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जैसी-कुछ

जैसा, जितना, जितनी

बारू जैसी भुरभुरी धौली जैसे धूप मीठी ऐसी कुछ नहीं जैसे मीठी चूप

शुक्र जो रीत की तरह भर भरी और धूप की तरह सफ़ैद होती है, चुप से ज़्यादा मीठी नहीं होती, ख़मोशी की तारीफ़ के मौक़ा पर मुस्तामल

जैसी सूत वैसी फैंटी , जैसी माँ वैसी बेटी

रुक: जैसा स्वत वैसी अलख

कहानी जैसी झूटी नहीं, बात जैसी मीठी नहीं

किसी बात के प्राक्कथन के रूप में : साधारण बात है बहुत अच्छी न बहुत बुरी

जैसी बंदगी वैसा इन'आम

जैसी सेवा, वैसा फल, जैसा कोई काम करता है वैसा ही उसे बदला या बख्शिश मिलती है

जैसी गंगा नहाए वैसे फल खाए

जैसा काम किया वैसा पाया

जैसी गंगा नहाए वैसे फल पाए

जैसा काम किया वैसा पाया

जैसा सूत वैसी फेंटी , जैसी माँ वैसी बेटी

रुक: जैसा स्वत वैसा अलख

जैसी गंदी सीत्ला , वैसे ही पूजन हार

लोग अपने सरदार या मालिक के रंग के मुताबिक़ होते हैं

जैसी दाई आप छिनाल, वैसी जाने सब संसार

बुरा आदमी सब को बुरा जानता है, जो जैसा होता है, वह दूसरों को भी वैसा ही समझता है

जैसी यहाँ करनी वैसी वहाँ भरनी

रुक: जैसा यहां करोगे वैसा वहां पाओगे

जैसी माँ वैसी जाई

हर चीज़ अपनी असल का नमूना होती है

जैसी सेवा करे तैसा आस पड़े

ख़िदमत से अज़मत है,ख़िदमत-ओ-मेहनत के मुताबिक़ माज़ा मिलता है

जैसी सेवा करे तैसा मेवा खाए

ख़िदमत से अज़मत है,ख़िदमत-ओ-मेहनत के मुताबिक़ माज़ा मिलता है

गुंबद की आवाज़ है जैसी कहो वैसी सुनो

बराबर के आदमी से तहम्मुल नहीं होता, हर शख़्स अपने आराम की जगह ढूंढता है, जैसा करोगे वैसा नतीजा होगा

जैसी कहना वैसी सुनना

ख़राब बात का ख़राब जवाब मिलता है

जैसी रूह वैसे फ़रिश्ते

जैसा आदमी होता है, वैसे ही उस के साथी होते हैं, जैसा स्वभाव या प्रकृति हो वैसा ही व्यवहार मिलता है, दोषपूर्ण को दोषपूर्ण वस्तु मिलती है

