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फ़रिश्तों
देव-दूत, स्वर्ग का दूत, ईश्वर का अदृश्य सन्देश वाहक, मुसलमानी धर्मग्रन्थों के अनुसार ईश्वर का वह दूत जो उसकी आज्ञानसार काम करता हो, बहुत ही सज्जन और सरल स्वभाव का व्यक्ति, पवित्र, सज्जन
फ़रिश्तों में मिलना
मासूम बच्चों या पवित्र लोगों का मरकर फ़रिश्तों का दर्जा पाना; पवित्र और निर्मल प्राणियों में प्रवेश पाना
फ़रिश्तों की न सुनना
बड़े से बड़े की बात न मानना; शक्तिशाली से शक्तिशाली की बात की परवाह न करना; अत्यधिक उद्दंड होना
फ़रिश्तों के पर जलना
फ़रिश्तों का पहुचना भी मुहाल होना, मजाल ना होना, हौसला ना होना , रोब के मारे आगे ना जा सकना
फ़रिश्ता
देव-दूत, स्वर्ग का दूत, ईश्वर का अदृश्य सन्देश वाहक, मुसलमानी धर्मग्रन्थों के अनुसार ईश्वर का वह दूत जो उसकी आज्ञानसार काम करता हो
फ़रिश्ते के घर में ख़ारिश्ते
वली के घर में शैतान। जब नेक और शरीफ़ शख़्स की औलाद बदकार हों तो कहते हैं
यहाँ फ़रिश्तों के पर जलते हैं
उस जगह कोई नहीं जा सकता, उनका इतना रौब है कि वहाँ जाने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता
वहाँ फ़रिश्तों के भी पर जलते हैं
उस जगह कोई नहीं जा सकता, उनका इतना रौब है कि वहाँ जाने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता
यहाँ फ़रिश्तों के भी पर जलते हैं
उस जगह कोई नहीं जा सकता, उनका इतना रौब है कि वहाँ जाने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता
बुढ़िया मरी तो मरी फ़रिश्तों ने घर देख लिया
एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया
हमाहमी फ़रिश्तों को भी ख़बर नहीं
हमें ज़रा भी मालूम नहीं, हम को मुतलक़ मालूम नहीं, हम बिलकुल बेख़बर हैं
बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया
एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया
दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें
ख़्वाजा मीर दर्द की एक ग़ज़ल क मशहूर मिस्रा या एक पंकति, स्वयं को बहुत पूनीत, सज्जन और प्रतिष्ठित दिखाने के अवसर पर अतिश्योक्ति के रूप में बोलते हैं
काँधों के फ़रिश्ते
प्रत्येक व्यक्ति के दाएं और बाएं कंधे पर एक-एक फ़रिश्ते नियुक्त होते हैं, दाएं कंधे का फ़रिश्ता पुण्य और बाएँ कंधे का पाप को लिखता है
यहाँ फ़रिश्ते के पर जलते हैं
अर्थात यहा कोई नहीं आ सकता, इस स्थान पर किसी की रसाई और पहुंच नहीं है, यहाँ परिंदा पर नहीं मार सकता
जैसी रूह वैसा ही फ़रिश्ता
जैसा आदमी होता है, वैसे ही इस के साथी होते हैं, जैसा मिज़ाज या तबीयत हो वैसा ही सुलूक नसीब होता है
नेकी बदी के फ़रिश्ते
इंसान के साथ निर्धारित वह दो फ़रिश्ते जो इंसान के दिन-रात के कर्मों को लिखते हैं
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