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चले

चले वहाँ से

किसी की हैसियत को कम करने पर बोलते हैं आए वहाँ से

चलेपा-सर

चले राँड का चर्ख़ा और बुरे का पेट

अभागी रांड को हर समय परिश्रम कर के भोजन करना पड़ता है और दुष्ट मनुष्य को असंयम होने की वजह से दस्त लगे रहते हैं

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम में कुशल न होने पर दूसरे पर आरोप मढ़ना

चलेपा

फा. वि. सलीब, क्रास।।

चले चलना

बराबर चले जाना, कहीं न ठहरना, चलते रहना, सफ़र करते रहना, यात्रा करते रहना

चलेपा करना

काट देना, क़लमज़द करदेना

कहाँ चले

जब कोई शख़्स मुद्दत के बाद या बेवक़त आता है तो इस से कहते हैं, किस ग़रज़ से आए, किस काम से तकलीफ़ की, बेवक़त कहाँ आए

किसी का हाथ चले किसी की मुँह चले

ज़बरदस्त मारता है, कमज़ोर गालियां देता है

किसी का हाथ चले किसी की ज़बान चले

ज़बरदस्त मारता है, कमज़ोर गालियां देता है

मेंडक चले मदारों को

कमीने या निकम्मे आदमी ने भी बड़ा हौसला किया

दस आए दस चले

ऐसी जगह बोलते हैं जहां आने जाने का सिलसिला बराबर जारी रहे

सीधे चले आना

बिलाताम्मुल चले आना बगै़र किसी बस वपीश के आना

पेट चले मन भक्तों को

मुसीबत पड़ी हुई है और दिल ऐसी बातों को चाहता है जिस से मुसीबत और बढ़े

मुँह उठाए चले जाना

मुँह उठाए चले आना

बेधड़क चले आना, दर्राना चले आना, देखे-भाले बग़ैर चले आना

मुँह उठाए चले जाना

बेइरादा रवाना होना, लापरवाई से जाना, बेधड़क चल पड़ना

ग़ोते में चले जाना

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कहाँ चले आते हो

कहाँ चले आते हो

तुम्हारे आने का काम नहीं है, पर्दा है, पर्दे वाले बैठे हैं

गुंडे चले बज़ार, बिनौले ढाँक रखियो

आप कहाँ चले आते हैं

किसी निःसंकोच मित्र या साथी के बहुत दिन में सूरत दिखाने के अवसर पर उलाहना देने के लिए प्रयुक्त

हम चले

रुख़स्त होते वक़्त का कलिमा

गाँड़ चले मन बख़्तों को

पेचिश के मरीज़ हैं मगर स्केल ग़िज़ा के शौक़ीन, शौक़ के मारे नुक़्सानदेह चीज़ों से परहेज़ नहीं, मुहताजी में हौसलामंदी या बीमारी में बदपरहेज़ी के मौक़ा पर कहते हैं

गाँड़ चले मन बख्तों को

पेचिश के मरीज़ हैं मगर स्केल ग़िज़ा के शौक़ीन, शौक़ के मारे नुक़्सानदेह चीज़ों से परहेज़ नहीं, मुहताजी में हौसलामंदी या बीमारी में बदपरहेज़ी के मौक़ा पर कहते हैं

क्या आए क्या चले

जब कोई दोस्त आते ही जाने लगे उस अवसर पर कहते हैं

आज आए कल चले

ठहराव अस्थायी है, स्थिरता नहीं

मुँह चले सत्तर बला टले

सारी ताक़त खाने पीने से होती है

मरन चले और सोख सामने

मरण के वास्ते भी शगून देखती है (हमाक़त जताने के लिए), जब मरना ही मक़सूद है तो फिर शगून कैसा या डर कैसा, ऐन मुसीबत में जी छिपाने वाले की निसबत कहते हैं

सोना उछालते चले जाओ

अच्छी राज्य के बारे में कहते हैं जब बहुत शांति हो, अच्छी सल्तनत के मुताल्लिक़ कहते हैं जब बहुत अम्न हो

सोना उछालते चले जाना

निहायत अमन-ओ-अमान के साथ, निहायत बेफ़िकरी से ज़िंदगी बसर करना, हर किस्म के ज़ुल्म-ओ-सितम, लूओट् मार, ख़ौफ़ और डर से महफ़ूज़ रहना

