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ठी-ठी

अशिष्टतापूर्वक और तुच्छ भाव से ठी-ठी शब्द करते हुए हँसने का शब्द

थी

was

थू-थू

घोर निंदा; लांछन

थीं

were

थई-थई

संगीत: तबले की थाप की आवाज़, ताल, ताली, नाच-गाना, नाचने में गति की आवाज़, थाप की आवाज़

ठाए-ठाए

رک : ٹھائیں ٹھائیں ، زور سے ، آواز کے ساتھ.

टूहू-टूहू

رک : ٹووٹ ٹوہو.

ही ही ठी ठी

unmannerly laugh

ही ही ठी ठी करना

अश्लील हँसी हँसना, अकारण खुलकर हँसना, बेहूदा हँसी हँसना

थी-बाहो

(ٹھگی) گدھے کی آواز جو دائیں جانب سے آئے جسے اچھا شگون سمجھا جاتا ہے .

भरा कनाला छाने थी, फागुन को नहीं जाने थी

आरंभ में जो इतना व्यय किया ऐसे दिनों की आशा न थी

तक़्दीर यूँही थी

नुक़्सान के मौक़ा पर दिलासा देने के लिए कहते हैं

वारी गई थी

(अविर) वो कौन है जो बोले या दख़ल दे नीज़ वो किसी काम की नहीं

आँख में थी शर्म दिल की थी नर्म

महिलाएँ व्यंगात्मक तौर पर उस जगह कहती हैं जहाँ न मानने वाली बात कोई मुरव्वत और पास एवं लिहाज़ के कारण मान ले

क्या रात थी

क्या उम्दा मुबारक और मसऊद शब थी जिस का अब अफ़सोस आता है

क्या चली थी

इसकी क्या आवश्यकता थी, इसकी क्या ज़रूरत थी

क्या बात थी

कोई बड़ी बात न थी, मामूली सी बात थी, बस एक छोटी सी बात

इतनी ही थी

क़िस्मत में इतने ही दिन जीता था, मुक़द्दर में उतनी ही उम्र थी

क्या कम थी

पहले ही बहुत थे, काफ़ी था, अब और हो गया (ज़्यादती ज़ाहिर करने के मौक़ा पर मुस्तामल)

तक़दीर यूँ ही थी

क़िस्मत में ऐसा ही लिखा था, ऐसा ही होना था, (नुक़सान के समय पर सांत्वना के लिए कहा जाता है)

क्या क़यामत की घड़ी थी

बहुत परेशानी का समय था, अधिक मुसीबत का वक़्त था

क्या ख़ाक लुटी थी

क्या बाँटी गई थी

इतनी ही लिखी थी

क़िस्मत में इतने ही दिन जीता था, मुक़द्दर में उतनी ही उम्र थी

भला ऐसी बात थी

ऐसा नहीं हो सकता, यह संभव न था, ये साहस न थी

ज़ालिम की रस्सी दराज़ थी

जो अत्याचार करता है उसकी आयु अधिक होती है

किसी की रूह प्यासी थी

जब पानी से भरा हुआ घड़ा या मटका अपने आप टूट जाता है तो यह कहावत ज़बान पर लाते हैं

रूह किसी की प्यासी थी

(अविर) घड़ा टूट जाये तो कहती हैं

आप ही की कसर थी

आपके आने से मज्लिस मुकम्मल हो गई

पकाई थी खीर हो गया दलिया

काम बिगड़ गया

सुब्ह किस की शक्ल देखी थी

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

भला ऐसी क्या बात थी

यह कौन सी मुश्किल बात थी

गई थी नमाज़ बख्शवाने रोज़ा गले पड़ा

एक मुश्किल से बचना चाहा, दूसरी मुश्किल उससे ज़्यादा आ पड़ी, एक काम से क्षमा चाहा दूसरा काम और गले पड़ा, उलट लेने के देने पड़ गए

ये हवा बैठी भी न थी

अभी ये बात चल रही थी, अभी ये सिलसिला समाप्त नहीं हुआ था

हवा और थी पानी और था

दूसरा ज़माना था, ये सूरत-ए-हाल ना थी, हालात और अंदाज़ मुख़्तलिफ़ थे

आख़िर मैं कुएँ में तो नहीं गई थी

ऐसी जगह तो नहीं गई थी जहाँ से फिर न आ सकती

धोती थी दो पाँव, धोने पड़े चार पाँव

विवाह के पश्चात बहुत काम करना पड़ता है, स्त्री का विवाह हो जाए तो दुगना काम करना पड़ता है

