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"कमल ओढ़ने से फ़क़ीर नहीं होता" शब्द से संबंधित परिणाम

होता

होने वाला, नहीं होने और होने के बीच का शब्द, नातेदार, सम्बंधी

होता-सोता

निकट का सम्बन्धी

होता हुवाता नहीं

नहीं होता, कुछ नहीं होता (उमूमन कुछ के साथ मुस्तामल)

होता सोता रहेगा

रुक : होता रहेगा , तुझ पर वबाल पड़ेगा, तू ही ऐसा रहेगा

होता आना

हमेशा से ऐसा होना

होता हुआ

गुज़रता हुआ, गुज़र कर, पार करके

होता रहना

लगातार होना, निरंतर होना, स्थिर होना, (कोई काम) स्थायी होना

होता जाना

۱۔ किसी जगह से हो कर जाना, मिलकर जाना, कहीं से होते हुए जाना

होता आया है

ज़माना-ए-क़दीम से ऐसा हुआ है, हमेशा से ऐसा हो रहा है, रिवाज है, दस्तूर है

होता ही होगा

होने ही वाला है, जल्द होगा

होता रहे गा

तुझ पर वबाल पड़ेगा, तू ही ऐसा रहेगा, तुझ पर ही ये बात पड़ेगी, गाली के ''जवाब'' में ये बात ज़बान पर लाते हैं यानी हमें बुरा कहेगा तो तू ही बुरा होगा, किसी काम या बात को टालने के लिए प्रयुक्त

होता ही क्या है

कुछ नहीं होता, बिलकुल गुज़ारा नहीं होता

होता चला आया है

होता आया है, प्राचीन काल से ऐसा हुआ है, सदैव से ऐसा हो रहा है, रीति है, नियम है

क्या होता

क्या प्रभाव होता, क्या लाभ होता, कुछ भी न होता, थोड़ा प्रभावित न करता

अन-होता

रो'ब नहीं होता

(ओ) हिम्मत नहीं होती

आँखें तारा सी होता

'आशिक़ अंधा होता है

प्रेमी प्रेमिका के सिवा कुछ नहीं सोचता वह अपनी धुन में रहता है

वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है

(मिसरा बतौर फ़िक़रा मुस्तामल) क़िस्मत की बात हर हाल में वाक़्य होकर रहती है, मुक़द्दर का लिखा टलता नहीं, जब कोई आदमी किसी के साथ बुराई करता है और दूसरा इस आंच से महफ़ूज़ रहता है तो उस वक़्त भी ये मिसरा पढ़ते हैं

पत्थर मोम नहीं होता

निर्दयी को दया नहीं आती

जहाँ मुर्ग़ा नहीं होता क्या वहाँ सवेरा नहीं होता

किसी के बगै़र कोई काम बंद नहीं होता

परसों का होता कल और कल का होता आज

ऐसे मवाक़े पर कहते हैं जहां बहुत उजलत ज़ाहिर करना मंज़ूर हो

मश'अल्ची अंधा होता है

मश'अल दिखाने वाले को उससे निकटता के कारण नहीं दिखाई देता

ख़राब होता फिरना

मा'लूम होता है

۔ख़्याल गुज़रता है।नज़र आता है।दिखाई देता है

कुछ ख़र्च नहीं होता

कंजा भगवान होता है

करंजा यानी नीली आँखों वाला भाग्यशाली होता है।

कंजा भागवान होता है

करंजा यानी नीली आँखों वाला ख़ुशकिसमत होता है

बंदे का चाहा कुछ नहीं होता, अल्लाह का चाहा सब कुछ होता है

ईश्वर की मर्ज़ी होती है बंदे या किसी व्यक्ति की मर्ज़ी नहीं होती

जहान आँखों में अँधेरा होता

यूँ भी होता है

यूँ भी है, ऐसे भी होता है, इस तरह भी होता है

चाँदनी में शहद नहीं होता

मधुमक्खियाँ चाँदनी रातों में मधु खा जाती हैं, इस लिए अगर छत्ता उतारा जाए तो मधु कम निकलता है

