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कहीं

किसी तरह

कहीं-का

कहीं की

कहीं-से

कहीं हो

काश ऐसा हो, ख़ुदा करे, ऐसा हो, काश

कहीं साई

इस के क़ौल-ओ-क़रार पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है, बहुत ही बे आतबारा है, एक बात पर क़ायम रहने वाला नहीं, किसी को साई किसी को बधाई

कहीं-नहीं

किसी जगह नहीं, बिलकुल पता नहीं

कहीं-कहीं

यहाँ वहाँ, ख़ाल-ख़ाल, बहुत कम, कुछ जगह, बाज़ जगह

कहीं-और

किसी दूसरी जगह, किसी अन्य स्थान पर, किसी और के पास, किसी और जगह, मिठाई उस दुकान पर नहीं है तो कहीं और से लाओ

कहीं से कहीं

उम्मीद से परे स्थान पर, ग़लत जगह, बे ठिकाना, जगह से बे जगह, बहुत दूर

कहीं न कहीं

किसी न किसी जगह, किसी न किसी स्थान पर

कहीं का कहीं

इधर उधर, बहुत दूर

कहीं गरजें कहीं बरसें

कहीं से कहीं होना

तितर बितर हो जाना, बिखर जाना, इधर से उधर होना, तलपट होना

कहीं का नहीं

आवारा है, बे ठिकाना है, बर्बाद, नामुराद है

कहीं से कहीं पहुँचना

बहुत तरक़्क़ी कर जाना, आगे बढ़ जाना, बहुत ज़्यादा बढ़ जाना

कहीं का कहीं पहुँचाना

बहुत ज़्यादा बढ़ जाना, बहुत दूर तक चला जाना

कहीं तोला, कहीं माशा

रुक : कभी तौला, कभी माशा नीज़ घड़ी तौला घड़ी माशा

कहीं ख़ैर ख़ूबी, कहीं हाए हाए

दुनिया में कहीं ख़ुशी होती है कहीं गुम, ज़माने के अजीब रंग हैं, कहीं ऐश-ओ-आराम कहीं रंज-ओ-मलाल

कहीं नहीं गया

अवश्य ऐसा होगा, ज़रूर ऐसा होगा, निश्चित ऐसा ही होगा, ज़रूर मिलेगा, अनिवार्य है

कहीं गया नहीं

ज़ाए नहीं हुआ, बे कार नहीं गया

कहीं ज़्यादा

कहीं नहीं गई

कहीं डूबे भी तिरे हैं

बिगड़ी हुई चीज़ नहीं सँवरती, बिगड़ी हुई चीज़ों का सँवरना कठिन है

कहीं तो सूही चुनरी और कहीं ढेले लात

कहीं तो किसी स्त्री को रंगीन साड़ी पहनने को मिलती है और कहीं लात-घूसे खाने को मिलते हैं

कहीं हाथों की लकीरें भी मिटी हैं

कहीं हाथों की लकीरें भी मिटती हैं

कहीं तक़दीर भी ख़ता करती है, कहीं रिश्ते भी छूओटते हैं, अपनों का अपनों को छोड़ना मुम्किन नहीं, अपनों का छूओटना और रिश्ता टूटना दुशवार है

कहीं हाथों की लकीरें भी टलती हैं

कहीं तक़दीर भी ख़ता करती है, कहीं रिश्ते भी छूओटते हैं, अपनों का अपनों को छोड़ना मुम्किन नहीं, अपनों का छूओटना और रिश्ता टूटना दुशवार है

कहीं रास्ता तो नहीं भूल गए

बवक़्त मुलाक़ात दोस्त से इज़हार-ए-इश्तियाक़-ओ-शकाएतके लिए इसी किस्म की इबारत मुस्तामल

कहीं रस्ता तो नहीं भूल गए

बवक़्त मुलाक़ात दोस्त से इज़हार-ए-इश्तियाक़-ओ-शकाएतके लिए इसी किस्म की इबारत मुस्तामल

कहीं थूक से भी सत्तू सनते हैं

ज़रूरी सामान के बगै़र काम नहीं हो सकता, छोटी पूंजी से बड़ा काम नहीं हो सकता

कहीं कव्वों के कोसे से ढोर मरते हैं

किसी के बुरा चाहने से बुरा नहीं होता

कहीं पाँ रखते हैं कहीं पड़ता है

होश-ओ-हवास ठिकाने नहीं, नशा या ज़ोफ़ से ये हालत है कि हर क़दम पर लुढ़कते फिरते हैं

