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कज-रू

टेढ़ी चाल चलने वाला, गुमराह, भटका हुआ, पथ विचलित

कज-अदा

जिसमें शील-संकोच न हो, जो बहुत ही खुर्रा हो, बेमुरव्वत, बेवफ़ा, मग़रूर, नाज़ नख़रे वाला, अशिष्ट

कज-अदाई

बांकपन, शील संकोच की हीनता, खुर्रापन, दुश्मनी, बेमुरव्वती, बेवफा,

कज-दुमा

۔مذکر۔ ۱۔کالی دُم کا کبوتر یا کوئی اور پرند۔ ۲۔وہ پتنگ جس کے نیچے کا حصہ کالا ہو۔

कज-दुम

lit. 'having a crooked tail', a scorpion, a dragon

चर्ख़-ए-कज-रौ

टेढ़ी चाल चलने वाला आसमान

एक पंथ दो काज

एक उपाय या सुझाव में दो काम का हो जाना, एक तीर से दो शिकार

चलो सखी वहाँ चलें जहाँ बसें बृज राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

चली सखी चलिये वहाँ जहाँ बसें बृज-राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

पीपल पूजन मैं चली गलम बोध के घाट, पीपल पूजत पी मिले एक पंथ दो काज

अच्छे काम करने में लाभ ही होता है पीपल को पूजने गई तो प्रीतम भी मिल गया

पीपल पूजन मैं चली निगम बोध के घाट, पीपल पूजत पी मिले एक पंथ दो काज

अच्छे काम करने में लाभ ही होता है पीपल को पूजने गई तो प्रीतम भी मिल गया

यक-पंत-दो-काज

रुक : एक पंथ (और) दो काज , एक तदबीर से दो काम निकल आना, एक काम से दो फ़ायदे

रक़्स कर्दन ख़ुद न दानद सेहन रा गोयद कज अस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) रुक: नाच ना जाने आंगन टेरहा

कूँज-कूँज हमारी कौड़ी दे जा अपनी कौड़ी ले जा

बच्चों का एक खेल, जब कूंजों की क़तार देखते हैं तो दोनों हाथों की मुट्ठियाँ आपस में रगड़ते हैं और यह कहते हैं

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कज-रू

टेढ़ी चाल चलने वाला, गुमराह, भटका हुआ, पथ विचलित

कज-अदा

जिसमें शील-संकोच न हो, जो बहुत ही खुर्रा हो, बेमुरव्वत, बेवफ़ा, मग़रूर, नाज़ नख़रे वाला, अशिष्ट

कज-अदाई

बांकपन, शील संकोच की हीनता, खुर्रापन, दुश्मनी, बेमुरव्वती, बेवफा,

कज-दुमा

۔مذکر۔ ۱۔کالی دُم کا کبوتر یا کوئی اور پرند۔ ۲۔وہ پتنگ جس کے نیچے کا حصہ کالا ہو۔

कज-दुम

lit. 'having a crooked tail', a scorpion, a dragon

चर्ख़-ए-कज-रौ

टेढ़ी चाल चलने वाला आसमान

एक पंथ दो काज

एक उपाय या सुझाव में दो काम का हो जाना, एक तीर से दो शिकार

चलो सखी वहाँ चलें जहाँ बसें बृज राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

चली सखी चलिये वहाँ जहाँ बसें बृज-राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

पीपल पूजन मैं चली गलम बोध के घाट, पीपल पूजत पी मिले एक पंथ दो काज

अच्छे काम करने में लाभ ही होता है पीपल को पूजने गई तो प्रीतम भी मिल गया

पीपल पूजन मैं चली निगम बोध के घाट, पीपल पूजत पी मिले एक पंथ दो काज

अच्छे काम करने में लाभ ही होता है पीपल को पूजने गई तो प्रीतम भी मिल गया

यक-पंत-दो-काज

रुक : एक पंथ (और) दो काज , एक तदबीर से दो काम निकल आना, एक काम से दो फ़ायदे

रक़्स कर्दन ख़ुद न दानद सेहन रा गोयद कज अस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) रुक: नाच ना जाने आंगन टेरहा

कूँज-कूँज हमारी कौड़ी दे जा अपनी कौड़ी ले जा

बच्चों का एक खेल, जब कूंजों की क़तार देखते हैं तो दोनों हाथों की मुट्ठियाँ आपस में रगड़ते हैं और यह कहते हैं

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