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चोर लेवे न शाह छेड़े
यानी बड़ी हिफ़ाज़त से है या ऐसी शैय है कि बज़ाहिर कुछ क़दर नहीं रखती मगर दरअसल बेशक़ीमत है
लंगड़े ने चोर पकड़ा, दौड़ियो अंधे मियाँ
एक हास्यजनक बात, अंधा न तो चोर ही पकड़ सकता है और न लंगड़ा दौड़ ही सकता है
लंगड़े ने चोर पकड़ा, दौड़ियो बे अंधे
एक हास्यजनक बात, अंधा न तो चोर ही पकड़ सकता है और न लंगड़ा दौड़ ही सकता है
धोबी के घर पड़े चोर, वो न लुटा लुटे और
ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है
सुख सोवें शैख़ और चोर न भाँडे ले
आदमी ग़फ़लत करे तो नुक़्सान उठाता है, शेख़ आराम की नींद सविता है, क्योंकि उस की मुफ़लिसी के बाइस इस के यहां चोरी नहीं होती
'ईद का चाँद न देखा , रुख़-ए-ज़ेबा देखा
महबूब के चेहरे की तारीफ़ में कहते हैं कि ख़ूबसूरत चेहरा देखना ईद का चांद देखने के बराबर है
आप से चार बर सातें मैं ने ज़्यादा देखी हैं
मैं आपसे ज़्यादा अनुभवी और परिपक्व हूँ, में आप से ज़्यादा उन चालों को समझता हूँ
बिद्दिया वो माल है जो ख़र्चत दुगना हो राजा रवा चोर ताछीन न साके को
इलम ऐसा माल है जो (ख़र्च करे) सिखाने से ज़्यादा होता है और उसे राजा राव या चोर कोई नहीं छीन सकता
मुँह न तोह नाम चाँद ख़ाँ
جس صفت میں مشہور ہے اس کے خلاف صف سے متصف ہے، (کسی میں) شہرت کے مطابق صفت نہیں پائی جاتی بلکہ اس سے متضاد صفت پائی جاتی ہے
माई बाप के लातें मारे मेहरी देख जुड़ाय, चारों धाम जो फिरे आवे तबहूँ पाप न जाय
जो अपनी बीवी की ख़ातिर माता-पिता को मारे यदि वो सारी दुनिया के तीर्थ फिर आए फिर भी उसका पाप नहीं धुलेंगे
चोर, जुवारी, गठ-कटा, जार और नार छिनार, सौ सौ सौगंध खाएँ जो मोल न कर इतबार
चोर, जवारी, गठ-कटा, चरित्रहीन मर्द, दुश्चरित्र औरत, ये कितनी ही सौगंध खाएँ कि बुरा काम छोड़ देंगे, कदापि 'एतबार नहीं करना चाहिए
दिया तो चाँद था, न दिया तो मुँह माँद था
दान-पुण्य ही से नाम होता है वर्ना कोई वर्णन या बखान नहीं करता
पीर को न शहीद को पहले काने चोर को
जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं
आँख न नाक बन्नो चाँद सी
उस बदसूरत या कुरूप के लिए व्यंगात्मक तौर पर प्रयुक्त होता है जो अपने को सुंदर जाने
पीर को न फ़क़ीर को पहले काने चोर को
जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं
नक़्द को छोड़ नए को न दौड़िइये
आइन्दा फ़ायदे की उमीद में जो मिले उसे ना छोड़ना चाहिए, मौजूदा फ़ायदा छोड़ ना
आसमान पर चाँद निकला सब ने देखा
उस अवसर पर प्रयुक्त है जहां यह कहना हो कि यह कोई ढकी छिपी बात नहीं, इस बात से सब अवगत हैं, इस मुद्दे को छिपाया नहीं जा सकता
इन बे-चारों ने हींग कहाँ पाई जो बग़ल में लगाई
इस काम की योग्यता नहीं रखते, उनमें इतनी बुद्धिमानी नहीं है, उनमें इतनी बुद्धि कहाँ कि यह काम करते
चीज़ न रखे आपनी चोरों गाली दे
जो शख़्स अपनी चीज़ को सेंत सिनहाल कर ना रखे और दूसरों पर इल्ज़ाम लगाए उस की निसबत कहते हैं
न देखा चोर बाप बराबर
बिना देखे किसी पर आरोप नहीं लगाना चाहिए, किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए, जिसे अपराध करते न देखा हो वह अच्छा है
आधी को छोड़ सारी को धावे ऐसा डूबे थाह न पावे
वह व्यक्ति जो उपस्थित वस्तु को छोड़ कर अधिक की ओर भागता है वह उपस्थित वस्तु को भी खो देता है, लालची सदा हानि उठा
आधी छोड़ सारी को जावे आधी रहे न सारी पावे
वह व्यक्ति जो मौजूद चीज़ को छोड़ कर ज़्यादा की ओर भागता है वह मौजूद चीज़ को भी खो देता है, लालची हमेशा नुक़्सान उठाता है
इन बे-चारों ने हींग कहाँ पाई
इस काम की योग्यता नहीं रखते, उनमें इतनी बुद्धिमानी नहीं है, उनमें इतनी बुद्धि कहाँ कि यह काम करते
आधी को छोड़ सारी को धावे आधी भी हाथ न आवे
वह व्यक्ति जो उपस्थित वस्तु को छोड़ कर अधिक की ओर भागता है वह उपस्थित वस्तु को भी खो देता है, लालची सदा हानि उठाता है
आधी को छोड़ सारी को धावे आधी रहे न सारी पावे
वह व्यक्ति जो उपस्थित वस्तु को छोड़ कर अधिक की ओर भागता है वह उपस्थित वस्तु को भी खो देता है, लालची सदा हानि उठाता है
भेड़ पे ऊन किस ने छोड़ी, भेड़ तो जहाँ जाएगी मूँडी जाएगी
जो व्यक्ति हर जगह लूटा जाए उसके प्रति कहते हैं
आधी छोड़ सारी को जाए आधी रहे न सारी पाए
वह व्यक्ति जो मौजूद चीज़ को छोड़ कर ज़्यादा की ओर भागता है वह मौजूद चीज़ को भी खो देता है, लालची हमेशा नुक़्सान उठाता है
जुम'आ छोड़ सनीचर नहाए उस के जनाज़े में कोई न जाए
मुस्लमान प्रायः शुक्रवार को ज़रूर स्नान करते और कपड़े बदलते हैं
सुख सोवे कुम्हार जाकी चोर न लेवे मटिया
कुम्हार सुख की नींद सोता है क्यूँकि चोर उसके बर्तन नहीं चुराता
चाहने के नाम से गधी ने भी खेत खाना छोड़ दिया
जहां किसी ने किसी को अपनी मुहब्बत जता दी वो नाज़ करने ओ मिज़ाज दिखाने लगता है
ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा
ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा
आँख न नाक, बन्नी चाँद-सी
उस बदसूरत या कुरूप के लिए व्यंगात्मक तौर पर प्रयुक्त होता है जो अपने को सुंदर जाने
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