पैसा नहीं पास, चले नवाब के साथ

निर्धन हो कर धनवानों का साथ अपनाना

साझे की सूई साँग में चले

हिस्सा दारों में सहमति नहीं होती, साझेदारों की चीज़ बुरी तरह इस्तेमाल होती है

डाढ़ चले सत्तर बलाटले

भुखमरी से दुर्बलता और दूसरी अन्य बीमारियां पैदा हो जाती हैं

भीक माँगने चले और मश'अलची साथ

नीच काम कर के शेखी बघारने के अवसर पर प्रयुक्त

ऊँचो ऊँचो सब चलें नीचो चले न कोय, तुलसी नीचो वो चले जो गर्ब से ऊँचो होय

जिस में घमंड का अंश नहीं उसके अतिरिक्त कोई शांतिपूर्ण तरीक़े से नहीं रह सकता

घर से लड़कर तो नहीं चले

कोई ज़बरदस्ती बिगड़ता और जघड़ता है और ख़्वाहमख़्वाह किसी के सर होता है तो ये जुमला कहते हैं

घर नहीं दाने मियाँ चले भुनाने

मुफ़लिस शेखी बाज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

पीछा दबाए चले जाना

नौ दिन चले अढ़ाई कोस

बहुत मंदगामी, सुस्ती पर व्यंग के तौर पर वाक्य है

छोड़ चले बंजारे की सी आग

जब आवश्यकता न रही संबंध तोड़ दिया, किसी ऐसी स्त्री का कथन, जिस का प्रेमी उसे छोड़ कर चला गया हो

कौड़ी नहीं गाँठ में चले बाग़ की सैर

बहुत ग़रीब होना

आप चले भुइँ शेख़ी गाड़ी पर

है तो निर्धन परंतु डींगें बहुत मारता है, रहना झोंपड़ियों में महलों के सपने देखना

दिन भले आएँगे तो घर पूछते चले आएँगे

जब भाग्य अच्छा होता है तो काम अपने आप बन जाते हैं एवं हालत सुधर जाती है

पास रहे जानिये या बाट चले

किसी की अच्छाई या बुराई उसी सूरत में मालूम होती है जब वो या तो पास रहे या सफ़र में शरीक हो

तुम और चले घाव में मिर्चें लगाने

कल्ला चले सत्तर बला टले

खाने-पीने से आदमी स्वस्थ रहता है, मनुष्य के लिए भोजन बड़ी चीज़ है

जीभ चले सत्तर बला टले

बहुत बातें करने वाले से लोग डरते हैं और दूर रहते हैं

हाथ चले न हिय्याँ, बैठा दे गुइयाँ

किसी का मुँह चले किसी का हाथ

बदज़ुबानी का नतीजा मार खाना है

आग लेने आए थे क्या आए क्या चले

बहुत थोड़े समय के लिए आना, आते ही लौट जाना

आम फले नियो चले अरंड फले इतराए

सज्जन धनवान हो कर और भी विनम्र हो जाता है और नीच मालदार हो कर सरकश और घमंडी बन जाता है

हाथ चले न पैयाँ , बैठा दे गुसियाँ

ख़ुदा ताला अपाहजों को घर बैठे रोज़ी पहुंचाता है, काम काज हो या ना हो मगर रज़्ज़ाक़ भूका नहीं रखता और घर बैठे देता है

कहा चले

राह चले या पास बसे , जब जानिये

आदमी सफ़र और पड़ोस में रह कर पहचाना जाता है

लीक लीक गाड़ी चले और लीक चले सपूत, लीक छोड़ तीन ही चलें सागर, सिंघ, कपूत

नालायक़ औलाद बाप दादा की राह पर नहीं चलती, गाड़ी लीक पर चलती है और बेवक़ूफ लड़का पुराने रस्म-ओ-रिवाज पर चलता है, शायर, शेर और नालायक़ बेटा पुराने रास्ते पर नहीं चलते बल्कि नया रास्ता निकालते हैं

न अपनी ख़ुशी आए , न ख़ुशी चले

मिस्सी काजल किस को, मियाँ चले भुस को

जब संरक्षक न हो तो हुनर बेकार है, वो स्वयं कंगाल है दूसरों को क्या देगा

मरने को चले और कफ़न का टूटा

बेकार बहाना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में चले के अर्थदेखिए

चले

chaleچَلے

वज़्न : 12

देखिए: चला

English meaning of chale

  • go, proceed, conduct, walk, move

چَلے کے اردو معانی

  • چلا کی محّرفہ شکل، چلنا سے مشتق، تراکیب میں مستعمل

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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