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फ़ाख़्ता
पंडुक नामक पक्षी, पंडुकी, क़ुमरी
फ़ाख़्ता उड़ाना
सोए हुए घनिष्ट मित्र के गाल पर तोमी हुई रूई रखकर या पाँव की उँगलियों में रूई और काग़ज़ आदि लगाकर जलाना जिससे वह जाग उठे, शरारत या मज़ाक़ से किसी को हल्की फुल्की सज़ा देना, शरारत या मज़ाक़ के तौर पर अचानक थप्पड़ रसीद करना
लंडूरी-फ़ाख़्ता
(रूपकात्मक) वो औरत जिस का कोई सहारा न हो, बेकस, निगोड़ी, गंजी
मुँह पर फ़ाख़्ता उड़ जाना
(दिल्ली) मुह पीला पड़ जाना, चेहरा पर हवाईयां उड़ने लगना
सुर्ख़-फ़ाख़्ता
یہ سات قسم کی ہوتی ہے ... (۱) فاختہ دیسی جس کو پنجابی میں گھوگی کہتے ہیں (۲) ٹوٹرو (۳) گرڑی سُرخ فاختہ (۴) فاختۂ کوکلاں دیسی (۵) ہریل (۶) قمری دیسی (۷) چترول چتکبری دیسی (۸) گنوئیں یا گھن٘وان
सूल-फ़ाख़्ता
तबले आदि की तालों के एक संकलन का नाम जिसमें तीन तालें होती हैं (संगीत)
उसूल-ए-फ़ाख़्ता
(music) a kind of rhythm having 17 beats
गज़ दो फ़ाख़्ता
एक तीर से दो निशाने, एक तीर से दो शिकार, एक काम से दो फ़ायदे (एक इक़दाम से दो मक़सद पूरे होने के मौक़ा पर मुस्तामल)
अंडे सेवे फ़ाख़्ता , कव्वे मेवे खाएँ
मशक़्क़त करे कोई और मज़े उड़ाए कोई
भोगें बी-फ़ाख़्ता और कव्वे अंडे खाएँ
जब श्रम कोई और करे और उसका लाभ कोई और उठावे तो कहते हैं
दर्द सहें बी फ़ाख़्ता , काैवे अंडे खाएँ
रुक : दुख भरें बी फ़ाख़ता और कव्वे अंडे खाईं
दुख भरें बी फ़ाख़्ता और काैवे अंडे खाएँ
तकलीफ़ कोई उठाए और लुतफ़ कोई हासिल करे
यक गज़ दो फ़ाख़्ता
एक पंथ दो काज, एक दाव या वार में दुश्मनों का काम तमाम, एक तीर से दो शिकार, एक तदबीर से दो काम होना
मुँह पर फ़ाख़्ता उड़ना
चेहरे का रंग बदल जाना, चेहरा फ़क़ होना, चेहरे पर हवाईयां उड़ना
थका शिकारी फ़ाख़्ता मारे
मजबूरी की हालत में जो काम भी हो जाए, उसे लाभ समझना चाहिए
दुख सहें बी फ़ाख़्ता और कव्वे अंडे खाएँ
दुख भोगें बी फ़ाख़्ता और कव्वे अंडे खाएँ
used when someone gets the benefit for another's hard work
गए वो दिन जब ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारते थे
वह दिन निकल गए, जब ख़लील ख़ाँ मौज करते थे
गए वो दिन जो ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारते थे
خوش اقبالی کا زمانہ جاتا رہا ، اب ادبار کا زمانہ ہے.
ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता उड़ा चुके
थोड़ा सा काम करके बहुत इतराने वाले के लिए व्यंग्य से कहते हैं
मुँह पर फ़ाख़्ता उड़ जाना
चेहरे का रंग बदल जाना, चेहरा फ़क़ होना, चेहरे पर हवाईयां उड़ना
ख़लील ख़ाँ ने फ़ाख़्ता मारी
۔मिसल अदना काम पर बहुत इतराने वाले की निसबत बोलते हैं
वो दिन गए जब ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारा करते थे
भाग्यशाली एवं ख़ुशहाली का ज़माना गुज़र गया
वो दिन गए कि ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता उड़ाया करते थे
वह दिन निकल गए, जब ख़लील ख़ाँ मौज करते थे
वो दिन गए कि ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता मारा करते थे
भाग्यशाली का ज़माना गुज़र गया, वह दिन नही रहे, वह युग नही रहा
वो दिन गए जब ख़लील ख़ाँ फ़ाख़्ता उड़ाया करते थे
वह दिन निकल गए, जब ख़लील ख़ाँ मौज करते थे