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दिन 'ईद और शब शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

हर रोज़ रोज़-ए-'ईद हर शब शब-ए-बरात

رک : ہر شب شب برات الخ ۔

हर शब शब-ए-बरात हे हर रोज़ रोज़-ए-'ईद

ज़िंदगी मज़े से गुज़रती है, हर वक़्त ऐश ही ऐश है

शब-बरात का घड़ा

मुस्लमानों में यह प्रथा प्रचलित है कि शब्ब-बरात के दिन मृतकों का फ़ातिहा पढ़ कर भिक्षुकों को खाना खिलाते हैं

शब-बरात का चाँद

अरबी कैलेंडर का आठवां महीना (भारतीय उपमहाद्वीप की महीलाओं में प्रचलित

दिन 'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

दिन 'ईद और रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

हर दिन 'ईद हर रात शब-ए-बरात

रुक : हर शब शब-ए-बरात अलख

दिन रोज़-ए-'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

दिन रोज़-ए-'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

शब-बरात

(लोकमान्यता) उक्त रात को देवदूत लोगों को जीविका देते हैं, इसी ख़ुशी में लोगों द्वारा विशेष रूप से मुसलमानों द्वारा नमाज़, मज़ार का दर्शन, मिठाई बाँटना और आतिशबाज़ी आदि करते हैं तथा इसी रात में लोग मृत लोगों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, हिज्री पंचांग के शाबान महीने की पंद्रहवीं रात

शब-ए-बरात

(लोकमान्यता) उक्त रात को देवदूत लोगों को जीविका देते हैं, इसी ख़ुशी में लोगों द्वारा विशेष रूप से मुसलमानों द्वारा नमाज़, मज़ार का दर्शन, मिठाई बाँटना और आतिशबाज़ी आदि करते हैं तथा इसी रात में लोग मृत लोगों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, हिज्री पंचांग के शाबान महीने की पंद्रहवीं रात

रात शब-ए-बरात

رات کا خوشگوار ہونا ، رات کا باعث مسرت ہونا .

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दिन 'ईद और शब शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

हर रोज़ रोज़-ए-'ईद हर शब शब-ए-बरात

رک : ہر شب شب برات الخ ۔

हर शब शब-ए-बरात हे हर रोज़ रोज़-ए-'ईद

ज़िंदगी मज़े से गुज़रती है, हर वक़्त ऐश ही ऐश है

शब-बरात का घड़ा

मुस्लमानों में यह प्रथा प्रचलित है कि शब्ब-बरात के दिन मृतकों का फ़ातिहा पढ़ कर भिक्षुकों को खाना खिलाते हैं

शब-बरात का चाँद

अरबी कैलेंडर का आठवां महीना (भारतीय उपमहाद्वीप की महीलाओं में प्रचलित

दिन 'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

दिन 'ईद और रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

हर दिन 'ईद हर रात शब-ए-बरात

रुक : हर शब शब-ए-बरात अलख

दिन रोज़-ए-'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

दिन रोज़-ए-'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

शब-बरात

(लोकमान्यता) उक्त रात को देवदूत लोगों को जीविका देते हैं, इसी ख़ुशी में लोगों द्वारा विशेष रूप से मुसलमानों द्वारा नमाज़, मज़ार का दर्शन, मिठाई बाँटना और आतिशबाज़ी आदि करते हैं तथा इसी रात में लोग मृत लोगों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, हिज्री पंचांग के शाबान महीने की पंद्रहवीं रात

शब-ए-बरात

(लोकमान्यता) उक्त रात को देवदूत लोगों को जीविका देते हैं, इसी ख़ुशी में लोगों द्वारा विशेष रूप से मुसलमानों द्वारा नमाज़, मज़ार का दर्शन, मिठाई बाँटना और आतिशबाज़ी आदि करते हैं तथा इसी रात में लोग मृत लोगों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, हिज्री पंचांग के शाबान महीने की पंद्रहवीं रात

रात शब-ए-बरात

رات کا خوشگوار ہونا ، رات کا باعث مسرت ہونا .

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