तुमहारी ओर को आँख लगी हूई थी

तुम से उम्मीद बंधी थी, तुम ही से आस लगी हुई थी

अल्लाह अल्लाह करती थी, घी के पापड़ तलती थी, पापड़ हुए तमाम, बेटा करे आराम

बच्चे को थपकने और सुलाने की लोरी

शेरशाह की दाढ़ी बड़ी थी या सलीम शाह की

बेकार बहस अथवा तकरार के अवसर पर बोलते हैं

आई थी आग को रह गई रात को

बद चलन है, अनैतिकता के लिए ज़रा सा बहाना काफ़ी है

आते का मुँह देखती थी जाते की पीठ

प्रतीक्षा की बेताबी ज़ाहिर करने के अवसर पर प्रयुक्त

वो दिन गए जो भैंस पकौड़े हगती थी

उस व्यक्ति के लिए कहते हैं जिसने बेकार में ख़र्च करना छोड़ दिया हो, बेकार में ख़र्च करने का ज़माना बीत गया

आई थी आग लेने बन गई घर की मालिक

اس عورت کے متعلق کہتے ہیں جو بہانہ سے کسی کے گھر میں داخلہ کر کے مالک سے شادی کر لے

भला ऐसी मेरी क्या खाट कटी थी

क्या मजबूरी है? मुझे ऐसी क्या ज़रूरत थी

नसीब के बलिया , पकाई थी खीर हो गया दलिया

किसी काम के बिगड़ जाने पर कहते हैं

सोती थी पर काता नहीं जो काता तो पाँच पाव

सुस्त औरत पर तंज़ है कि अव़्वल तो काम नहीं करती अगर करती है तो बराए नाम

रोने को थी ही इतते में आ गए भैया

रोने के लिए बहाना मिल गया, कोई काम पहले करने को थे कि बहाना भी मिल गया

सैफ़ तो पट पड़ी थी पर नीमचा काट कर गया

जिस पर भरोसा था इस से तो काम ना निकला बल्कि एक अदना वसीले से निकल आया , जिस से उम््ीद ना थी इस से मतलब बरारी हुई

सैफ़ तो पट पड़ी थी मगर नीमचा काट कर गया

जिस पर भरोसा था इस से तो काम ना निकला बल्कि एक अदना वसीले से निकल आया , जिस से उम््ीद ना थी इस से मतलब बरारी हुई

पहले तो थी मैं औनी पौनी , अब हुई सौ से दूनी

जब किसी की नाक़द्री के बाद क़दर हो तो ये कहते हैं

शोर-ओ-ग़ुल ऐसा कि कान पड़ी आवाज़ सुनाई न देती थी

बहुत ज़्यादा शोर दिखाने को कहते हैं

थाली गिरी झंकार हुई , क्या ख़बर भरी थी या ख़ाली

ख़ाह हक़ीक़त कुछ भी हो मगर बदनामी हो जाये तो उसे कौन रोक सकता है

सारी रात कहानी सुनी सुब्ह को पूछे ज़ुलैख़ा 'औरत थी या मर्द

उस व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो ध्यान से बात न सुने और फिर उसका मतलब ग़लत समझे

इस से क्या हासिल कि शेरशाह की दाढ़ी बड़ी थी या सलीम शाह की

बेकार बहस अथवा तकरार के अवसर पर बोलते हैं

सारी रामायण पढ़ गए सुन के पूछा सीता किस की जोरू थी

रुक : सारी ज़ुलेख़ा सुन ली और ना मालूम हुआ कि ज़ुलेख़ा औरत थी या मर्द

एक ग़रीब को मारा था तो नौ मन चर्बी निकली थी

(व्यंगनात्मक) ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है जो ग़रीब होने का दिखावा करता हो और वास्तव में ग़रीब न हो

झूट बोलने वालों को पहले माैत आती थी अब बुख़ार भी नहीं आता

कलयुग का समय है, झूट बोलने वालों को कोई हानि नहीं पहुँचती

सारी रामायण पढ़ गए लेकिन मा'लूम नहीं कि सीता 'औरत थी या मर्द

रुक : सारी ज़ुलेख़ा सुन ली और ना मालूम हुआ कि ज़ुलेख़ा औरत थी या मर्द

इस से क्या हासिल कि शाह जहाँ की दाढ़ी बड़ी थी या 'आलम-गीर की

अत्यधिक वाद विवाद व्यर्थ होता है, अनावश्यक चर्चा से क्या लाभ

सारी ज़ुलैख़ा सुन ली और ये न मा'लूम हुआ कि ज़ुलैख़ा 'औरत थी कि मर्द

बूओरा क़िस्सा सुनने के बाद जब कोई उसी किसे के मुताल्लिक़ बेतुका सवाल कर बैठे तो इस से कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आप ही की कसर थी के अर्थदेखिए

आप ही की कसर थी

aap hii kii kasar thiiآپ ہی کی کسر تھی

वाक्य

आप ही की कसर थी के हिंदी अर्थ

  • आपके आने से मज्लिस मुकम्मल हो गई

آپ ہی کی کسر تھی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • آپ کے آنے پر مجلس مکمل ہو گئی