कहीं पाँव रखते हैं कहीं पड़ता है

कहीं का नहीं रहना

۱. तबाह-ओ-बर्बाद हो जाना, किसी गों का ना होना, किसी काम या जगह के लायक़ ना होना, ज़लील-ओ-रुस्वा हो जाना , मक़सद को ना पहुंचना

कहीं का नहीं रखा

बेइज़्ज़त करना, बेआबरु करना

कहीं सुना है

हैरानी की बात है, ताज्जुब की बात है, कभी ऐसा हुआ है

कहीं पत्थर में भी जोंक लगी है

कहीं तिल रखने को जगह नहीं

बहुत भीड़ है, बिलकुल जगह नहीं

कहीं ओस से प्यास बुझती है

कहीं मुर्दे भी ज़िंदा होते हैं

कहीं ओस से भी प्यास बुझी है

चीज़ ज़रूरत के मुताबिक़ होनी चाहिए, ज़्यादा की ज़रूरत को थोड़ी चीज़ पूरा नहीं करसकती

कहीं हथेली पर भी सरसों जमती है

कहीं ओस से भी प्यास बुझती है

चीज़ ज़रूरत के मुताबिक़ होनी चाहिए, ज़्यादा की ज़रूरत को थोड़ी चीज़ पूरा नहीं करसकती

कहीं हथेली पर बी सरसों जमती है

कहीं इतना मुश्किल काम इतनी जल्द हो सकता है, दिक्कत तलब काम इतनी आसानी से नहीं हो सकता

कहीं सूखे दरख़्त भी हरे होते हैं

असंभव बात कभी संभव नहीं होती, जो एक बार बर्बाद या नष्ट हो जाए फिर उसकी उन्नति नहीं होती

कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुंबा जोड़ा

कोई बिल्कुल ही बिना सिर-पैर का काम

कहीं ऐसा न हो जाए

ख़िलाफ़-ए-तवक़्क़ो बात ना हो जाये उमूमन अंदेशे के मौक़ा पर बोलते हैं

कहीं ओस चाटे प्यास बुझती है

चीज़ ज़रूरत के मुताबिक़ होनी चाहिए, ज़्यादा की ज़रूरत को थोड़ी चीज़ पूरा नहीं करसकती

कहीं नज़र न लग जाए

(तंज़न) ऐसे शख़्स मी मज़म्मत या हजव जिस का फे़अल, मुतकल्लिम की तबीयत या तवक़्क़ो के ख़िलाफ़ हो

कहीं नाख़ुन से भी गोश्त जुदा होता है

अपनों को छोड़ना कठिन है, रिश्ता किसी तरह नहीं छूटता

कहीं तिल धरने की जगह नहीं

बिलकुल जगह नहीं यानी बड़ी कशमकश और हुजूम है

कहीं तिल धरने को जगह नहीं

कहीं बूढ़े तोते भी पढ़ना सीख सकते हैं

कहीं दाई से पेट छुपा है

कहीं दाई से पेट छु्पता है

ख़ास ख़ास लोगों से कोई राज़ की बात पोशीदा नहीं रह सकती

कहीं जा के

कहीं बूढ़े तोते भी पढ़ते हैं

हर बात अपने वक़्त हर मुनासिब होती है, बूढ़ों की तर्बीयत नहीं हो सकती, हर काम या फ़न की तहसील का ज़माना मुक़र्रर है, इस के गुज़रने के बाद इस का हुसूल मुश्किल होता है

कहीं बूढ़े तोते भी पढ़े हैं

कहीं बूढ़े तोते भी पढ़ते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कहीं-से के अर्थदेखिए

कहीं-से

kahii.n-seکَہِیں سے

वज़्न : 122

मूल शब्द: कहीं

टैग्ज़: व्यंगात्मक

English meaning of kahii.n-se

Adverb

  • from anywhere, from somewhere

کَہِیں سے کے اردو معانی

فعل متعلق

  • کسی اونچے مقام سے (بطور طنز) ، کسی جگہ سے.
  • کسی جگہ سے۔ اس زمانے میں کہیں سے روپیہ نہیں آتا۔

कहीं-से के अंत्यानुप्रास शब्द

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