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कभूँ
कभी, किसी वक़्त, किसी भी क्षण या समय में
क़ुब्ह
दोष, ऐब, खराबी, त्रुटि, ग़लती, भोंडापन
क़बह
पक्षी की एक क़िस्म जो चकोर के जैसा होता है
क़बीह
बुरा, ख़राब, जो शोभा न देता हो, घृणित
क़ब्बाह
निकृष्ट होना,खराब होना, बुरा होना
क़बाएह
बुराइयाँ, बुरे कर्म, बुरे पात्र, दोष (अच्छे कर्मों के विपरीत)
कभी का
किसी ज़माने या समय का, पहले का, अतीत का, किसी काल का, बहुत समय पहले का, एक लंबे समय से, बहुत देर से
कभी के
(दिल्ली) कब के, अब से बहुत पहले, किसी ज़माने या समय का, पहले का
कभी-नहीं
हरगिज़ नहीं, पूर्ण इनकार के अवसर पर बोलते हैं, कभी-कभी नहीं
कुभ निकाल देना
कब निकालना, टेढ़ दरुस्त करना , (तंज़न) मिज़ाज दरुस्त कर देना
क़बीह-पेशानी
वह घोड़ा जिसकी पेशानी ऊँची होती है और जो आमतौर पर बदसूरत (कीना परवर और बदशगुनी की निशानी समझा जाता है)
कभी-कभी
रह-रह कर, किसी समय, किसी अवसर पर, कुछ समयांतराल पर, कभी कभार, वक़तन फ़वक़तन, बहुत कम, कभी कभी ख़त भेज दिया करो, वो यहां कभी कभी आजाते हैं
क़ुब्ह-पेशानी
ऊँचे माथे वाला, घोड़े की ऊँची पेशानी जो भोंडा और ख़राब माना जाता है
कभी-कभार
किसी औसर पर, यदा-कदा, कभी-कभी, एकाध-बार, भूले-भटके, किसी रोज़
कभी गाड़ी नाव पर, कभी नाव गाड़ी पर
कभी पदोन्नति होती है और कभी गिरावट, इन्क़िलाब होता ही रहता है, हालात बदलते रहते हैं
कभी गाड़ी नाव पर और कभी नाव गाड़ी पर
कभी पदोन्नति होती है और कभी गिरावट, इन्क़िलाब होता ही रहता है, हालात बदलते रहते हैं
कभी गाड़ी नाव पर कभी नाव गाड़ी पर
۔مثل۔ گاہے چُنیں گاہے چُناں کی جگہ۔ انقلاب ہوا ہی کرتا ہے۔ ترقی و تنزُّل لازمی ہے۔ ؎
कभी रात बड़ी कभी दिन बड़ा
ज़माना एक हाल पर नहीं रहता, तग़ी्यर-ओ-तबद्दुल ज़माने का मिज़ाज है
कभी दिन बड़ा कभी शब तवील
रुक : कभी के दिन बड़े कभी की रातें
कभी का दिन बड़ा कभी की रात बड़ी
۔مثل۔ زمانہ ایک حال پر نہیں رہتا۔ ؎
कभी न सोई साँठड़े, सपने आई खाट
ख़्याली पुलाव पकाने वाले पर नज़र, हैसियत से बाहर ऊँचे ख्याल बांधना
क़बीह-सूरत
बुरी सूरत वाला, कुरूप, कदाकार।
कभी न काइर रन चढ़े और कभी न बाजे हम
नामर्द किसी जोगा नहीं होता, पस्तहिम्मत से काम नहीं होता, बुज़दिल से कुछ नहीं होसकता
कभी न देखी चद्दर चदरी
डींग मारने वाली स्त्री के प्रति कहते हैं कि पास कुछ नहीं और बातें बड़ी बड़ी
कभी के दिन बड़े कभी की रातें
संसार एक हाल पर स्थिर नहीं, कभी उन्नति है कभी अवनति, ज़माना और हालात बदलते रहते हैं
कभी न गाँडू रन चढ़े, कभी न बाजे बम
कायर कभी रणभूमि में नहीं जाता और न कभी उसके आगे नक़्क़ारा अर्थात बाजा बजता है
कभी शरमाया तो करो
दोस्त के नहीं आने की शिकायत
कभी का दिया काम आया
कभी कोई अच्छा काम किया था जिसके कारण बला टल गई
कभी न सोई सांथरे, सपने आई खाट
ख़्याली पुलाव पकाने वाले पर नज़र, हैसियत से बाहर ऊँचे ख्याल बांधना
कभी तोला कभी माशा
एक हालत पर टिका न रहने वाला, कभी कुछ कभी कुछ, एक हालत पर क़रार नहीं है
कभी न देखा बोरिया और सपने आई खाट
ख़्याली पुलाव पकाने वाले पर नज़र, हैसियत से बाहर ऊँचे ख्याल बांधना
कभी धोई तिल्ली का तेल भी सर में डाला था
(शेखी ख़ोरे पर तंज़) दाया बहुत कुछ, हक़ीक़त कुछ नहीं
काभर का पानी उभार रखना
۔مذکر۔ ایک قسم کا آنکھ کا مرض جس سے زردی چھا جاتی ہے۔ اس معنی میں فعل جمع میں آتا ہے۔ چار مہینے سے اُس کے کانور ہوگئے ہیں۔ ۲۔مونث۔ ایک لکڑی میں دونوں طرف ٹوکریاں رکھ کر ان میں گنگا کے شیشے رکھتے ہیں۔ ؎
कभी ज़मीन पर, कभी आसमान पर
बहुत ज़्यादा ग़ुस्से में क़ाबू से बाहर होने की जगह कहते हैं
कुंभ का मेला
a fair held by Hindus every twelfth years at Haridwar and Allahabad (so called because the sun is then in Aquarius
क़बाहत निकलना
बुरा परिणाम होना, किसी के हक़ में बुरा होना, दिक्कत पैदा होना, मुसीबत आना
कभी कुछ है कभी कुछ है
यथास्थिति हमेशा नहीं रहती
कभी न सोई सांतरा सुपने आई खाट
हमेशा के कंगाल दिल में ख़्याल तवंगरी का
कभी कूँडे के उस पार कभी इस पार
सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है
क़बाहात
बाधाएँ, दिक्कतें, बुराईयाँ, ख़राबियाँ, दोष
कोंभल
رک : کومھل ، نقب ، سیندھ .
क़ुबूहात
दोष, अवगुण, ख़राबियाँ, बुराईयाँ
क़बा होना
क़बा करना (रुक) का लाज़िम, चाक होना, पारापारा होना