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अठाई
अनुचित हठ ठानने वाला, झगड़ा या तकरार करनेवाला, उपद्रवी, नटखट, पाजी, उत्पाती
मुँह उठाइए
۔ اندھا دھند بے دھڑک۔ بے پروائیسے۔ بے سوچے سمجھے۔ ؎
बस हो चुकी नमाज़ मुसल्ला उठाइए
अब ये काम ख़त्म करो जगह ख़ाली करो यहाँ दूसरा काम होगा
क़द्र-दान की जूतियाँ उठाइए, ना-क़द्र के पापोश मारने न जाइए
जो व्यक्ति गुणों की क़द्र करे या गुण-ग्राहक हो, उसका सम्मान करना चाहिए और नाक़द्र या जो क़द्र न करे उसके पास भी नहीं जाना चाहिए
मुक़द्दमा उठाया जाना
किसी के ख़िलाफ़ झूटा दावा अदालत में पेश करना, झगड़ा खड़ा करना , अपने दावे से दस्तबरदार होना, मुक़द्दमा वापिस लेना
भाई तो खाई नहीं छींके धर उठाई
जो पसंद आया खाया नहीं तो दूर किया
जो आई वो भुगती , जो पड़ी वो उठाई
मुसीबत और तकलीफ़ बर्दाश्त करने के मौकाद पर मुस्तामल
धरा जाए न उठाया जाए
बहुत जटिल है, बहुत पेचदार है
क़दम उठाए हुए
तेज़ रफ़्तार के साथ, लंबे लंबे डग के साथ
क़दम उठाए चलना
तीव्र गति से चलना, तेज़ चलना, जल्दी-जल्दी चलना
दर्ज़ी का कूच क़याम सब यक्साँ, गज़ क़ैंची उठाई चल दिया
हुनरमंद की समाई पर जगह हो सकती है
मुँह उठाए आना
बेधड़क आना, बला झिझक दाख़िल होना
मुँह उठाए चले जाना
move ahead carelessly or fearlessly
गू में कौड़ी गिरे तो दाँतों से उठाए
बहुत हरीस और बख़ील आदमी की निसबत कहते हैं, बहुत कंजूस है, फ़ायदे के लिए ज़लील काम करने पर भी तैय्यार है
मुँह उठाए चले आना
बेधड़क चले आना, निडर चले आना, देखे-भाले बिना आ जाना
मुँह उठाए चले जाना
बेइरादा रवाना होना, लापरवाई से जाना, बेधड़क चल पड़ना
मुँह ऊठाए चला आना
बेधड़क चले आना, बेपर्वाई से घुस आना
मुँह उठाए चला आना
बेधड़क चले आना, बेपर्वाई से घुस आना
उस ने रक्खा इस ने उठाया
दोनों एक दूसरे का समरूप हैं, दोनों एक जैसे हैं (उस मौके़ पर प्रयुक्त जब दो आदमी आदतों और लक्षणों और चरित्र आदि में समान हों)
बात धरी उठाई नहीं जाती
न इक़रार करते बनता है न इनकार, न हाँ कहते बनता है न नहीं, न बात का जवाब देते बनता है न चुप रहते
टाँच न उठाई जाना
किसी के अकड़ का सहारा न होना, झगड़े या वाद-विवाद को सहन न कर पाना
गया गाँव जहाँ ठाकुर हँसा, गया रूख जहाँ बगुला बसा, गया ताल जहाँ उपजी काई, गई कूप जहाँ भई अथाई
जिस गाँव के मालिक ने भोग में जीवन व्यतीत किया वो उजड़ गया, जिस पेड़ पर बगुले का बसेरा हो वो सूख जाता है, जिस ताल या हौज़ में काई लग जाए एवं जिस कुएँ की तह बैठ जाए वो व्यर्थ एवं बेकार हो जाते हैं
गया गाँव जहाँ ठाकुर हँसा, गया रुख जहाँ बगुला बसा, गया ताल जहाँ पकी काई, गई कूप जहाँ भई अथाई
जिस गाँव के मालिक ने भोग में जीवन व्यतीत किया वो उजड़ गया, जिस पेड़ पर बगुले का बसेरा हो वो सूख जाता है, जिस ताल या हौज़ में काई लग जाए एवं जिस कुएँ की तह बैठ जाए वो व्यर्थ एवं बेकार हो जाते हैं
तुम्हारी बात उठाई जाए न धरी जाए
तुम्हारी बात का भरोसा नहीं
सारा दिन पीसा चपनी भर उठया
मेहनत-ओ-मशक़्क़त बहुत हो मगर हासिल बहुत ही कम हो तो कहते हैं
दिन भर पीसा और चपनी भर उठाया
ज़्यादा मेहनत की और सिला कम पाया यानी वक़्त ज़ाईअ किया
बान वाले की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए
सारे दिन पीसा , चपनी भर भी उठाया
बहुत मेहनत की और काम थोड़ा हुआ
सर उठाए
सर ऊँचा किए हुए, उच्च एवं श्रेष्ठ स्थित में
ख़ाक से उठाया जाना
(किसी) मुलक या ज़मीन से पैदा होना
हाथी की टक्कर हाथी उठाए
बड़े का मुक़ाबला बड़ा ही कर सकता है, शक्तिशाली से टक्कर शक्तिशाली ही ले सकता है
पीसा पीसा चपनी भर उठाया
बहुत मेहनत के बाद थोड़ा हासिल होना (सुस्त वक़्क़ा हल की निसबत बोलते हैं
सारी रात पीसा चपनी भर उठाया
मेहनत बहुत परिणाम थोड़ा बहुत
बाँटे की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए
बानिये की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए
बानिये की बान न जले , कुत्ता मूते टाँग उठाए
फ़हमाइश के बावजूद अपनी हरकतों और शरारतों से बाज़ नहीं आता