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चले

चले चलना

बराबर चले जाना, कहीं न ठहरना, चलते रहना, सफ़र करते रहना, यात्रा करते रहना

चले वहाँ से

किसी की हैसियत को कम करने पर बोलते हैं आए वहाँ से

चले राँड का चर्ख़ा और बुरे का पेट

अभागी रांड को हर समय परिश्रम कर के भोजन करना पड़ता है और दुष्ट मनुष्य को असंयम होने की वजह से दस्त लगे रहते हैं

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम में कुशल न होने पर दूसरे पर आरोप मढ़ना

हम चले

रुख़स्त होते वक़्त का कलिमा

क्या चलेगा

रणनीति प्रभावी नहीं हो सकती, सामना नहीं कर सकता

कहा चले

कहाँ चले

जब कोई शख़्स मुद्दत के बाद या बेवक़त आता है तो इस से कहते हैं, किस ग़रज़ से आए, किस काम से तकलीफ़ की, बेवक़त कहाँ आए

किसी का हाथ चले किसी की ज़बान चले

ज़बरदस्त मारता है, कमज़ोर गालियां देता है

किसी का हाथ चले किसी की मुँह चले

ज़बरदस्त मारता है, कमज़ोर गालियां देता है

औघट चले न चौपट गिरे

हर कार्य सोच विचार कर करना चाहिए, न टेढ़ी चाल चलोगे न कष्ट में पड़ोगे

गहना पहन कर ढक चले, पूत जन कर नयो चले

अल्लाह ताला दौलत दे तो उसे छुपा कर रखे और औलाद दे तो इन्किसार से काम ले, इतराना किसी हाल में अच्छा नहीं

कहाँ चले आते हो

कहाँ चले आते हो

तुम्हारे आने का काम नहीं है, पर्दा है, पर्दे वाले बैठे हैं

मुँह उठाए चले आना

बेधड़क चले आना, दर्राना चले आना, देखे-भाले बग़ैर चले आना

मुँह उठाए चले जाना

बेइरादा रवाना होना, लापरवाई से जाना, बेधड़क चल पड़ना

झुक चले तो टूटे काहे

मुनक्सर मिज़ाज आदमी नुक़्सान नहीं उठाता

हारे तो चले नान पारे

बेहस में आजिज़ हो कर कोई बहाना करके टल जाना (अवध में एक रियासत का नाम है नानपारा)

ये अंदाम न चलेगा

यहां तुम्हारी दाल नहीं गलेगी, दम ना चलेगा, फ़रेब नहीं चलेगा

हाथ का दिया साथ चलेगा

(फ़क़ीरों की बोली) अर्थात : दान क़यामत में सज़ा से बचाएगी

फूहड़ चले तो घर हिले

रुक : फूहड़ चाले नौ घर हाले

मुँह चले सत्तर बला टले

सारी ताक़त खाने पीने से होती है

न दौड़ के चले, न गिरे

रुक : ना दौड़ चलो ना गिर पढ़ो

आप कहाँ चले आते हैं

किसी निःसंकोच मित्र या साथी के बहुत दिन में सूरत दिखाने के अवसर पर उलाहना देने के लिए प्रयुक्त

पास रहे जानिये या बाट चले

किसी की अच्छाई या बुराई उसी सूरत में मालूम होती है जब वो या तो पास रहे या सफ़र में शरीक हो

दौड़ चले न गिर पड़े

यह कहावत उस समय बोलते हैं जब कोई आदमी संतुलन से निकल कर काम करे और असफल हो जाए

घर से लड़कर तो नहीं चले

कोई ज़बरदस्ती बिगड़ता और जघड़ता है और ख़्वाहमख़्वाह किसी के सर होता है तो ये जुमला कहते हैं

जिस तरह बैठे हो उसी तरह चले आओ

जिस तरह बैठे हो उसी तरह चले आओ

(ओ) बहुत जल्द तलब करने और शदीद ज़रूरत ज़ाहिर करने के मौक़ा पर बोलते हैं

सब जगह से हारे तो चले नान पारे

रुक : पेट भरा तो दौर की सूओझी, भोओक् लगी तन॒दूओर की सूओझी

बाट चले जानिये या बाहा पड़े जानिये

मुआमला पड़ने या सफ़र या सोहबत या हमसायगी से आदमी का हाल खुलता है

राह चले या पास बसे , जब जानिये

आदमी सफ़र और पड़ोस में रह कर पहचाना जाता है

किसी का मुँह चले किसी का हाथ

बदज़ुबानी का नतीजा मार खाना है

हथिया चले न पय्या , बैठे दे गुसिय्याँ

काम करता नहीं और चाहता है कि बैठे को ख़ुदा खाने को दे, निकम्मे, काम चोर आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं

