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अश्क़ा

बहुत ही निर्दय, बहुत ही शक़ी।

'आशिक़े

प्रशंसा और शाबाशी के शब्द, (बाज़ारी) शाबाश, आफ़रीन, स्वागत है, क्या कहना है

'आशिक़ा

इश्क़ करने या चाहने वाली

'आशिक़ी

प्रेम, स्नेह, अनुराग, चाहत, इश्क़ होना, मुहब्बत, फ़रेफ़्तगी, आशिक़ होने की क्रिया या भाव, प्रेमासक्ति

अश्क़र

सिर से पाँव तक लाल घोड़ा (जिसकी सुर्ख़ी तीक्ष्ण झुकी हुई हो), दास्तान अमीर हमजा में अमीर हमजा का घोड़ा, बहराम गोर का घोड़ा

'आशिक़-ओ-मा'शूक़

प्रेमी और प्रेमिका, वो दो लोग जो एक दूसरे से प्रेम करते हैं

इशक़ा

दुख देना, रंज देना

'अशिक़ा

इशक़-ए-पेचाँ, एक प्रसिद्ध बेल

'अशीक़ा

प्रेमिका, प्रेयसी, माशूक़ा

'इश्क़ी

of or relating to love, amatory, an amorous man a lover

'आशिक़ुश-शजर

एक बेल जो पेड़ों पर लिपट जाती है

आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

सब्ज़ सब्ज़ क्या है , 'आशिक़ों को रवा है

भंगड़ भंग पीते वक़्त कहते हैं कि सबज़ रंग की चीज़ जायज़ है

रंडी के घर माँडे और 'आशिक़ों के घर कड़ाके

क्योंकि मर्द अपना रुपया रन्डीयों को दे आते हैं वो मज़े उड़ाती हैं और उन के घर फ़ाक़ा होता है

राँड नपूती करना के घर मंडी , 'आशिक़ों के घर कड़ाका

(ओ) रंडी या माशूक़ा के घर हलवे मांडे, और उन पर पैसा नचावर करने वालों के घर फ़ाक़ा

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अश्क़ा

बहुत ही निर्दय, बहुत ही शक़ी।

'आशिक़े

प्रशंसा और शाबाशी के शब्द, (बाज़ारी) शाबाश, आफ़रीन, स्वागत है, क्या कहना है

'आशिक़ा

इश्क़ करने या चाहने वाली

'आशिक़ी

प्रेम, स्नेह, अनुराग, चाहत, इश्क़ होना, मुहब्बत, फ़रेफ़्तगी, आशिक़ होने की क्रिया या भाव, प्रेमासक्ति

अश्क़र

सिर से पाँव तक लाल घोड़ा (जिसकी सुर्ख़ी तीक्ष्ण झुकी हुई हो), दास्तान अमीर हमजा में अमीर हमजा का घोड़ा, बहराम गोर का घोड़ा

'आशिक़-ओ-मा'शूक़

प्रेमी और प्रेमिका, वो दो लोग जो एक दूसरे से प्रेम करते हैं

इशक़ा

दुख देना, रंज देना

'अशिक़ा

इशक़-ए-पेचाँ, एक प्रसिद्ध बेल

'अशीक़ा

प्रेमिका, प्रेयसी, माशूक़ा

'इश्क़ी

of or relating to love, amatory, an amorous man a lover

'आशिक़ुश-शजर

एक बेल जो पेड़ों पर लिपट जाती है

आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

सब्ज़ सब्ज़ क्या है , 'आशिक़ों को रवा है

भंगड़ भंग पीते वक़्त कहते हैं कि सबज़ रंग की चीज़ जायज़ है

रंडी के घर माँडे और 'आशिक़ों के घर कड़ाके

क्योंकि मर्द अपना रुपया रन्डीयों को दे आते हैं वो मज़े उड़ाती हैं और उन के घर फ़ाक़ा होता है

राँड नपूती करना के घर मंडी , 'आशिक़ों के घर कड़ाका

(ओ) रंडी या माशूक़ा के घर हलवे मांडे, और उन पर पैसा नचावर करने वालों के घर फ़ाक़ा

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