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सब कोई मिलियो, लंगोटिया न मिलियो
निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा
सब कोई मिले, लंगोटिया न मिले
निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा
सब कोई मिले पर लंगोटिया न मिले
निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा
सब को एक लाठी हाँकना
किसी के रुतबे और हैसियत का ख़्याल ना रखना, अहल और ना-अहल सबसे एक जैसा सुलूक करना
सब को एक लाठी से हाँकना
सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना, हर एक से एक तरह पेश आना, किसी के पद वग़ैरा का ख़्याल न करना
सब को कहो , मेरी ज़हूरन को कुछ न कहो
कोई औरत नसीहत पर नाराज़ हो जाये तो कहते हैं कि ये बहुत नाज़ुक मिज़ाज औरत है
सब को एक लकड़ी हाँकना
किसी के रुतबे और हैसियत का ख़्याल ना रखना, अहल और ना-अहल सबसे एक जैसा सुलूक करना
सब कोई झूमर पहिरे लंगडी कहे हम-हूँ
हर एक को देख कर वो भी जिसे किसी चीज़ की आवश्यकता न हो रेस करे तो कहते हैं
दिल को हो क़रार तो सब सूझें त्योहार
जिसे कोई परवाह न हो वही हर बात में आनंद ले सकता है, दिल को संतोष हो तभी किसी चीज़ का मज़ा लिया जा सकता है
दिल को हो क़रार तो सूझें सब त्योहार
जिसे कोई परवाह न हो वही हर बात में आनंद ले सकता है, दिल को संतोष हो तभी किसी चीज़ का मज़ा लिया जा सकता है
मर्द सब को मर्द करता है
एक बहादुर हो तो इस की देखा देखी दूसरे भी बहादुर बिन जाते हैं, एक अहल हो तो इस की अहलीयत का दूसरे साथीयों पर भी असर पड़ता है
सूई के नाके से सब को निकाला है
सबको आज्ञाकारी बनाया है, सब माँ के गर्भ से निकले हैं और सबका दर्जा बराबर है, मुश्किलों का सामना सबको पड़ा है
काजल सब को देना आता है पर चितवन भाँत भाँत
काजल सब आँखों में लगाते हैं मगर किसी किसी को भला मालूम देता है
परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दुई बात का खोट है रहे न संग ले जाय
परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है
अन-होती को होत को ताकत है सब को, अन-होनी होनी नहीं होनी, होवे सो होए
जो होना है या जो भाग्य में है वह होकर रहता है, जो नहीं होना या जो भाग्य में नहीं है वह कभी नहीं होगा, यद्यपि बहुत से लोग असंभव बात की आशा रखते हैं, परंतु असंभव बात होती नहीं
परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय
परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है
सारे धड़ की सूई निकालने को कोई नहीं , आँख की सूई निकालने को सब कोई
थोड़ा सा काम कर के ज़्यादा सुलह हासिल करना सब चाहते हैं, मगर मेहनत करने से जी चुराते हैं
गाँव में पड़ी मरी , अपनी अपनी सब को पड़ी
मुसीबत के वक़्त कोई किसी की मदद नहीं करता, सब को अपनी अपनी पड़ी होती है
साईं जिस के साथ हो उस को सांसा क्या, छिन में उस के कार सब दे भगवान बना
ईश्वर जिसका सहायक हो उसके काम पल में बन जाते हैं
क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई
मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता
क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई
मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता
माघ पूस की बादरी और कुँवार का घाम, इन सब को झेल कर करे पराया काम
नौकरी करनी आसान नहीं है इस में माघ और पोस की बारिश, कुआर की गर्मी बर्दाश्त करनी पड़ती है तब मालिक का काम होता है, नौकरी में गर्मी, सर्दी, बरसात सब को झेलना पड़ता है
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