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जानी-दुश्मन
वो दुश्मन जो मार डालने पर उतारू हो, जान का दुश्मन
जानी-जीवड़ा
(लाक्षणिक) प्रेमिका, प्रिय
जानी-दुश्मनी
جانی دشمن (رک) کا اسم کیفیت، جان کا دشمن ہونا.
जानी-दोस्त
जान की तरह प्यारा दोस्त, घनिष्ठ मित्र, पक्का दोस्त, सच्चा यार, प्यारा दोस्त (स्त्री या पुरुष)
सगजानी
लोभ,लालच, निर्दयता, बेरहमी।।
दिल-जानी
अत्यधिक प्रिय, जान से प्यारा, दिली दोस्त, महबूब, प्यारा
अम्मी-जानी
پیاری اماں ، ماں کے معنی میں ماں کو مخاطب کر نے کے لئے تعظیمی کلمہ.
अब्बा-जानी
प्यारे अब्बा (बाप को पुकारने का विनम्र वाक्य)
गिराँ-जानी
आलस्य, काहिली, कड़ी मुसीबतों में फँसकर भी उनसे निकलना, सख़्त जानी
सख़्त-जानी
निर्लज्जता का जीवन, कठोर पराक्रम, बहुत कठिनाई से जान का निकलना, अत्यधिक सहनशीलता
यक-जानी
एक जान होने की हालत, घनिष्ट मित्रता
आगम-जानी
नजूमी, ज्योतिषि, रम्माल, भविष्य की बातें बताने वाला
यार-ए-जानी
प्राणों की भाँति प्यारा मित्र, बहुत ही घनिष्ठ मित्र
ख़स्ता-जानी
बुरे हाल, व्यथित, पीड़ित, दुखी, संतप्त
दुश्मन-ए-जानी
घातक शत्रु, कट्टर दुश्मन, विरोधी
आनी-जानी
अस्थिर, कुछ दिन, क्षणभंगुर, अल्पकालिक, पतनशील, नश्वर
घर जानी मन मानी
अपनी इच्छा के अनुसार हर काम करना चाहिए
मन मानी घर जानी
ख़ुदमुख़तारी, बेजा ज़िद, आज़ाद है जो दिल चाहे सौ करता है
जग जानी, देस बखानी
जिस बात या स्त्री की सभी प्रशंसा करते हों, उस पर कहते हैं
संग-जानी
प्राण कठिनता से निकलना, निर्दयता, संगदिली।
बावा-जानी
باپ کےلئے پیار یا تعظیم کا کلمہ :
मुँह पर ख़ाला नानी, पीछे दुशमन जानी
चापलूस और धूर्त आदमी के बारे में कहते हैं
हरी खेती ग्याभन गाय मुँह पड़े तब जानी जाए
खेती और गाभिन गाय से जब कुछ हासिल हो जाये तब फ़ायदा समझना चाहिए, उन से जब तक कुछ हासिल ना हो जाये तब तक फ़ायदा शुमार ना करना चाहिए
धान पान पानी कातक स्वाद जानी
धान, पान और पानी का मज़ा कातिक में होता है
जैसा तेरा नून-पानी, वैसा मेरा काम जानी
जैसी मज़दूरी मिलती है वैसा ही काम होता है
जोगी जुगत जानी नाहीं, कपड़े रंगे तो क्या हुआ
सन्यासी या जोगी बनने के उसूल से अनभिज्ञ अथवा अपरिचित हैं और दिखावे के लिए गेरू में कपड़े रंग लिए हैं
जोगी जुगत जानी नहीं, कपड़े रंगे तो क्या हुआ
सन्यासी या जोगी बनने के उसूल से अनभिज्ञ अथवा अपरिचित हैं और दिखावे के लिए गेरू में कपड़े रंग लिए हैं
मुँह दर मुँह ख़ाला नानी , पीठ पीछे दुश्मन जानी
ज़ाहिर में ख़ुशामद और बातिन में अदावत रखने वाले के लिए मुस्तामल
मुँह दर मुँह ख़ाली , नानी पीठ पीछे दुश्मन जानी
۔مثل (عو) اس کی نسبت مستعمل ہے جو ظاہر میں خوشامد کی باتیں کرے اور درپردہ دشمن ہو۔ (بنات النعش) میں وزےر بیگم کے ہاتھوں اسی ظاہر داری کے دھوکے میں تو ماری پڑی بیٹھی چھُری۔ زہر کی بجھی مُنھ در مُنھ خالی نانی الخ۔