Urdu meaning of aap hii kii kasar thii

  • Roman
  • Urdu

  • aap ke aane par majlis mukammal ho ga.ii

खोजे गए शब्द से संबंधित

ठी-ठी

अशिष्टतापूर्वक और तुच्छ भाव से ठी-ठी शब्द करते हुए हँसने का शब्द

थी

was

थू-थू

घोर निंदा; लांछन

थीं

were

थई-थई

संगीत: तबले की थाप की आवाज़, ताल, ताली, नाच-गाना, नाचने में गति की आवाज़, थाप की आवाज़

ठाए-ठाए

رک : ٹھائیں ٹھائیں ، زور سے ، آواز کے ساتھ.

टूहू-टूहू

رک : ٹووٹ ٹوہو.

ही ही ठी ठी

unmannerly laugh

ही ही ठी ठी करना

अश्लील हँसी हँसना, अकारण खुलकर हँसना, बेहूदा हँसी हँसना

थी-बाहो

(ٹھگی) گدھے کی آواز جو دائیں جانب سے آئے جسے اچھا شگون سمجھا جاتا ہے .

भरा कनाला छाने थी, फागुन को नहीं जाने थी

आरंभ में जो इतना व्यय किया ऐसे दिनों की आशा न थी

तक़्दीर यूँही थी

नुक़्सान के मौक़ा पर दिलासा देने के लिए कहते हैं

वारी गई थी

(अविर) वो कौन है जो बोले या दख़ल दे नीज़ वो किसी काम की नहीं

आँख में थी शर्म दिल की थी नर्म

महिलाएँ व्यंगात्मक तौर पर उस जगह कहती हैं जहाँ न मानने वाली बात कोई मुरव्वत और पास एवं लिहाज़ के कारण मान ले

क्या रात थी

क्या उम्दा मुबारक और मसऊद शब थी जिस का अब अफ़सोस आता है

क्या चली थी

इसकी क्या आवश्यकता थी, इसकी क्या ज़रूरत थी

क्या बात थी

कोई बड़ी बात न थी, मामूली सी बात थी, बस एक छोटी सी बात

इतनी ही थी

क़िस्मत में इतने ही दिन जीता था, मुक़द्दर में उतनी ही उम्र थी

क्या कम थी

पहले ही बहुत थे, काफ़ी था, अब और हो गया (ज़्यादती ज़ाहिर करने के मौक़ा पर मुस्तामल)

तक़दीर यूँ ही थी

क़िस्मत में ऐसा ही लिखा था, ऐसा ही होना था, (नुक़सान के समय पर सांत्वना के लिए कहा जाता है)

क्या क़यामत की घड़ी थी

बहुत परेशानी का समय था, अधिक मुसीबत का वक़्त था

क्या ख़ाक लुटी थी

क्या बाँटी गई थी

इतनी ही लिखी थी

क़िस्मत में इतने ही दिन जीता था, मुक़द्दर में उतनी ही उम्र थी

भला ऐसी बात थी

ऐसा नहीं हो सकता, यह संभव न था, ये साहस न थी

ज़ालिम की रस्सी दराज़ थी

जो अत्याचार करता है उसकी आयु अधिक होती है

किसी की रूह प्यासी थी

जब पानी से भरा हुआ घड़ा या मटका अपने आप टूट जाता है तो यह कहावत ज़बान पर लाते हैं

रूह किसी की प्यासी थी

(अविर) घड़ा टूट जाये तो कहती हैं

आप ही की कसर थी

आपके आने से मज्लिस मुकम्मल हो गई

पकाई थी खीर हो गया दलिया

काम बिगड़ गया

सुब्ह किस की शक्ल देखी थी

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

भला ऐसी क्या बात थी

यह कौन सी मुश्किल बात थी

गई थी नमाज़ बख्शवाने रोज़ा गले पड़ा

एक मुश्किल से बचना चाहा, दूसरी मुश्किल उससे ज़्यादा आ पड़ी, एक काम से क्षमा चाहा दूसरा काम और गले पड़ा, उलट लेने के देने पड़ गए

ये हवा बैठी भी न थी

अभी ये बात चल रही थी, अभी ये सिलसिला समाप्त नहीं हुआ था

हवा और थी पानी और था

दूसरा ज़माना था, ये सूरत-ए-हाल ना थी, हालात और अंदाज़ मुख़्तलिफ़ थे

आख़िर मैं कुएँ में तो नहीं गई थी

ऐसी जगह तो नहीं गई थी जहाँ से फिर न आ सकती

धोती थी दो पाँव, धोने पड़े चार पाँव

विवाह के पश्चात बहुत काम करना पड़ता है, स्त्री का विवाह हो जाए तो दुगना काम करना पड़ता है

