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ज़ब
एक जंगली जानवर, गोह (छिपकली की जाति का एक बड़ा जंगली (लगभग डेढ़ फुट लंबा) जंतु), सूसमार
जब
जिस अवस्था में। जिस दशा या हालत में। (इस अर्थ में इसका नित्य संबंधी ' तो ' है)। जैसे जब उन्हें क्रोव चढ़ता है तो उनका चेहरा लाल हो जाता है। पद-जब कभी किसी समय। जब जब जिस जिस समय। जब तब कभी-कभी। जैसे-वहाँ जब-तब हो जाना होता है। जब देखो तब-प्रायः। अक्सर। जैसे-जब देखो तब तुम खेलते ही रहते हो। जब होता है तब अक्सर। प्रायः।
जब-का
पिछले समय के, भूत काल की, पूर्व की, गुज़श्ता ज़माने का, पहले का
जब-ही
इस वक़्त, ऐन उसी वक़्त, इसी समय, समय पर
ज़र हज़ार ज़ेब लगाता है बे-ज़र बिगड़ा नज़र आता है
रुपया से सब कुछ हो जाता है दरिद्र या कंगाल किसी काम का नहीं
जे़ब-दिह
رونق بخشنے والا ، زِینت افروز .
ज़ेब देना
अलंकृत करना, सुशोभित करना, ख़ूबसूरत बनाना
ज़ेब-आवर
ख़ुशनुमा, सुंदरता को रौशन करने वाला, ख़ूबसूरती बढ़ाने वाला
दीदा-जे़ब
आकर्षक, ख़ुशनुमा, आँखों को भली मालूम होने वाली चीज़, मोह लेने वाला
नाहीद-ज़ेब
(لفظاً) ناہید کو زینت بخشنے والا ؛ (مجازاً) سیارہ زہرہ سے زیادہ خوبصورت ؛ (کنا یۃ ً) حسین و جمیل ۔
'अदालत-ए-ता'ज़ीब
दंड की सज़ा सुनाने वाला न्यायालय, वह दरबार जो दंड निर्धारित करे
हर जामा ज़ेब की इज़ार
अर्थात: हर आकर्षक पुरुष पर मोहित हो जाने वाली महिला
जे़ब-बख़्श होना
चार चाँद लगाना, सजाना, ज़ीनत देना
बद-ज़ेब
भद्दा, बदनुमा, श्रीहीन, भोंडा
जे़ब-बख़्श
शोभा देने वाला, ख़ूबसूरती को बढ़ाने वाला, रौनक़ बढ़ाने वाला
ज़ेब-ओ-ज़ेवर
گہنا پاتا ، زیورات اور سامانِ آرائش.
ज़ेब करना
सजाना, विभूषित करना, सुंदर बनाना
ज़ेब होना
उचित होना, ठीक होना, मुनासिब होना
ना-ज़ेब
जो सदृश न हों या एक दूसरे से भिन्न हों, बेमेल, भद्दा
मुस्ता'ज़ब
मीठा किया हुआ, मीठा; (लाक्षणिक) बेहतर, कामयाब, सफल
जामा-ज़ेब
वह व्यक्ति जिसके शरीर पर कपड़े शोभा दें, जिसपर हर प्रकार का वस्त्र भला मालूम हो, फबन रखने वाला व्यक्ति
पा-ए-जे़ब
पाँव का एक आभूषण, (लाक्षणिक रूप से) पैर में पहना जाने वाला घुंघरूदार ज़ेवर
जामा-ए-ज़ेब
फा. वि. वह व्यक्ति जिसके शरीर पर कपड़े शोभा दें
ज़ेब-ओ-ज़ीनत
बनाव-सिंगार, वेशभूषा, ठाट-बाट, श्रृंगार और सजावट
बे-जे़ब-ओ-ज़ीनत
unadorned, plain, unkempt, dishevelled
नज़र-ज़ेब
नज़र को भला लगने वाला, सुंदर, ख़ूबसूरत
तन-ज़ेब
अच्छी गुणवत्ता की महीन मलमल
ज़ेब-तन
apparel imparting grace, beauty to body
कमर-ज़ेब
کمر کا زیور جو سونے یا چان٘دی کی زنجیر کی شکل کا ہوتا ہے ، عموماً ہندو عورتیں کمر پر باندھتی ہیں جس میں اکثر کنجیاں بھی لگا لیتی ہیں ، تا گڑی ، کٹ میکھلا .
