीर बिठाना

किसी पर मुवक्किल मुसल्लत करना, जादू करना

बीर बुलाना

हाज़िरात करना

रन-बीर

बहादुर, वीर

बीर-बाली

دلھن کی ناک میں پہنانے کی دو موتی اور ان کے درمیان نگ ڈال کر تیار کی ہوئی بالی ، نتھ

बीर-बौटी

एक लाल रंग का मख़मल के समान नर्म और मुलायम सुंदर सा कीड़ा जो बरसात में पैदा होता है और सुखा करके औषधियों के काम में लाया जाता है

बीर-रस

संस्कृत और हिन्दी साहित्य के नौ रसों में से एक रस, महाकाव्य

सूर-बीर

योद्धा, लड़ाकू, जंगजू

बीर-हड्डी

घुटने के नीचे की हड्डी में का उभार, घोड़े के अगले पाँव में पिंडली और घुटने के बीच की एक हड्डी जो बीर की गुठली की तरह होती हैऔर घोड़े को लंगड़ा कर देती है

बीर-बहुट्टी

गहरे लाल रंग का छोटा रेंगने वाला कीड़ा, जो देखने में बहुत ही सुन्दर होता है

भुक्का-बीर

بہت کھانیوالا ، پیٹو ، طامع.

नंद का बीर

خاوند (ہندو عورتیں خاوند کا نام نہیں لیتی تھیں)

गीद-गीद गुलौंदा खाए बीर-बीर महवे तले आए

महुवा फूल है गलोंदा इसी पेड़ का फल है, मतलब यह है कि जब किसी चीज़ का चिस्का पड़ जाए तो डर जाता रहता है

बीर-उल-अलम

مکے اور مدینے کے مابین ایک کنْویں کا نام جو تلمیحاً حضرت علی کی جنون سے جنْگ کے لیے مستعمل.

आए मीर भागे बीर

उच्च के सामने निम्न खड़ा नहीं हो सकता या ठहर नहीं सकता

बाद

पवन, हव

बा'द

पश्चात, उपरांत, (ज़माने के एतबार से) पीछे, पीछे का दौर, बाद वाला

आँख फड़के दहनी माँ मिले या बहनी, आँख फड़के बाईं बीर मिले या साईं

बाएँ आँख फड़के तो पति या पत्नि से भेंट होती है और दाएँ आँख फड़कने पर माँ या बहन से

बीर-ए-अलम

رک : بیر الالم .

बीर-ए-बाबिल

رک : چاہ بابل.

बार-काई

दरवाज़ा पर रोक, वह रुपया जो दूल्हा की बहनें दुल्हन के आने पर दूल्हा से लेती हैं

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

हर्फ़-ए-बद बर ज़बान-ए-बद बाशद

بُرے کے منْھ سے بُری بات نکلتی ہے

दाग़ बर बाला-ए-दाग़

दुख पर दुख, सदमा पर सदमा

दुमश बर्दाश्तम मादा बर आमद

کھودا پہاڑ نکلا چوہا ، جب کسی کی قلعی کھل جائے تب کہتے ہیں .

क़हर-ए-दरवेश बर-जान-ए-दरवेश

ग़रीब आदमी ग़ुस्सा करेगा तो किसी का क्या लेगा अपनी ही जान को अज़ाब में डालेगा, ग़रीब का ग़ुस्सा अपने ही ऊपर चलता है, किसी की मजबूरी या बेबसी के मौक़ा पर बोलते हैं

सलवात बर मोहम्मद व आल-ए-मोहम्मद

महमदऐ और ऑल-ए-मुहम्मद पर ख़ुदा की रहमत हो

सलवात बर मोहम्मद व आल-ए-मोहम्मद

महमदऐ और ऑल-ए-मुहम्मद पर ख़ुदा की रहमत हो

हर्फ़-ए-हक़-बर-ज़ुबाँ-शवद-जारी

سچی بات زبان سے نکل ہی جاتی ہے.

