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गधा खरसा में मोटा होता है
मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती
गधा खुरसे में मोटा होता है
बेवक़ूफ़ को रंज के मौक़ा पर ख़ुशी और ख़ुशी में रंज होता है, अहमक़ मुफ़लिसी में भी दुबला नहीं होता
गधा-लोट
(पहलवानी) पहलवानी का एक दाँव जिसके लगाने से ज़मीन पर गिरा हुआ पहलवान अपने दुश्मन की पकड़ से निकल कर उठ कर खड़ा हो जाता है
गधा पीटे से घोड़ा नहीं होता
मूर्ख को पीट कर सपझदार नहीं बनाया जा सकता, मुर्ख प्रयासों के बाद भी बुद्धिमान नहीं हो सकता, सत्यता नहीं बदल सकती
गधा गिरे पहाड़ से, मुर्ग़ी के टूटे कान
एक असंबद्ध बात, असंभव बात, न गधा पहाड़ से गिरता है न मुर्ग़ी के कान टूट सकते हैं
गधा धोए से बछरा नहीं होता
कमीना लिबास से शरीफ़ नहीं बिन सकता है, ज़ेबाइश-ओ-आराइश से बुरी चीज़ अच्छी नहीं हो सकती
गधा मक्के से फिर आवे वो हाजी नहीं हो जाता
ये कहावत शेख़ सादी के इस शेअर का तर्जुमा है : ख़र ईसा अगर ये मक्का रौद जो बयाबद हनूज़ ख़र बाशद
गधा-लोटन
थकावट मिटाने के लिए या मस्त होकर गधे का ज़मीन पर इधर-उधर लोटना, वह स्थान जहाँ इस प्रकार गधा लोटा हो, लड़कों का एक प्रकार का खेल
गधा क्या जाने ज़ा'फ़रान की क़द्र
नालायक़, अक्षम और बेवक़ूफ़ को अच्छी चीज़ या बहुमूल्य सामान की क़द्र नहीं होती, अज्ञानी शख़्स किसी चीज़ का वास्तविक महत्त्व क्या जाने
गधा दलदल में फँसना
किसी ऐसे झगड़े में फँसना जिससे निकलना हित मुश्किल या नामुमकिन हो, किसी बड़े क़ज़िए में उलझना जिससे कोई मुफ़िर ना हो
गधा बरसात में भूका मरे
मूर्ख व्यक्ति अपनी मूर्खता के कारण भूका मरता है, दुर्भाग्यवान व्यक्ति को तब भी कुछ नहीं मिलता है जब हर किसी के पास सब कुछ होता है
गधा गया तो गया रस्सी भी ले गया
बड़े नुक़्सान की पर्वा नहीं छोटे नुक़्सान का अफ़सोस है , एक नुक़्सान तो हुआ था, उस की वजह से दूसरा भी हुआ, चीज़ भी गई और दूसरा नुक़्सान भी हुआ
गधा गया दुम की तलाश में , कटा आया कान
अहमक़ अपने नुक़्सान की तलाफ़ी के लिए कोशिश करता हुआ नुक़्सान कर बैठा
धोबी का गधा घर का न घाट का
हर तरफ़ से टकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद , उस शख़्स की बाबत कहेंगे जिसे हर तरफ़ से धुतकार देव गया हो
अल्सी का झोड़ा न गधा न घोड़ा
किसी काम का नहीं, किसी उपयोग का नहीं, उम्र-दराज़ (अधीक आयु के लोग) अपने को निम्न प्रकट के लिए बोलते हैं
अल्सी का झोड़ा न गधा खाए न घोड़ा
کسی کام کا نہیں، کسی مصرف کا نہیں، عمر رسیدہ شخص اپنے متعلق کسرِ نفسی کے طور پر کہتا ہے
मूरख को मत सौंप तू चतुराई का काम, गधा बिकत मिलते नहीं बध घोड़े के दाम
मूर्ख को बुद्धि का काम नहीं सौंपना चाहिए, गधे का मूल्य बड़े घोड़े के बराबर नहीं मिलता
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