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"guzaarish-e-zauq-e-sujuud" शब्द से संबंधित परिणाम
मवाज़ि'-ए-सुजूद
(धर्म-शास्त्र) वे अंग जो सजदे में ज़मीन पर रखे जाते हैं, नमाज़ी के शरीर का माथा, दोनों हथेलियाँ, दोनों घुटने और दोनों पाँव के अंगूठे
क़ाबिल-ए-गुज़ारिश
जो बात कहने योग्य हो, आवेदनीय, जिसका कहा जाना आवश्यक हो, प्रार्थना के योग्य ।।
ज़ौक़-ए-ज़बान
भषा का स्वाद, भाषा ज्ञान का स्वाद
ज़ौक़-ए-नुमू
उन्नति, प्रगति और विकास का शौक़ और जुनून
ज़ौक़-ए-सलीम
शुद्ध रसिकता, काव्य-मर्मज्ञता की शुद्धता
वुफ़ूर-ए-ज़ौक़
लालसा और अभिलाषा की बहुतायत, उत्कंठा
नक़्श-ए-सुजूद
सजदों के निशान, वेश्यावृत्ति की मुहर (माथे पर)
सुजूद-ए-समदी
wrestlers in their jargon refer to the prostration they perform either before wrestling or after wrestling
ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा
मनमुग्ध दृश्य, दृश्य का आनंद, देखने की लालसा, प्रिय को देखने का आनंद
साक़ी-ए-अर्बाब-ए-ज़ौक़
जो लोग ईश्वर और पैग़म्बर मोहम्मद साहब से प्यार करते हैं
कोताही-ए-ज़ौक़-ए-'अमल
काम में रुचि की कमी, क्रिया के प्रति लगाव का अभाव, प्रक्रिया में उत्साह की कमी
ज़ौक़-ए-नज़र
देखने और परखने की अभिलाषा, निरीक्षण करने की क्षमता
ज़ौक़-ए-शे'र
काव्य रसिकता, सहृदयता, कविता कहने या समझने का शौक़
ज़ौक़-ए-सुख़न
काव्य रसिकता, सहृदयता, कविता करने या समझने का शौक़
ज़ौक़-ए-'अमल
काम की इच्छा, काम के लिए तड़प, काम की लालसा, काम के प्रति झुकाव
अहल-ए-ज़ौक़
वो लोग जो साहित्यिक सूझ-बूझ रखते हैं, जिसको साहित्य से लगाव हो
ना-क़ाबिल-ए-गुज़ारिश
जो कहा न जा सके, अकथनीय।।
गुज़ारिश-ए-ख़िदमत करना
ख़िदमत में पेश करना, सेवा में प्रस्तुत करना
ज़ौक़-ए-'अज़्म-ए-बा-'अमल
pleasure of determination with action
बे-दाद-ए-ज़ौक़-ए-पर-फ़िशानी
the injustice of the relish for wing-fluttering
बे-ज़ौक़-ए-'अमल
without the zeal for action
ज़ौक़-ए-चमन_ज़े_ख़ातिर-ए-सय्याद मी-रवद
आखेटक के हृदय मे वाटिका का मोह शेष नहीं रहा अर्थात जो कार्य स्वयं की भावना से किया जाता है उसमें अपार हर्ष का अनुभव होता और जो कार्य आवश्यकता की पूर्ती के लिए विवश्तापूर्वक करना पड़ता है उसमें आनंद शेष नहीं रहता और प्रत्येक दिन का दर्शन आनंद और अभिलाषा का अंत कर देता है
ज़ौक़-ए-चमन ज़े-ख़ातिजर-ए-बुलबुल नमी-रवद
चमन का शौक़ बुलबुल के दिल से नहीं जाता यानी जिस बात का किसी को शौक़ हो वो दिल से नहीं जाती
ज़ौक़-ए-गुल चीदन अगर दारी ब-गुल्ज़ार बेरौ
अगर तुझे फूल चुनने का शौक़ है तो किसी बाग़ में जाओ, अर्थात अगर तुम किसी उद्देश्य में विजय प्राप्त करना चाहते हो तो घर से निकलो और उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उचित उपाय करो, बिना थोड़ी दौड़-धूप किए घर बैठे रहने से उद्देश्य पूर नहीं हो सकता
नवा रा तल्ख़-तर मी-ज़न चू ज़ौक़-ए-नग़्मा कम-याबी
(इक़्बाल का यह फ़ारसी मिसरा कहावत के रूप में उर्दू में प्रयुक्त) जब आप राग में रूची कम देखो, तो आवाज़ में अधिक प्रभाव पैदा करो अर्थात जब आप देखो हैं कि लोग आपके प्रति आकर्षित नहीं हैं, तो अधिक प्रभावी ढंग से बात कहो