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परदेस
परदेश, विदेश, बेगाना मुलक, अजनबी मुलक या शहर, जो अपना वतन न हो
प्रदेस सहना
ग़ैर मुलक में सुकूनत पज़ीर होना,वतन छोड़ना, एक अर्से तक अपने अज़ीज़ों से जुदा रहना
परदेस जाना
विदेश जाना, यात्रा करना, अपनी मातृभूमि छोड़कर कहीं और जाना, सफ़र करना
परदेस छाना
वतन छोड़ देना, देश छोड़ना, विदेश में रहना, दूसरे देश में छावनी डाल देना, ग़ुर्बत में रहना
परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दुई बात का खोट है रहे न संग ले जाय
परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है
प्रदेस कलेस नरेश को
प्रदेस में राजा को भी तकलीफ़ होती है
प्रदेस कलेस नरेशन को
प्रदेस में राजा को भी तकलीफ़ होती है
प्रदेस पराया माँ न माँ का जाया
ग़ैर जगह या दूसरे मुलक में अजनबी लोग होते हैं कोई सगा रिश्तेदार माँ या भाई नहीं होते
परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय
परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है
परदेसी
परदेस से संबंधित, ग़ैर मुल्की, ग़ैर मुलक का, बाहरी, अपना घर छोड़कर दूसरे शहर में रहने वाला, देस देस घूमने वाला, मुसाफ़िर, अन्यदेशीय, अजनबी, बाहर से आया हुआ
परदेसन
अजनबी औरत, मुसाफ़िर औरत, महिला विदेशी, महिला आप्रवासी
प्रदेसी का जी आधा होता है
प्रदेस में मनुष्य का हौसला नहीं रहता
पर्देसिया
पूरब में गाये जानेवाले एक प्रकार के गीत जिनमें परदेस गये हुए पति के संबंध में उसकी प्रियतमा के उद्गारों का उल्लेख होता है और जिनके प्रत्येक चरण के अंत में 'परदेसिया ' शब्द होता है
परदेसी-आदमी
वह व्यक्ति जो देश से बाहर यात्रा में रहे और कभी किसी कारणवश देश में आ जाए
परदेसी बलम तेरी आस नहीं, बासी फूलों में बास नहीं
परदेसी जिससे मिलने की आस न हो उससे प्रेम करनी व्यर्थ है
प्रदेसी की पीत फूँस का तापना
अजनबी की मुहब्बत का एतबार नहीं
देस-प्रदेस
अपना मुल्क हो या अजनबी मुल्क, अर्थात : हर जगह, जगह जगह
देस चोरी न प्रदेस भीक
अपने देश में चोरी करने से विदेश में भीख माँगना अच्छा है क्योंकि वहाँ कोई पहचानेगा नहीं और उस में लाज की कोई बात नहीं होगी
जिस के कारण जोग भई वो सय्याँ प्रदेस
जिस से मुहब्बत है उसे पर्वा नहीं
कर खेती परदेस को जाए, वाको जनम अकारथ जाए
अगर कृषक परदेस को चला जाए तो आयु बर्बाद करता है
कर खेती परदेस को जाए, ताको जनम अकारत जाए
अगर कृषक परदेस को चला जाए तो आयु बर्बाद करता है
पेट के वास्ते परदेस जाते हैं
रोज़ी रोटी के लिए लोग सफ़र करते हैं
देस चोरी, प्रदेस भीक
अपने देश में चोरी करने से विदेश में भीख माँगना अच्छा है क्योंकि वहाँ कोई पहचानेगा नहीं और उस में लाज की कोई बात नहीं होगी
जैसे कंथा घर रहे वैसे रहे परदेस
निकम्मा आदमी घर रहे या बाहर बराबर ही है , औरतें अपने शौहर के लिए भी बीवी से बेरुख़ी बरतता है बोला करती हैं , जो शख़्स देस में अपनी कमाई उड़ा लुटा कर घर ख़ाली हाथ आए उस की निसबत भी बोलते हैं
पराया दिल परदेस बराबर
दूसरे के दिल का कुछ पता नहीं होता कि उस के क्या विचार हैं
देस चोरी , प्रदेस भीक
वतन से बाहर पस्त से पस्त तर पेशा इख़तियार करने में कोई श्रम-ओ-आर नहीं मगर वतन में वही काम छुप कर करना होता है (हिफ़्ज़-ए-आबरू के लिए वतन छोड़ने के मौक़ा पर मुस्तामल है)