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गाँव
ग्राम, छोटी बस्ती या आबादी, मौज़ा, ग्राम, जनपद, शहर से दूर स्थित खेती बाड़ी पर अवलंबित किसानों-खेतिहरों का निवास, देहात, खेड़ा
गाँव
ग्राम, छोटी बस्ती या आबादी, मौज़ा, ग्राम, जनपद, शहर से दूर स्थित खेती बाड़ी पर अवलंबित किसानों-खेतिहरों का निवास, देहात, खेड़ा
गवाह
ऐसा व्यक्ति जिसने कोई घटना स्वयं देखी हो अथवा जिसे किसी घटना, तथ्य बात आदि की ठीक और परी जानकारी हो, साक्षी, गवाह, गवाही देने वाला, जैसे: बहुत से लोग इस घटना के गवाह हैं
गाव गाह गाह , माही हर माह , बुज़ हर पगाह
तबीबों का क़ौल है कि गाय का गोश्त कभी कभी मछली महीने में एक बार और बिक्री का गोश्त हर रोज़ खाना चाहिए
गाव आमद ख़र रफ़्त
गाव आमद-ओ-ख़र रफ़त दरअसल मशहूर मिसरा मारा चह अज़ीं क़िस्सा कि गाव आमद-ओ-ख़र रफ़त का एक जुज़ु है और लाताल्लुक़ी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर बोला जाता है
गाव-ज़बान-शीरीं
ایک روئیدگی جس کے پتّے زمین پر بچھے رہتے ہیں اور کھردرا پن اُن میں گاؤ زبان کی طرح ہوتا ہے اس کا پھول سرمئی رنگ کا ہوتا ہے جسے کحلا کہتے ہیں ، اذان الثور.
गाव ज़ोरियाँ दिखाना
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गाँव में धोबी का लड़का छैल
गाँव में धोबी का लड़का ही उतसुक बना फिरता है, क्योंकि उस का बाप शहर वालों के जो कपड़े धोने लाता है, वह उन्हें पहनता है, जो गाँव वालों को देखने को नहीं मिलते, धोबी का बेटा गाँव में सब से अच्छे कपड़े पहनता है, क्योंकि उस के कपड़े उजले होते हैं
गाँव डूबा जाए सवाने की लड़ाई
ज़मीन॒दार मामूली झगड़ों में बहुत सा रुपया लगा देते हैं, ज़मींदार फ़ुज़ूल झगड़ों में पड़े रहते हैं और गान॒ो बर्बाद होता है
गाव-ज़बान
ایک روئیدگی یا بُوٹی جو گز بھر کے قریب لمبی بلکہ اس سے بھی بڑی بڑی ڈالیاں زمین پر بچھی ہوتی ہیں. پتّے اس کے کھردُرے اور ان پر اُبھرے ہوئے اجزأ گائے کی زبان سے مشابہ ہوتے ہیں ، لسان الثور (لاط : Anisomeles Malabarica) .
गाव-ज़बान
एक प्रसिद्ध औषधि जो जंगलों में पाई जाती है, एक बूटी, यह ईरान के गीलान प्रदेश में होती है, इसकी पत्तियाँ मोटी, खुर्दरी और हरे रंग की होती हैं, जिनपर बैल की जीभ की तरह छोटे-छोटे सफ़ेद रंग के उभरे हुए दाने होते हैं, इसके फूल लाल रंग के छोटे-छोटे होते हैं, यह पत्ती हकीमों की दवा के काम आती है इसकी प्रकृति समशीतोष्ण अर्थात सामान्य होती है और ज्वर एवं खाँसी आदि में दी जाती है, मीज़ान-उल-अदविया में लिखा है कि भारत में इसे संखाहुली कहते हैं और यह पटना के पास होती है, पर संखाहुली की पत्ती गावज़बान की पत्ती से नहीं मिलती
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