नक़्श-बर-दीवार

जो दीवार पर लिखा हो, दीवार पर बने चित्र या लेख आदि, दिवार पर लिखी चीज़, भित्तिलिखित चित्र, शांत, चुप, खामोश

बादशाह मारी पोदनी हम बैर बसावन जाएँ

मुक़ाबले के मौक़ा पर डरपोक का साथ दे कर अपने आप को क्यों मुसीबत में डाला जाये

बर-पापोश-ए-क़लंदर

कोई बात नहीं, अपने जूते की नोक से

जड़ से बैर, पत्तों से इख़्लास

मालिक से दुश्मनी और नौकरों से दोस्ती , बुज़ुर्गों से दुश्मनी और उन की औलाद और छोटों से मुहब्बत

जड़ से बैर, पत्तों से यारी

मालिक से दुश्मनी और नौकरों से दोस्ती , बुज़ुर्गों से दुश्मनी और उन की औलाद और छोटों से मुहब्बत

हर च अज़ दिल ख़ेज़द बर दिल रेज़द

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो कुछ दिल से उठता है दिल पर टपकता है , जो बात दिल से निकलती है दिल पर असर करती है

नौबत-ब-जाँ कारद बर उस्तख़्वाँ

जान पर बनी होना के स्थान पर प्रयुक्त, बहुत अधिक कष्ट में होने के अवसर पर कहते हैं

कुँजड़न अपने बेर खट्टे नहीं बताती

कोई अपनी चीज़ की बुराई नहीं करता

ज़बान जने एक बार, माँ जने बार बार

ज़बान का वचन एक ही होता है, ज़बान से एक बार जो कह दिया सो कह दिया, उस से पलटना नहीं चाहिए

नहद शाख़ पुर मेवा सर बर ज़मीं

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) फलों से लदी हुई टहनी ज़मीन पर सर रख देती है , अल्लाह ताला जिस को दौलत-ओ-इज़्ज़त दे उस को फ़िरोतनी इख़तियार करनी चाहिए

नज़ला-बर-'उज़्व-ए-ज़'ईफ़

(उर्दू में प्रयुक्त फ़ारसी कहावत) मुसीबत हमेशा कमज़ोरों पर आती है, फटकार केवल कमजोरों को ही लगाई जाती है, ग़ुस्सा कमज़ोर ही पर निकाला जाता है

बर-हसब-ए-दिल-ख़्वाह

दिल्ली इच्छा के अनुसार

नेक अंदर बद, बद अंदर नेक

अच्छे आदमी में भी कुछ न कुछ बुराई और बुरे में भी कुछ न कुछ अच्छाई होती है

माँ बेटों में लड़ाई हुई, लोगों ने जाना बैर पड़ा

अपनों की लड़ाई को लड़ाई नहीं समझना चाहिए, अपनों की लड़ाई या अप्रसन्नता देर तक नहीं रहती

माँ बेटों में लड़ाई हुई, लोगों ने जाना बैर पड़े

अपनों की लड़ाई को लड़ाई नहीं समझना चाहिए, अपनों की लड़ाई या अप्रसन्नता देर तक नहीं रहती

टूम कपड़े जिस घर पावें, ऐक छोड़ दस बैर आवें

अमीर आदमी चाहे तो जितनी शादियाँ मर्ज़ी से कर ले

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बिर

उपकार, भलाई, यश, पुण्य, दान, बख़्शिश

हिर-बिर न जानना

दो चीज़ों में फ़र्क़ ना कर सकना, क़ुव्वत-ए-तमीज़ से महरूम होना

बीर

भाई के लिए प्रयुक्त होनेवाला संबोधन,भाई; बंधु; भ्राता

बार

मर्तबा, दफ़ा

बा'र

मींगनी, बकरी ऊँट इत्यादि का मल

बीर दौड़ाना

मुवक्किलों को किसी काम को पूरा करने के लिए छोड़ना, जिन्न वग़ैरा से कुछ काम लेना

आए बीर भागे बीर

अच्छे और भले लोगों के सामने बुरे और ख़राब लोगों की कुछ नहीं चलती हमेशा भाग खड़े होते हैं

बीर चढ़ना

सर पर जिन या भूत का सवार होना

बीर-बँधनी

माथे पर पहनने का चाँदी या सोने का एक आभुषण

बीर-पपौंदी

قلمی پیر جو تخمی سے بڑا ہوتا ہے.