इंसान में कुछ नहीं

ज़िंदगी का कुछ एतबार नहीं

जैसी ज़ात वैसी बात

रुक: जैसा मुंह वैसा थप्पड़

जैसी बहे बियार पैठ तब तैसी दीजिये

हरवक़त के मुनासिब काम करना चाहिए या ज़माना बदले तो तुम भी बदल जाओ

आन में कुछ अन में कुछ

अत्यधिक चंचल-चित्त है कथनी और करनी का कोई विश्वास नहीं

आन में कुछ आन में कुछ

जैसी चाहो क़सम ले लो

भरोसा दिलाने हेतु वाक्य, यक़ीन दिलाने के लिए कहा जाता है

चाहे जैसी क़सम ले लो

क़सम खाने को तैय्यार हूँ, यक़ीन दिलाने के लिए कहते हैं

कुछ गेहूँ गीले कुछ जंदरे ढीले

(अविर) हीले करनेवाली और बहानाबाज़ औरत के बारे में कहते हैं

जैसी सेवा करे, वैसा फल खावे

रुक : जैसी सेवा करे तैसा अलख , जिस तरह की ख़िदमत की जाये वैसा अज्र मिले

जैसी सेवा करे, वैसा फल पावे

रुक : जैसी सेवा करे तैसा अलख , जिस तरह की ख़िदमत की जाये वैसा अज्र मिले

कुछ ढंग नहीं

कोई सलीक़ा नहीं , कुछ नहीं आता

कुछ तो गेहूँ गीले, कुछ जंदरी ढीली

बहाने करने वाली औरत के प्रति कहते हैं, काम न करने के सौ बहाने

जैसी रूह वैसा ही फ़रिश्ता

कुछ गेहूँ गीले कुछ जाँगर ढीले

कुछ गेहूँ गीले कुछ जाँगर ढीले

(अविर) हीले करनेवाली और बहानाबाज़ औरत के बारे में कहते हैं

मैं कुछ नहीं कहता

में शिकायत नहीं करता तथा मैं कोई राय नहीं देता

हमें कुछ काम नहीं

गाँठ गिरह में कुछ नहीं

(दिल्ली) बिलकुल मुफ़लिस है, क़ल्लअश है

कुछ गेहूँ गीले कुछ जंदरे ढीले

बंदे का चाहा कुछ नहीं होता, अल्लाह का चाहा सब कुछ होता है

ईश्वर की मर्ज़ी होती है बंदे या किसी व्यक्ति की मर्ज़ी नहीं होती

चार हाथ पाँव सब रखते हैं कुछ तुम्हारे ही नहीं हैं

कमाऊ खाओ , सब ताक़त रखते हैं, घमंड करने वाले को कहते हैं

कुछ कान में फूँकना

कोई मंत्र या जादू पढ़ कर कान में फूँकना

कुछ-ईंट

कुछ तुम ने समझा, कुछ हम ने समझा, औरों को ख़बर न हुई

किसी बात का तुम्हें ख़याल हुआ किसी बात का हमें, इस प्रकार बात बन गई

मुँह से कुछ का कुछ निकलना

कुछ-नहीं

कोई हैसियत या एहमीयत नहीं, कोई बात नहीं, नामुनासिब है

मुँह पर सब कुछ दिल में ख़ाक नहीं

सोंटा हाथ, देह में हाँगा, उस ने भेंटे सब कुछ माँगा

जिसकी लाठी उसकी भैंस, जिसके हाथ में लाठी और जिसमें शक्ति है, उसे जो माँगे मिल जाता है, अर्थात शक्तिशाली को सब कुछ मिल जाता है

सिवक़-उल-जैशी

कुछ आँसू पुछ गए

किसी क़दर तसल्ली हुई

ये कुछ नहीं

۔ ये कोई बुरी बात नहीं।ये अमर काबिल एतराज़ नहीं।

कुछ ऐसा नहीं

कुछ हासिल नहीं

कोई लाभ नहीं, कोई फ़ायदा नहीं

जैसी पड़े वैसी सहे

हर तरह की मुसबीयत बुरद शत कर ली , जो गुज़रे बर्दाश्त करे

जैसी पड़ी वैसी सही

हर तरह की मुसबीयत बुरद शत कर ली , जो गुज़रे बर्दाश्त करे

कोई किसी का कुछ नहीं कर सकता

कोई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता

मुँह पर कुछ दिल में कुछ

ज़ाहिर में कुछ बातिन में कुछ, ज़ाहिर और बातिन यकसाँ नहीं हैं

कुछ सोने खोट , कुछ सुनार खोट

कुछ सोना खोटा और कुछ सुनार खोटा, ख़ता दोनों की है, कुछ लोहा खोटा, कुछ लोहार (रुक

कुछ मुँह से सुनना

आँख से कुछ न सूझना

आँखों के सामने अंधेरा छा जाना, कुछ नज़र न आना (किसी विशेष स्थिति की तीव्रता के कारण)

मुँह से कुछ का कुछ निकलना

नशा या डर और रोब से कुछ कहना चाहना और ज़बान से कुछ और निकलना

मुँह से कुछ का कुछ निकालना

भय, शोक, क्रोध, नशा या रोब आदि में कुछ का कुछ कह जाना, ख़ौफ़, ग़म, ग़ुस्सा, नशा या रोब वग़ैरा में मन की बात के बजाय कुछ और कह जाना

कुछ सोना खोटा और कुछ सुनार खोटा

ताली दोनों हाथ से बजती है , लड़ाई या बिगाड़ दोनों तरफ़ से होता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जैसी-कुछ के अर्थदेखिए

जैसी-कुछ

jaisii-kuchhجَیسی کُچھ

जैसी-कुछ के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • जैसा, जितना, जितनी
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جَیسی کُچھ کے اردو معانی

فعل متعلق

  • جیسا ، جس قدر ،جتنی.

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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