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हर किरा नीस्त अदब लाइक़-ए-सोहबत नबुवद
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल)जिस शख़्स में अदब नहीं वो सोहबत के लायक़ नहीं यानी बेअदब आदमी की सोहबत से गुरेज़ करो
हर किरा सब्र नीस्त हिकमत नीस्त
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल)जिस शख़्स में सब्र नहीं इस में अक़ल नहीं होती, बेसबर आदमी सोच समझ के काम नहीं कर सकता
कड़ा
(पदार्थ) जिसके कणों, तंतुओं, संयोजक अवयवों आदि की बनावट या संघात इतना घना, ठोस या दृढ़ हो कि उसे काटा, तोड़ा, दबाया या लचाया न जा सके और इसीलिए जिसमें कुछ गड़ाना या घसाना बहुत कठिन हो। कठोर। सख्त। ' कोमल ' या ' मुलायम ' का विपर्याय। जैसे-कड़ी जमीन, कड़ा तख्ता, कड़ा लोहा
देखा करे
(इच्छा उक्ति) किसी वस्तु की प्रशंसा में कहते हैं, किसी चीज़ की तारीफ़ में कहते हैं, मतलब ये है कि जिस के देखने से कभी जी न भरे
चिड़िया करे ख़ोंचा चड़ा करे नोचा
बीवी बेचारी तो थोड़ा थोड़ा करके जमा करती है मियां उड़ा डालते हैं , कमज़ोर की निसबत ज़बरदस्त से ज़्यादा नुक़्सान पहुंचता है
लड़नी रात करे बिछड़नी रात न करे
महबूब के साथ लड़ाई भी जुदाई से बेहतर है (लड़ाई झगड़े के मौक़ा पर प्रयुक्त)
'इश्क़ या करे अमीर या करे फ़क़ीर
'इश्क़ हर एक के बस का नहीं है, अमीर अथवा फ़क़ीर ही इस को निभा सकते हैं क्यूँकि दोनों को कोई चिंता नहीं होती
पड़ोस छोड़ पीत करे
कमीने आदमी के प्रति कहते हैं चूँकि उसे पड़ोसी भली भाँति जानते हैं वो उससे दोस्ती पैदा नहीं करते तो उसे दूर के लोगों से दोस्ती पैदा करनी पड़ती है
फ़ज़्ल करे तो छुट्टियाँ 'अद्ल करे तो लुट्टियाँ
ख़ुदा अगर मेहरबानी करे तो गुनाह की सज़ा से बचेंगे और अगर अदल करे तो बंदों को बचाओ की कोई सूरत नहीं
सासर साँसा मत करे देख थरेड़ा काम, थोड़े को बहता करे देन लगे जब राम
सास घबरा नहीं कि काम मंदा है, जब ख़ुदा देने को आता है तो थोड़ा बहुत हो जाता है
सासड़ साँसा मत करे देख थरेड़ा काम, थोड़े को बहता करे देन लगे जब राम
सास घबरा नहीं कि काम मंदा है, जब ख़ुदा देने को आता है तो थोड़ा बहुत हो जाता है
फूहड़ करे सिंगार माँग ईंटों से फोड़े
मूर्ख स्त्री के पास समय पड़ने पर कोई चीज़ नहीं निकलती इसलिये उसे अनुचित चीज़ें प्रयोग करनी पड़ती हैं
भाई भाव करे तल मारे ऊपर चाव करे
सामने से तो भाई की तरह प्यार करे और चाहत दिखाए और भीतर में शत्रुता करे
करे एक पकड़े जाएँ सब
एक व्यक्ति की बुराई से पूरी जाति या समुदाय पर आरोप लगाया जाता है, थोड़े से दुष्कर्म और सभी के लिए मुसीबत
राजा करे सो न्याव पासा पड़े तो दाँव
हाकिम जो फ़ैसला करे इंसाफ़ कहलाता है अगर बाज़ी जीते तो दाओ कहलाता है
राजा करे सो न्याव पासा पड़े तो दाव
हाकिम जो फ़ैसला करे इंसाफ़ कहलाता है अगर बाज़ी जीते तो दाओ कहलाता है
दो दिल राज़ी तो क्या करे क़ाज़ी
फ़रीक़ैन की रजामंदी में हाकिम दख़ल नहीं दे सकता, दो शख़्स मुत्तफ़िक़ हूँ तो तीसरा नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता
बी बी ख़ता करे बाँदी पकड़ी जाए
बड़े के दोष पर छोटे का दुर्भाग्य अर्थात बड़ा अपराध करे एवं छोटा पकड़ा जाए
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