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चढ़े पर न चढ़ाओ सर देखे न पाँव
बेतर्तीबी से काम करने के मौक़ा पर कहते हैं
चढ़े पर चढ़ाओ सर दुखे न पाँव
जिन को सब मानते हैं इन को तुम भी चढ़ाओ
देस पर चढ़ाव सर दुखे न पाँव
जब आदमी अपने देश में आता है तो उसे कोई परेशानी महसूस नहीं होती
ठग न देखे देखे क़साई, शेर न देखे देखे बिलाई
यदि तुम ने ठग नहीं देखा तो क़साई को देख लो और यदि शेर नहीं देखा तो बिल्ली को देख लो
शाम को शाम और सहर को सहर ना गिनना
रात-दिन किसी काम में व्यस्त रहना, बहुत अधिक व्यस्तता के कारण समय का ध्यान न रहना, व्यस्तता के कारण समय की तरफ़ ध्यान न देना, मेहनत करना
यक न शुद दो शुद
एक 'अजीब घटना के बा'द किसी दूसरी घटना का घटित होना
यक रि'आयत क़ाज़ी न सद गवाह
हाकिम की रियायत सौ गवाहों से बेहतर है
एक शुद न दो शुद
एक 'अजीब घटना के बा'द किसी दूसरी घटना का घटित होना
एक न शुद दो शुद
एक 'अजीब घटना के बा'द किसी दूसरी घटना का घटित होना
न करदन यक 'ऐब व करदन सद 'ऐब
न करना एक ऐब और करने में सौ ऐब निकलते हैं
काले सर का एक न छोड़ा
हर जवान मर्द पर नीयत ख़राब की
न दो सर पकड़ के रो
अपनी मुसीबत का कोई भी शरीक नहीं है
सीखना न सिखाना नाहक़ सर फोड़ना
सीखना तो कुछ है नहीं ख़्वाह मख़्वाह वक़्त बर्बाद करता है
धड़ी भर का सर तो हिला दिया , पैसा भर की ज़बान न हिलाई गई
सर हिला दिया, मुँह से जवाब ना दिया
शीरीं न शवद दहन ब-हल्वा गुफ़्तन
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) किसी चीज़ का नाम लेने से इस का मज़ा नहीं आजाता, अमल के बगै़र कुछ हासिल नहीं होता
काले सर की एक न छोड़ी
हर जवान मर्द पर नीयत ख़राब की
हल्वा गुफ़्तन दहन न साज़द शीरीं
किसी चीज़ का सिर्फ़ ज़िक्र करने से इस चीज़ का लुतफ़ हासिल नहीं होता
ख़ूब शुद बेल न शुद
ख़ूब हुआ कि फ़ुलां चीज़ ना थी वर्ना नतीजा बुरा होता (कहते हैं एक दहक़ाँ शाहजहां बादशाह के पास बैल का फल ले जाना चाहता था जो बहुत सख़्त होता है मगर फिर इस ने आम भेजे और वो भी चूस करता कि खट्टे आम अलग हो जाएं. बादशाह को इस बात पर ताऊ आ गया, हुक्म हुआ कि आम लाने वालों को उन्हें आमों से मारा जाये, दरबार वालों ने आम लाने वालों पर आमों की बारिश कर दी, चुनाचे दहक़ाँ ने ये फ़िक़रा कहा यानी अगर आमों के बजाय बैल लाते तो उस वक़्त कई के सर फूट जाते)
शेर खाए न खाए मुँह लाल
बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम
साईं सांसा मेट दे और न मेटे कोय, वा को सांसा क्या रहा जा सर साईं होय
ईश्वर के अतिरिक्त कोई सांसा अर्थात परेशानी एवं दुख को दूर नहीं कर सकता परंतु जिसे ईश्वर पुण्य की राह दिखा दे
गोसाला-ए-मन पीर शुद व गाऊ न शुद
फ़ारसी कहात उर्दू में मुस्तामल , बढे होगए मगर बचपना ना गया
गोसाला-ए-मा पीर शुद व गाऊ न शुद
फ़ारसी कहात उर्दू में मुस्तामल , बढे होगए मगर बचपना ना गया
सर पाँव का होश न रहना
बिलकुल बेहोश और ग़ाफ़िल होजाना, होशोहवास बजा ना रहना
सर पाँव का होश न होना
बिलकुल बेहोश और ग़ाफ़िल होजाना, होशोहवास बजा ना रहना
सर जाए बात में फ़र्क़ न आए
वचन पूरा करना चाहिए, चाहे जान क्यूँ न चली जाए
सर पाँव का सुध न रहना
बिलकुल बेहोश और ग़ाफ़िल होजाना, होशोहवास बजा ना रहना
अज़ सर-ए-नौ जाइज़ा लेना
revisit (one's policies etc.)
