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दाद
एक त्वचा रोग जिसमें खुर्रापन, ख़ुश्की या खुरदरापन त्वचा पर पैदा हो जाता है और उसके साथ खुजली होती है लेकिन उसमें दर्द नहीं होता यह अधिकतर मुदव्वर अर्थात वृत्त के आकार में होता है और उसका रंग कभी लाली लिए हुए होता है कभी कालापन, अरबी में क़ूबा अर्थात एक रोग, दाद
मल्लाह दर चीन व कश्ती दर फ़रंग
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) दो ला ताल्लुक़ चीज़ों में बड़ा फ़ासिला और दूरी होती है
दह दर दुनिया सद दर आख़िरत
दुनिया में यदि किसी से दस दर्जा भलाई करोगे तो आख़िरत मैं उस का सत्तर दर्जा पुण्य मिलेगा
हर च दर दिल फ़रूद आयद दर दीदा निको नमायद
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो चीज़ दिल में समा जाती है वो आँख को भली मालूम होती है , जिस चीज़ से हमारे दिल को कुछ लगाओ होता है वो हम को अच्छी मालूम होने लगती है
दर कफ़े जाम-ए-शरी'अत, दर कफ़े संदान-ए-'इश्क़
صُلح کُل پر عامل، پر ایک سے ملاپ رکھنے والا، موافق و مخالف دونوں کو خوش رکھنے والا.
दह दर दुनिया सत्तर दर आख़िरत
दुनिया में यदि किसी से दस दर्जा भलाई करोगे तो आख़िरत मैं उस का सत्तर दर्जा पुण्य मिलेगा
हर कि अज़ दीदा दूर अज़ दिल दूर
(فارسی کہاوت اُردو میں مستعمل) جو سامنے نہیں ہوتا اس کا خیال بھی نہیں رہتا ، جو آنکھ سے دور وہ دل سے دور ہوتا ہے ، آنکھ اوجھل پہاڑ اوجھل
हर च दर देग अस्त दर कफ़्चा मी आयद
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो कुछ देग़ में है वो कफ़चे या चमचे में आएगा , जो असलीयत होती है ज़ाहिर होकर रहती है , जो दिल में है वही ज़बान से भी ज़ाहिर होता है
पलंगड़ी-दार-ता'वीज़
(गोरकनी, क़ब्र खोदने का पेशा) पलंग के आकार का तावीज़ जो क़ब्र पर बनाया जाता है। उसका रूप यह है कि आयताकार आसन सा बनाते हैं और उसके बीच में मिट्टी भर देते हैं
मूछ-दार चमगादड़
एक प्रकार का चमगादुड़ जिसकी लम्बाई पूँछ के साथ लगभग ढाई इंच होती है और ऊपरी होंठ के दोनों ओर कुछ बालों वाली मूंछें होती हैं
'इश्क़-ए-अव्वल दर दिल-ए-मा'शूक़ पैदा मी शवद
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) मुहब्बत पहले माशूक़ के दिल में पैदा होती है
हर कि रा ज़र दर तराज़ूस्त ज़ोर दर बाज़ूस्त
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस के पास ज़र है इस के पास ज़ोर भी है, जिस के पास पैसा है वो ताक़तवर है
जो आँख से दूर वो दिल से दूर
आदमी जब तक सामने रहता है, तभी तक उस से प्रेम भी रहता है अर्थात मुँह-देखे का प्रेम होता है, अनुपस्थिति में आदमी याद भी नहीं रहता
दर बंद सत्तर दर खुले
जाविका का एक माध्यम समाप्त हुआ तो क्या चिंता किसी दूसरे माध्यम से अल्लाह ताला रोज़ी देगा
ज़र ज़र कशद दर जहाँ गंज गंज
(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) दुनिया में रूपया रूपए को खींचता है और ख़ज़ाना खज़ाने को
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