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हँसे और फँसे

मज़ाक़ और दिल लगी से एहतियात ही ख़ूब है , जब कोई हंस पड़े तो उसे शीशे में उतारना आसान होता है

पाबंद फँसे आज़ाद हँसे

एक आदमी पर मुसीबत पड़े तो दूसरा हँसता है

बुरे-फँसे

अकस्मात या अनजाने में ऐसी उलझन में फँसना जिस से बचना मुश्किल हो

एक हँसे, एक दुख में

इस संसार में एक जैसी हालत नहीं, कोई ख़ुश है और कोई परेशानी में, कोई सुखी है तो कोई दुखी

सूप तो सूप हँसे छलनी भी हँसे जिस में बहत्तर छेद

रुक : सूओप बोले तो बोले छलनी क्या बोले अलख

हँसे तो औरों को , रोवे तो अपनों को

औरों पर मुसीबत पड़े तो हंसी आती है और जो अपने आप पर आन पड़े तो रोना आता है

हँसे तो हँसिए अड़े तो अड़िए

जो अच्छी तरह मिलें उन से अच्छी तरह मिलना चाहिए और जो लड़ें झगड़ें उन से लड़ना चाहिए

अपने बावलों को रोए दूसरे के बावलों को हँसे

अपने पागलों को रोना और दूसरे के पागलों को हँसना, अपनी हानि पर पश्चाताप करना और दूसरे की हानि पर ख़ुश होना

और से और

और सुनिए

तरफ़ा तर बात है, अजीब बात है, मुक़ाम हैरत है, तमाशा है

कहीं-और

किसी दूसरी जगह, किसी अन्य स्थान पर, किसी और के पास, किसी और जगह, मिठाई उस दुकान पर नहीं है तो कहीं और से लाओ

और-एक

हँसी और फँस

हंसी रजामंदी की अलामत है, अगर औरत ग़ैर मर्दों के साथ हंसे तो ख़्याल किया जाता है कि वो उन के साथ राज़ी होगई है और बदचलन ख़्याल की जाती है

हँसी और फँसी

और कहीं

तर्द और 'अक्स

गाँव और का , नाँव और का

चीज़ किसी की और नाक किसी का, बेगानी चीज़ से अपनी शौहरत

हँसी और गैस

सिर्फ़ और सिर्फ़

लो और सुनिये

रुक : लो और सुनो

ज़ाहिर और बातिन और

ज़बान पर कुछ दिल में कुछ, कहता कुछ है लेकिन सोच में और विचारों में कुछ और होता है, करनी और कथनी में अंतर

और-'आलम

परम्परा से बदला हुआ रंग या हाल, पहले से बदली हुई स्थिति, मदहोश

सख़ी दे और शर्माए बादल बरसे और गर्माए

फ़ी्याज़ आदमी, दे कर एहसान नहीं जताता मगर बादल बरसता है और गरजता भी है, सखी की सख़ावत एहसान रखने के लिए नहीं होती

शेर-ए-क़ालीं और है, शेर-ए-नीस्ताँ और है

बहादुरी का अमलन इज़हार और चीज़ है और बहादुरी की बातें करना और चीज़ है

हाँ और

चोरी और सरहंगी

रुक : चोरी और सर ज़ोरी

हुश्त और मुश्त

ये मुँह और गाजरें

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है, इस काम या बात के क़ाबिल नहीं, ये हैसियत या औक़ात नहीं है

खाने के दाँत और हैं दिखाने के और

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

ये मुँह और फुलौरियाँ

यह काम तुम्हारी हैसियत से ज़्यादा है, तुम इस लायक़ नहीं

हगे और आँखें गरेरे

क़सूर करे और उलटा धमकाए

ये मुँह और गुलगुले

इसके लायक़ नहीं है, इसके लिए सक्षम नहीं है

साँप और सपेरे वाली

ये मुँह और मसाला

रुक : ये मुँह और मुसव्विर की दाल

ये मुँह और मसाला

रुक : ये मुँह और मुसव्विर की दाल

नीस्ती और बर-ख़ुरदारी

रुक : नीस्ती में बरखु़र्दारी, ग़रीबी और औलाद की कसरत, मुफ़लिसी में कसरत-ए-अयालदारी

और सुनो

थोड़ा मेरी बात सुनो, मेरी बात सुनो, बातचीत के बीच बोला जाता है

एक और

मूतेंगे और सो रहेंगे

बेफ़िकर हो जाऐंगे

वो और होंगे

वो कोई और लोग होंगे, हम ऐसे नहीं हैं, ये काम हम नहीं करते

जौ-फ़रोशी और गंदुम-नुमाई

और देखिये

आश्चर्य एवं अचरज के अवसर पर उपयुक्त, पर्यायवाची : कितने अचंभे की बात है, बड़े आश्चर्य का स्थान है

ये और

मज़ीद, इस के इलावा

रूपयों और अशरफ़ियों में खेलना

बहुत धनी होना, अधिक दौलत होना

बोएँ जौ और काटें गेहूँ

अजीब बात है की हराई और बदले में मिली नेकी

और नहीं तो

तू कहाँ और मैं कहाँ

तेरा मेरा क्या मुक़ाबला है, अगर आला से ख़िताब है तो अपने आप को कमतर और अदना से ख़िताब हो तो अपने आप को अफ़ज़ल ज़ाहिर किया जाता है

हम से और चौसर

हमारे साथ ये चालाकियां

अश्क और गैस

बहर-ए-ख़ुदा और रसूल

ईश्वर और दूत के लिए, बिना किसी निजी स्वार्थ के

सर और आँखों पर लेना

ख़ुशी से क़बूल करना, एहतिराम-ओ-तौक़ीर की नज़र से देखना, ताज़ीम-ओ-तकरीम करना, ख़ातिर मुदारात करना, ख़ुशआमदीद कहना

बिल्ली और हमीं से मियाओं

रुक : हमारी बिल्ली हमें से मियाऊं

कहना और शै है, करना और शै है

मुँह से कहने और करने में बड़ा अंतर है, बोलना आसान है लेकिन करना मुश्किल है

मुँह पे और, पीठ पीछे और

ज़ाहिर में दोस्त बातिन में दुश्मन, मुनाफ़िक़ है

मुँह पर और, पीठ पीछे और

ज़ाहिर में दोस्त बातिन में दुश्मन, मुनाफ़िक़ है

रंग और होना

तबदीली आना, कैफ़ीयत या हालत का बदल जाना, तग़य्युर, आ जाना, सूरत-ए-हाल यकसर मुख़्तलिफ़ हो जाना

मैं कहाँ और वो कहाँ

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

साबिर और शाकिर दोनों जन्नती

मुस्लमानों में सब्र और शुक्र करने वालों का बड़ा दर्जा है

रूपया और अशरफ़ियों में खेलना

बहुत धनी होना, अधिक दौलत होना

हाए तन्हाई और कुंज-ए-क़फ़स

मजबूरी-ओ-कसमपुर्सी का आलम

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हँसे और फँसे के अर्थदेखिए

हँसे और फँसे

ha.nse aur pha.nseہَنْسے اور پَھنْسے

कहावत

हँसे और फँसे के हिंदी अर्थ

  • मज़ाक़ और दिल लगी से एहतियात ही ख़ूब है , जब कोई हंस पड़े तो उसे शीशे में उतारना आसान होता है
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ہَنْسے اور پَھنْسے کے اردو معانی

  • مذاق اور دل لگی سے احتیاط ہی خوب ہے ؛ جب کوئی ہنس پڑے تو اسے شیشے میں اتارنا آسان ہوتا ہے ۔

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