तुमहारी ओर को आँख लगी हूई थी

तुम से उम्मीद बंधी थी, तुम ही से आस लगी हुई थी

अल्लाह अल्लाह करती थी, घी के पापड़ तलती थी, पापड़ हुए तमाम, बेटा करे आराम

बच्चे को थपकने और सुलाने की लोरी

शेरशाह की दाढ़ी बड़ी थी या सलीम शाह की

बेकार बहस अथवा तकरार के अवसर पर बोलते हैं

आई थी आग को रह गई रात को

बद चलन है, अनैतिकता के लिए ज़रा सा बहाना काफ़ी है

आते का मुँह देखती थी जाते की पीठ

प्रतीक्षा की बेताबी ज़ाहिर करने के अवसर पर प्रयुक्त

वो दिन गए जो भैंस पकौड़े हगती थी

उस व्यक्ति के लिए कहते हैं जिसने बेकार में ख़र्च करना छोड़ दिया हो, बेकार में ख़र्च करने का ज़माना बीत गया

आई थी आग लेने बन गई घर की मालिक

اس عورت کے متعلق کہتے ہیں جو بہانہ سے کسی کے گھر میں داخلہ کر کے مالک سے شادی کر لے

भला ऐसी मेरी क्या खाट कटी थी

क्या मजबूरी है? मुझे ऐसी क्या ज़रूरत थी

नसीब के बलिया , पकाई थी खीर हो गया दलिया

किसी काम के बिगड़ जाने पर कहते हैं

सोती थी पर काता नहीं जो काता तो पाँच पाव

सुस्त औरत पर तंज़ है कि अव़्वल तो काम नहीं करती अगर करती है तो बराए नाम

रोने को थी ही इतते में आ गए भैया

रोने के लिए बहाना मिल गया, कोई काम पहले करने को थे कि बहाना भी मिल गया

सैफ़ तो पट पड़ी थी पर नीमचा काट कर गया

जिस पर भरोसा था इस से तो काम ना निकला बल्कि एक अदना वसीले से निकल आया , जिस से उम््ीद ना थी इस से मतलब बरारी हुई

सैफ़ तो पट पड़ी थी मगर नीमचा काट कर गया

जिस पर भरोसा था इस से तो काम ना निकला बल्कि एक अदना वसीले से निकल आया , जिस से उम््ीद ना थी इस से मतलब बरारी हुई

पहले तो थी मैं औनी पौनी , अब हुई सौ से दूनी

जब किसी की नाक़द्री के बाद क़दर हो तो ये कहते हैं

शोर-ओ-ग़ुल ऐसा कि कान पड़ी आवाज़ सुनाई न देती थी

बहुत ज़्यादा शोर दिखाने को कहते हैं

थाली गिरी झंकार हुई , क्या ख़बर भरी थी या ख़ाली

ख़ाह हक़ीक़त कुछ भी हो मगर बदनामी हो जाये तो उसे कौन रोक सकता है

सारी रात कहानी सुनी सुब्ह को पूछे ज़ुलैख़ा 'औरत थी या मर्द

उस व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो ध्यान से बात न सुने और फिर उसका मतलब ग़लत समझे

इस से क्या हासिल कि शेरशाह की दाढ़ी बड़ी थी या सलीम शाह की

बेकार बहस अथवा तकरार के अवसर पर बोलते हैं

सारी रामायण पढ़ गए सुन के पूछा सीता किस की जोरू थी

रुक : सारी ज़ुलेख़ा सुन ली और ना मालूम हुआ कि ज़ुलेख़ा औरत थी या मर्द

एक ग़रीब को मारा था तो नौ मन चर्बी निकली थी

(व्यंगनात्मक) ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है जो ग़रीब होने का दिखावा करता हो और वास्तव में ग़रीब न हो

झूट बोलने वालों को पहले माैत आती थी अब बुख़ार भी नहीं आता

कलयुग का समय है, झूट बोलने वालों को कोई हानि नहीं पहुँचती

सारी रामायण पढ़ गए लेकिन मा'लूम नहीं कि सीता 'औरत थी या मर्द

रुक : सारी ज़ुलेख़ा सुन ली और ना मालूम हुआ कि ज़ुलेख़ा औरत थी या मर्द

इस से क्या हासिल कि शाह जहाँ की दाढ़ी बड़ी थी या 'आलम-गीर की

अत्यधिक वाद विवाद व्यर्थ होता है, अनावश्यक चर्चा से क्या लाभ

सारी ज़ुलैख़ा सुन ली और ये न मा'लूम हुआ कि ज़ुलैख़ा 'औरत थी कि मर्द

बूओरा क़िस्सा सुनने के बाद जब कोई उसी किसे के मुताल्लिक़ बेतुका सवाल कर बैठे तो इस से कहते हैं

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