सीधे चले आना

बिलाताम्मुल चले आना बगै़र किसी बस वपीश के आना

न अपनी ख़ुशी आए , न ख़ुशी चले

भीक माँगने चले और मश'अलची साथ

नीच काम कर के शेखी बघारने के अवसर पर प्रयुक्त

न अपनी ख़ुशी आए , न अपनी ख़ुशी चले

अपना बस ना चलना, दूसरों के बस में होना (अपनी मजबूरी या बेबसी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर कहते हैं)

क्या बैल चलेगा

क्या काम आवेगा

हाथ चले न पैयाँ , बैठा दे गुसियाँ

ख़ुदा ताला अपाहजों को घर बैठे रोज़ी पहुंचाता है, काम काज हो या ना हो मगर रज़्ज़ाक़ भूका नहीं रखता और घर बैठे देता है

दे दाल में पानी पेगा, बह चले चौहानी

जब खाने वाले अधिक आ गए हों और साग-सबजी कम पड़ रही हो तब हँसी में कहते हैं

न दौड़ के चले, न गिर पड़े

रुक : ना दौड़ चलो ना गिर पढ़ो

क्या आए क्या चले

जब कोई दोस्त आते ही जाने लगे उस अवसर पर कहते हैं

ग़ोते में चले जाना

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मुँह उठाए चले जाना

सोना उछालते चले जाओ

अच्छी राज्य के बारे में कहते हैं जब बहुत शांति हो, अच्छी सल्तनत के मुताल्लिक़ कहते हैं जब बहुत अम्न हो

सोना उछालते चले जाना

निहायत अमन-ओ-अमान के साथ, निहायत बेफ़िकरी से ज़िंदगी बसर करना, हर किस्म के ज़ुल्म-ओ-सितम, लूओट् मार, ख़ौफ़ और डर से महफ़ूज़ रहना

मेंडक चले मदारों को

कमीने या निकम्मे आदमी ने भी बड़ा हौसला किया

पीछा दबाए चले जाना

दस आए दस चले

ऐसी जगह बोलते हैं जहां आने जाने का सिलसिला बराबर जारी रहे

पछुवा चले खेती पके

पछुवा हवा गर्म होती है इस लिए खेती जल्द पकती है

आज आए कल चले

ठहराव अस्थायी है, स्थिरता नहीं

लकीर पीटे चले जाना

चकर मकर चले जाना

हिलना, हरकत करना, फिरना

डाढ़ चले सत्तर बलाटले

भुखमरी से दुर्बलता और दूसरी अन्य बीमारियां पैदा हो जाती हैं

माँगे ताँगे काम चले तो ब्याह करे बला से

यदि आसानी से काम निकल जाए तो परिश्रम की क्या आवश्यक्ता है

लाला का घोड़ा खाए बहुत चले थोड़ा

पेटू और काम ना करने वाला, नरम मिज़ाज आदमी के नौकर खाते बहुत हैं और काम कम करते हैं

गाँड़ चले मन बख़्तों को

पेचिश के मरीज़ हैं मगर स्केल ग़िज़ा के शौक़ीन, शौक़ के मारे नुक़्सानदेह चीज़ों से परहेज़ नहीं, मुहताजी में हौसलामंदी या बीमारी में बदपरहेज़ी के मौक़ा पर कहते हैं

दामन झटक कर चले जाना

नाराज़ हो कर चले जाना, नाख़ुश हो कर चले जाना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जिसकी ज़बान चले उस के सत्तर हल चलें के अर्थदेखिए

जिसकी ज़बान चले उस के सत्तर हल चलें

jis kii zabaan chale us ke sattar hal chale.nجِس کی زَبان چلے اُس کے سَتَّر ہَل چَلیں

कहावत

जिसकी ज़बान चले उस के सत्तर हल चलें के हिंदी अर्थ

  • ज़बान चलाने वाला सबको दबा लेता है

English meaning of jis kii zabaan chale us ke sattar hal chale.n

  • the one who is dominant who does exploitation

جِس کی زَبان چلے اُس کے سَتَّر ہَل چَلیں کے اردو معانی

  • زبان دراز سب کو دبا لیتا ہے

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