सर की सुध न पाँव की बुध
कुछ होश नहीं, ला पर्वा आदमी है, हालत ख़राब है
शेर खाए तो मुँह लाल न खाए तो मुँह लाल
बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम
घटे बढ़े की सार न जाने पेट भरन से काम
बेवक़ूफ़ों को पेट पालने ही से काम होता है
शोर-ओ-ग़ुल ऐसा कि कान पड़ी आवाज़ सुनाई न देती थी
बहुत ज़्यादा शोर दिखाने को कहते हैं
बड़े आदमी ने दाल खाई तो कहा सादा-मिज़ाज है ग़रीब ने दाल खाई तो कहा कंगाल है
ایک ہی کام میں ایک کے لیے بدنامی دوسرے کے لیے نیکنامی ہوتی ہے
सर पाँव न होना
अर्थहीन होना, बेमानी होना
सर पाँव न होना
आग़ाज़-ओ-अंजाम का पता ना लगना, ठोर ठिकाना ना होना, नाक़ाबिल-ए-एतबार होना, बेसर-ओ-पा होना, बे बुनियाद होना
सर का न पाँव का
بے سروپا ، سر نہ پیر ، اوّل نہ آخر
गांड़ में लंगोटी, न सर पे टोपी
अत्यन्त ग़रीब है, कुछ पहनने तक को प्रयाप्त नहीं है
शेरों का मुँह किस ने धोया
कोई सोते से उठ कर बिना मुँह धोए खाने बैठ जाए तो उपहास में कहते हैं
टके की बुढ़िया नौ टके सर मुंडाई
थोड़े फ़ायदे के लिए बहुत ख़र्च पड़ने के अवसर पर बोलते हैं
सर जाए बात न जाए
चाहे आदमी की जान चली जाये मगर जो कह चुका है इस का पाबंद रहना चाहिए
इक़तिज़ा-ए-'अस्र-ए-नौ
demands, necessities of new age
सर पाँव की ख़बर न होना
बिलकुल बेहोश और ग़ाफ़िल होजाना, होशोहवास बजा ना रहना
नए सर से , नए सिरे से
۔از سرنو۔ شروع سے پھر سے۔ دوبارہ۔؎
न मुँह से बोले, न सर से खेले
वो शख़्स जो बिलकुल ख़ामोश रहता हो उस की बाबत कहते हैं
न मुँह से बोले न सर से खेले
۔ اس شخص کی نسبت بولتے ہیں جو بالکل خاموش ہو۔؎
शेर के मुँह पे नै बजाना
अपने आप को ख़तरे में डालना
अज़-सर-ए-नौ
नये सिरे से, फिर से, पुनः
'अशर-ए-'अशीर भी न होना
to be no match for, not to be minute part (of)
काम का न काज का दुश्मन सेर-भर अनाज का
वह व्यक्ति जो खाने में कमी न करे और काम से दूर भागे, सुस्त, काहिल, आलसी
मुँह से बोले ना सर से खेले
मुँह से बोलना न सर से खेलना
बिलकुल चुप रहना, कुछ न कहना, बेहोश और गतिहीन हो जाना, चकित हो जाना
ख़ूब शुद बेल न बूद
ख़ूब हुआ कि फ़ुलां चीज़ ना थी वर्ना नतीजा बुरा होता (कहते हैं एक दहक़ाँ शाहजहां बादशाह के पास बैल का फल ले जाना चाहता था जो बहुत सख़्त होता है मगर फिर इस ने आम भेजे और वो भी चूस करता कि खट्टे आम अलग हो जाएं. बादशाह को इस बात पर ताऊ आ गया, हुक्म हुआ कि आम लाने वालों को उन्हें आमों से मारा जाये, दरबार वालों ने आम लाने वालों पर आमों की बारिश कर दी, चुनाचे दहक़ाँ ने ये फ़िक़रा कहा यानी अगर आमों के बजाय बैल लाते तो उस वक़्त कई के सर फूट जाते)
काटा मुँह से बोले न सर से खेले
ऐसे शख़्स के बारे में बोलते हैं जिस के मकर-ओ-फ़रेब से नजात मुम्किन ना हो, मर्ज़ का लाइलाज होना
मन भर का सर हिलाए टके की ज़बान न हिलाए
पाँव में जूती न सर पर टोपी
किसी की निर्धनता और ग़रीबी या आतुरता और परेशानी अर्थात उद्विग्नता प्रकट करने के अवसर पर कहते हैं
ख़ुदा रिजाले को नाख़ुन न दे जो अपना सर खुजाए
कमीने आदमी को इतनी ताक़त और हुकूमत ने मिले कि जिस के ग़लत इस्तिमाल से वो अपना नुक़्सान कर ले
पाँव में जूती न सर पर चोटी
किसी की निर्धनता और ग़रीबी या आतुरता और परेशानी अर्थात उद्विग्नता प्रकट करने के अवसर पर कहते हैं