छूवारा-बीर

(सुखाया हुआ) लाल लंबे बेर की तरह

दान-बीर

وہ جو دان دینے میں بہادر ہو .

शूर-बीर

बहादुर, वीर, साहसी, हीरो, बहादुर आदमी, सूरमा सिपाही

बीरबहूटी

एक लाल रंग का मख़मल के समान नर्म और मुलायम सुंदर सा कीड़ा जो बरसात में पैदा होता है और सुखा करके औषधियों के काम में लाया जाता है

बीर बैठना

बीर बिठाना (रुक) का लाज़िम

बीर आसन

योग आसन जिसमें एक पैर मुड़ा होता है

बीर बिठाना

किसी पर मुवक्किल मुसल्लत करना, जादू करना

बीर बुलाना

हाज़िरात करना

रन-बीर

बहादुर, वीर

बीर-बाली

دلھن کی ناک میں پہنانے کی دو موتی اور ان کے درمیان نگ ڈال کر تیار کی ہوئی بالی ، نتھ

बीर-बौटी

एक लाल रंग का मख़मल के समान नर्म और मुलायम सुंदर सा कीड़ा जो बरसात में पैदा होता है और सुखा करके औषधियों के काम में लाया जाता है

बीर-रस

संस्कृत और हिन्दी साहित्य के नौ रसों में से एक रस, महाकाव्य

सूर-बीर

योद्धा, लड़ाकू, जंगजू

बीर-हड्डी

घुटने के नीचे की हड्डी में का उभार, घोड़े के अगले पाँव में पिंडली और घुटने के बीच की एक हड्डी जो बीर की गुठली की तरह होती हैऔर घोड़े को लंगड़ा कर देती है

बीर-बहुट्टी

गहरे लाल रंग का छोटा रेंगने वाला कीड़ा, जो देखने में बहुत ही सुन्दर होता है

भुक्का-बीर

بہت کھانیوالا ، پیٹو ، طامع.

नंद का बीर

خاوند (ہندو عورتیں خاوند کا نام نہیں لیتی تھیں)

गीद-गीद गुलौंदा खाए बीर-बीर महवे तले आए

महुवा फूल है गलोंदा इसी पेड़ का फल है, मतलब यह है कि जब किसी चीज़ का चिस्का पड़ जाए तो डर जाता रहता है

बीर-उल-अलम

مکے اور مدینے کے مابین ایک کنْویں کا نام جو تلمیحاً حضرت علی کی جنون سے جنْگ کے لیے مستعمل.

आए मीर भागे बीर

उच्च के सामने निम्न खड़ा नहीं हो सकता या ठहर नहीं सकता

बाद

पवन, हव

बा'द

पश्चात, उपरांत, (ज़माने के एतबार से) पीछे, पीछे का दौर, बाद वाला

आँख फड़के दहनी माँ मिले या बहनी, आँख फड़के बाईं बीर मिले या साईं

बाएँ आँख फड़के तो पति या पत्नि से भेंट होती है और दाएँ आँख फड़कने पर माँ या बहन से

बीर-ए-अलम

رک : بیر الالم .

बीर-ए-बाबिल

رک : چاہ بابل.

बार-काई

दरवाज़ा पर रोक, वह रुपया जो दूल्हा की बहनें दुल्हन के आने पर दूल्हा से लेती हैं

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

हर्फ़-ए-बद बर ज़बान-ए-बद बाशद

بُرے کے منْھ سے بُری بات نکلتی ہے

दाग़ बर बाला-ए-दाग़

दुख पर दुख, सदमा पर सदमा

दुमश बर्दाश्तम मादा बर आमद

کھودا پہاڑ نکلا چوہا ، جب کسی کی قلعی کھل جائے تب کہتے ہیں .

