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परसों का होता कल और कल का होता आज
ऐसे मवाक़े पर कहते हैं जहां बहुत उजलत ज़ाहिर करना मंज़ूर हो
आज दो हत्तड़ कल जूतियाँ परसों छु्रियाँ होंगी
पाप की नाव आज नहीं , कल कल नहीं , परसों डूबे और डूबे
ज़ालिम को सज़ा ज़रूर मिलती है
बाप की नाव आज नहीं कल और कल नहीं परसों डूबे और डूबे
पापी को दण्ड अवश्य मीलता है, बुराई को अवश्य पतन है
आज मेरी मंगनी कल मेरा ब्याह, परसों लौंडिया को कोई ले जा
आज मेरे मंगनी, कल मेरा ब्याह, परसों लौंडिया को कोई ले जाय
मानवीय कामों की या संसार की अल्पकालिकता और भविष्य के अविश्वास को प्रकट करने के अवसर पर बोलते हैं कि समय या युग बदलते देर नहीं लगती, आदमी योजना बनाता है, पर भविष्य में क्या होगा, कोई नहीं जानता
'अक़्ल-ओ-होश परेशाँ करना
होश खो देना, होश उड़ा देना