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त्रिलोक
(पुराण) तीनों लोक अर्थात पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल, स्वर्ग, मर्त्य और पाताल ये तीनों लोक, सारा ब्रह्माण्ड
त्रिदंडी
मन, वचन और कर्म तीनों को दमन करने या वश में रखने वाला व्यक्ति, एक साधु जो दुनिया को छोड़ देता है और बांँस के तीन टुकड़ों के साथ घूमता है या साधु जिसका शरीर, दिल, जीभ और विचार शब्दों और वाक्यांशों के नियंत्रण में हैं
त्रिभुज
(ज्यामिति) वह आकृति जिसमें तीन भुजाएँ होती हैं, तीन भुजाओं का क्षेत्र, त्रिभुजाकार स्थान, तीन रेखाओं या भुजाओं से घिरा हुआ धरातल, त्रिकोण
त्रिलोका
तीनों लोक अर्थात पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल, स्वर्ग, मर्त्य और पाताल ये तीनों लोक, सारा ब्रह्माण्ड
त्रिमूर्ति
(हिंदू) तीन देवता (ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश) के चेहरे रखने वाला, ब्रह्रा, विष्णु और शिव ये तीनों देवता
त्रिगंधक
رک : ترجاتک ، بھاؤ پرکاش میں لکھا ہے کہ ہندی میں چھوٹی الائچی تج اور تیزپات کی ترکیب کا نام ہے ، ترجاتک
त्रिशूल
तंत्र के अनुसार एक प्रकार की मुद्रा जिसमें अँगूठे को कनिष्ठा उँगली के साथ मिलाकर बाकी तीनों उँगलियों को फैला देते हैं
त्रि-पाप
फलित ज्योतिष में, एक प्रकार का चक्र जिससे किसी मनुष्य के किसी वर्ष का शुभाशुभ फल जाना जाता है
त्रिकालदर्शी
(पुराण) तीन कालों की बातें देखने वाला, वह जिसे भूत, तीनों कालों (वर्तमान, भूत और भविष्य) पर विचार करने वाला या समझने वाला व्यक्ति, सर्वज्ञ, त्रिकालज्ञ
त्रासन
त्रास देने अर्थात् डराने का कार्य, भयानक डराने की क्रिया, डराने वाला, भय दिखाने वाला, जो आशंकित हो
त्रिमूर्ति
ईसाई: ईसाई धर्मानुसार पवित्र त्रिमूर्ती वो है जिसमें पीत, पुत्र और आत्मा का मिलन हो हिंदू: ब्रह्मा, विष्णु और शिव ये तीनों देवता, सूर्य, ब्रह्मा की एक शक्ति, बौद्धों की एक देवी, तीन देवताओं वाला, एक देवता की उपाधि तीन शक्लों वाला
त्रियाबेद
स्त्रियोंं की विद्या, वो विद्या जिसमें स्त्रियोन के चरित्र और उनके बारे में विद्या प्राप्त की जती है
त्रिया चरित्र न जाने कोय, ख़सम मार के सती होय
स्त्री के धोखे और मक्कारी को कोई नहीं समझ सकता, पति की हत्या करके ख़ुद भी सती हो जाती है
त्रिया पुरुख बिन है दुखी जैसे अन्न बिन देह, जले बले है जेवड़ा जों खेती बिन मेंह
बिना पति के स्त्री इस तरह दुख एवं पीड़ा में रहती है जैसे शरीर बिना अनाज के और इस तरह जलती है जैसे खेती बिना बारिश के
त्रेता के बीजों को पहुँच गए
बहुत गिरे, बहुत पतन हुआ, त्रेता के युग में पहुँच गए अर्थात बहुत विश्वासपात्र और सच्चे बन गए
गुर-मंत्र
वह मंत्र जो कोई गुरु किसी को अपना शिष्य बनाते समय देता है, कोई काम करने की सबसे बड़ी युक्ति जो किसी अनुभवी के द्वारा बताई जाती है
मंत्र-तंत्र
वे मंत्र जो कुछ विशिष्ट प्रकार की क्रियाओं के साथ जादू-टोने के रूप में किसी अभीष्ट की सिद्धि के लिए पढ़े जाते विशेष-ऐसे मंत्र या तो तंत्रशास्त्र के क्षेत्र के होते हैं, या उनके अनु करण पर मन-माने ढंग से बनाये हुए होते हैं
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