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रोज़-नौ-रोज़ी-ए-नौ

नया दिन, नई रोज़ी, यानी कल के लिए आज से फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं, आज जो कुछ मिला है उसे इत्मीनान और बेफिक्री से सिर्फ़ करो कल की बात कल के साथ, जिस ख़ुदा ने आज देव है वही कल भी देगा. इस क़ौल के मिस्दाक़ वो लोग भी हो सकते हैं जो अपनी रोज़ी रोज़ रोज़ बदला करते हैं

नौ-रोज़-ए-निगाह

जो आँखों के लिए ख़ुशी या उत्सव का स्रोत हो

साज़-ए-नौ-रोज़

नौ रोज़ की दावत

नौ-रोज़-ए-ख़ारा

(संगीत) संगित एक प्रकार के अनुभाग का नाम जो पाँच रगनियों पर आधारित है

नौ-रोज़-ए-ख़ास्सा

फ़रवरदीन मास की छट्टी तारीख़, ईरानी शासक पहली से छट्टी दिनांक तक उत्सव किया करते थे और लोगों की मुरादें पूरी करते थे और बंदियों को मुक्त करते थे

नौ-रोज़-ए-'आम्मा

ईरानियों में फरवरदीन का पहला दिन, (सामान्यतः नव-वर्ष का दिन) जिस दिन सूरज मेष राशि में प्रवेश करता है, एक सप्ताह का उत्सव शुरू होता है जो 'नौ-रोज़-ए-बुज़ुर्ग' के साथ समाप्त होता है

नौ-रोज़े-ए-'आलम-अफ़रोज़

(लाक्षणिक) वो दिन जो सृष्टि-रचना का दिन समझा जाता है और त्यौहार की तरह मनाया जाता है

ब-रोज़-ए-'ईद-ए-क़ुर्बां

on the day of Eid festival of sacrifice

ज़ुल्फ़-ए-नौ-रोज़

(संगीत) अरबी, ईरानी और हिन्दी संगीत से बनी एक रागिनी का नाम

नौ-रोज़-ए-बुज़ुर्ग

(संगीत) एक ईरानी रागिनी का नाम

बैज़ा-ए-नौ-रोज़

ईरानी लड़कों का एक खेल जो नौरोज़ (21 मार्च) को खेला जाता है और जिसमें लड़के बाज़ी लगा कर चित्रित अंडों से (जो विशेषतः नौरोज़ के लिए तैयार किए जाते हैं) खेलते हैं और जिसका अंडा टूट जाता है वो हार जाता है

हर रोज़ रोज़-ए-'ईद हर शब शब-ए-बरात

رک : ہر شب شب برات الخ ۔

हर शब शब-ए-बरात हे हर रोज़ रोज़-ए-'ईद

ज़िंदगी मज़े से गुज़रती है, हर वक़्त ऐश ही ऐश है

दिन रोज़-ए-'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

दिन रोज़-ए-'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

नौ-रोज़ आ रहा हे

सुख-चैन से व्यतीत होती है

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"iid-e-nau-roz" शब्द से संबंधित परिणाम

रोज़-नौ-रोज़ी-ए-नौ

नया दिन, नई रोज़ी, यानी कल के लिए आज से फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं, आज जो कुछ मिला है उसे इत्मीनान और बेफिक्री से सिर्फ़ करो कल की बात कल के साथ, जिस ख़ुदा ने आज देव है वही कल भी देगा. इस क़ौल के मिस्दाक़ वो लोग भी हो सकते हैं जो अपनी रोज़ी रोज़ रोज़ बदला करते हैं

नौ-रोज़-ए-निगाह

जो आँखों के लिए ख़ुशी या उत्सव का स्रोत हो

साज़-ए-नौ-रोज़

नौ रोज़ की दावत

नौ-रोज़-ए-ख़ारा

(संगीत) संगित एक प्रकार के अनुभाग का नाम जो पाँच रगनियों पर आधारित है

नौ-रोज़-ए-ख़ास्सा

फ़रवरदीन मास की छट्टी तारीख़, ईरानी शासक पहली से छट्टी दिनांक तक उत्सव किया करते थे और लोगों की मुरादें पूरी करते थे और बंदियों को मुक्त करते थे

नौ-रोज़-ए-'आम्मा

ईरानियों में फरवरदीन का पहला दिन, (सामान्यतः नव-वर्ष का दिन) जिस दिन सूरज मेष राशि में प्रवेश करता है, एक सप्ताह का उत्सव शुरू होता है जो 'नौ-रोज़-ए-बुज़ुर्ग' के साथ समाप्त होता है

नौ-रोज़े-ए-'आलम-अफ़रोज़

(लाक्षणिक) वो दिन जो सृष्टि-रचना का दिन समझा जाता है और त्यौहार की तरह मनाया जाता है

ब-रोज़-ए-'ईद-ए-क़ुर्बां

on the day of Eid festival of sacrifice

ज़ुल्फ़-ए-नौ-रोज़

(संगीत) अरबी, ईरानी और हिन्दी संगीत से बनी एक रागिनी का नाम

नौ-रोज़-ए-बुज़ुर्ग

(संगीत) एक ईरानी रागिनी का नाम

बैज़ा-ए-नौ-रोज़

ईरानी लड़कों का एक खेल जो नौरोज़ (21 मार्च) को खेला जाता है और जिसमें लड़के बाज़ी लगा कर चित्रित अंडों से (जो विशेषतः नौरोज़ के लिए तैयार किए जाते हैं) खेलते हैं और जिसका अंडा टूट जाता है वो हार जाता है

हर रोज़ रोज़-ए-'ईद हर शब शब-ए-बरात

رک : ہر شب شب برات الخ ۔

हर शब शब-ए-बरात हे हर रोज़ रोज़-ए-'ईद

ज़िंदगी मज़े से गुज़रती है, हर वक़्त ऐश ही ऐश है

दिन रोज़-ए-'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

दिन रोज़-ए-'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

नौ-रोज़ आ रहा हे

सुख-चैन से व्यतीत होती है

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