क़हर-ए-दरवेश बर-जान-ए-दरवेश

ग़रीब आदमी ग़ुस्सा करेगा तो किसी का क्या लेगा अपनी ही जान को अज़ाब में डालेगा, ग़रीब का ग़ुस्सा अपने ही ऊपर चलता है, किसी की मजबूरी या बेबसी के मौक़ा पर बोलते हैं

सलवात बर मोहम्मद व आल-ए-मोहम्मद

महमदऐ और ऑल-ए-मुहम्मद पर ख़ुदा की रहमत हो

सलवात बर मोहम्मद व आल-ए-मोहम्मद

महमदऐ और ऑल-ए-मुहम्मद पर ख़ुदा की रहमत हो

हर्फ़-ए-हक़-बर-ज़ुबाँ-शवद-जारी

سچی بات زبان سے نکل ہی جاتی ہے.

नक़्श-बर-दीवार

जो दीवार पर लिखा हो, दीवार पर बने चित्र या लेख आदि, दिवार पर लिखी चीज़, भित्तिलिखित चित्र, शांत, चुप, खामोश

बादशाह मारी पोदनी हम बैर बसावन जाएँ

मुक़ाबले के मौक़ा पर डरपोक का साथ दे कर अपने आप को क्यों मुसीबत में डाला जाये

बर-पापोश-ए-क़लंदर

कोई बात नहीं, अपने जूते की नोक से

जड़ से बैर, पत्तों से इख़्लास

मालिक से दुश्मनी और नौकरों से दोस्ती , बुज़ुर्गों से दुश्मनी और उन की औलाद और छोटों से मुहब्बत

जड़ से बैर, पत्तों से यारी

मालिक से दुश्मनी और नौकरों से दोस्ती , बुज़ुर्गों से दुश्मनी और उन की औलाद और छोटों से मुहब्बत

हर च अज़ दिल ख़ेज़द बर दिल रेज़द

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो कुछ दिल से उठता है दिल पर टपकता है , जो बात दिल से निकलती है दिल पर असर करती है

नौबत-ब-जाँ कारद बर उस्तख़्वाँ

जान पर बनी होना के स्थान पर प्रयुक्त, बहुत अधिक कष्ट में होने के अवसर पर कहते हैं

कुँजड़न अपने बेर खट्टे नहीं बताती

कोई अपनी चीज़ की बुराई नहीं करता

ज़बान जने एक बार, माँ जने बार बार

ज़बान का वचन एक ही होता है, ज़बान से एक बार जो कह दिया सो कह दिया, उस से पलटना नहीं चाहिए

नहद शाख़ पुर मेवा सर बर ज़मीं

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) फलों से लदी हुई टहनी ज़मीन पर सर रख देती है , अल्लाह ताला जिस को दौलत-ओ-इज़्ज़त दे उस को फ़िरोतनी इख़तियार करनी चाहिए

नज़ला-बर-'उज़्व-ए-ज़'ईफ़

(उर्दू में प्रयुक्त फ़ारसी कहावत) मुसीबत हमेशा कमज़ोरों पर आती है, फटकार केवल कमजोरों को ही लगाई जाती है, ग़ुस्सा कमज़ोर ही पर निकाला जाता है

बर-हसब-ए-दिल-ख़्वाह

दिल्ली इच्छा के अनुसार

नेक अंदर बद, बद अंदर नेक

अच्छे आदमी में भी कुछ न कुछ बुराई और बुरे में भी कुछ न कुछ अच्छाई होती है

माँ बेटों में लड़ाई हुई, लोगों ने जाना बैर पड़ा

अपनों की लड़ाई को लड़ाई नहीं समझना चाहिए, अपनों की लड़ाई या अप्रसन्नता देर तक नहीं रहती

माँ बेटों में लड़ाई हुई, लोगों ने जाना बैर पड़े

अपनों की लड़ाई को लड़ाई नहीं समझना चाहिए, अपनों की लड़ाई या अप्रसन्नता देर तक नहीं रहती

टूम कपड़े जिस घर पावें, ऐक छोड़ दस बैर आवें

अमीर आदमी चाहे तो जितनी शादियाँ मर्ज़ी से कर ले

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