ज़बु'
بجو ، ایک گوشت خور وحشی جانور جو دن کو زمین کے اندر رہتا ہے ، رات کو غذا کی تلاش میں نکتا ہے ، چھوٹے چھوٹے جانوروں اور نباتات پر زندگی بسر کرتا ہے ، رات کو موقع پر تازہ خام قبروں کو کھود کر نعش خراب کر دیتا ہے ۔
जब-से
उस वक़्त से, जिस वक़्त से, उस समय से, तब से
पूछें जब बोलिये , बुलाएँ जब जाईये
जब तक कोई पूछे नहीं तब तक बात बतानी नहीं चाईए, और जब तक कोई बुलाए नहीं इस के घर नहीं जाना चाहिए
जब दाँत न थे जब दूध दियो, जब दाँत भए तो क्या अन न देवे
ख़ुदा हर हाल में रोज़ी देता है
बिपत पड़ी जब भेंट मनाई, मुकर गया जब देनी आई
मुसीबत के समय मनुष्य को ईश्वर याद आता है और छुटकारा पाने के लिए तरह तरह के भेंट और मन्नतें मानता है परंतु जब मुसीबत टल जाती है तो सब कुछ भूल जाता है
बिपत पड़ी जब भेंट मनाई, मुकर गया जब देने आई
मुसीबत के समय मनुष्य को ईश्वर याद आता है और छुटकारा पाने के लिए तरह तरह के भेंट और मन्नतें मानता है परंतु जब मुसीबत टल जाती है तो सब कुछ भूल जाता है
बिपत पड़ी जब भेंट मानी, मुकर गया जब देनी आई
मुसीबत के समय मनुष्य को ईश्वर याद आता है और छुटकारा पाने के लिए तरह तरह के भेंट और मन्नतें मानता है परंतु जब मुसीबत टल जाती है तो सब कुछ भूल जाता है
मेव मरा जब जानिए, जब तीजा हो जाय
मेव अर्थात जाट बहुत हठ-जीव होते हैं ऐसी बातें प्राय: एक जाति दूसरी जातियों के प्रति कहती है
पराई जेब से अपनी जेब में धरना मुश्किल है
दूसरे से पैसा प्राप्त करना कठिन है
जब तक पहिय्या लुढ़के, लुढ़काए जाओ
जब तक काम निकलता है, निकाले जाओ
बदली की धूप जब निकले जब तेज़
बुरे स्वभाव वाला व्यक्ति हमेशा ग़ुस्सा ही से बोलता है
जब चने थे तब दाँत न थे, जब दाँत हुए तब चने नहीं
जवानी में निर्धनता थी आनंद न उठाया, दीर्घायु में धन मिला अब आनंद उठाने का बल ही नहीं
भोर भया जब जानिए जब पीले बादल होएँ
जब बादलों का रंग पीला हो तो जानना चाहिए कि सुबह होने वाली है
भोर भया जब जानिए जब पौरे बादल होएँ
जब बादलों का रंग पीला हो तो जानना चाहिए कि सुबह होने वाली है
भोर भया जब जानिए जब पेरे बादल होएँ
जब बादलों का रंग पीला हो तो जानना चाहिए कि सुबह होने वाली है
जब चने न थे तो दाँत थे , जब चने हुए तो दाँत नहीं
रुक : जब चुने थे अलख , बेवक़त किसी चीज़ का हासिल होना