रहतों का घर नहीं होता

असल आबादी मालिक ही से होती है

घर में घर अच्छा नहीं होता

घर के अंदर दूसरा घर बनाने को अशुभ समझते हैं

ज़ालिम सर सब्ज़ नहीं होता

ज़ालिम को इस का ज़ुलम पनपने नहीं देता, ज़ालिम औलाद और मुराद से बेनसीब रहता है, ज़ालिम नामुराद-ओ-ना काम रहता है

कोई किसी का नहीं होता

किसी के दुख में कोई साझेदार नहीं होता

कमर न होता, साँझे सोता

नामर्द आदमी सर-ए-शाम सौ जाता है ताकि बीवी के सामने शर्मिंदा ना होना पड़े

गोश्त नाख़ूनों से कहीं जुदा होता

गधा पीटे घोड़ा नहीं होता

आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता

जिस से मुहब्बत होती है वो दिल पर बोझ नहीं लगता, जो अपने तन बदन का हिस्सा हो उसे सब चाहते हैं

ग़रज़-मंद बावला होता है

अपना 'ऐब मा'शूक़ होता है

इंसान को अपना दोष और खोट ख़राब नहीं लगता, वह इस के साथ ख़ूब निबाह और पालन करता है

तलवार का खेत हरा नहीं होता

अत्याचार कभी हरा नहीं होता, रक्त बहाने का परिणाम बुरा होता है

लड्डू कहे से मुँह मीठा नहीं होता

बातों ही बातों से काम नहीं होता है कुछ ख़र्च करना पड़ता है

सोहबत का असर होता है

पास बैठने से कुछ ना कुछ असर ज़रूर होता है, जब किसी का चाल चलन किसी के पास बैठने से ख़राब हो जाये तो कहते हैं

आदमी अपने मतलब में अंधा होता है

मनुष्य अपने मतलब को प्राप्त करने में अच्छाई और बुराई में अंतर नहीं करता है

नाख़ूनों से गोश्त जुदा नहीं होता

रुक : नाखुनों से गोश्त जुदा नहीं होता, अपने नहीं छूओटा करते, अपने किसी हाल में ग़ैर नहीं हो सकते

कुछ ख़र्च होता है !

इख़तियार आने ना आने में है जबर इस में नहीं कुछ ख़र्च होता है हाँ मुँह से फ़रमाते हुए

सोना छुए मिट्टी होता है

अतियंत भाग्यहीन एवं अभागे व्यक्ति के संबंध में बोलते हैं

नाख़ुन से मास जुदा नहीं होता

रुक : नाख़ुन से गोश्त जुदा नहीं होता, अपने किसी हालत में भी ग़ैर नहीं होते

कौड़ी पे ख़ून नहीं होता

मामूली बात के लिए कोई किसी का नुक़्सान नहीं करता

गोश्त से नाख़ुन जुदा नहीं होता

अज़ीज़ या क़रीबी रिश्तेदारों में कत्अ ताल्लुक़ नहीं हो सकता, जुदा नहीं होते

नाख़ुन से गोश्त जुदा नहीं होता

ज़ंगी धोने से सफ़ेद नहीं होता

जिस की असल में ख़राबी हो उस को सुधारने की कोशिश बेकार है

पुराने चावलों में मज़ा होता है

तजरबाकार की राय अच्छी होती है

पुराने चावलों में मज़ा होता है

मुफ़्लिस का चराग़ रौशन नहीं होता

ग़रीब के पास चिराग़ जलाने के लिए भी कुछ नहीं होता, ग़रीब हमेशा तकलीफ़ में रहता है

गधा खरसा में मोटा होता है

मुर्ख दुख के समय ख़ुश होता है और ख़ुशी में दुखी होता है, मुर्ख निर्धनता में भी दुबला नहीं होता, मूर्खों को बुरी परिस्थितियों की परवाह नहीं होती

गधा खुरसे में मोटा होता है

बेवक़ूफ़ को रंज के मौक़ा पर ख़ुशी और ख़ुशी में रंज होता है, अहमक़ मुफ़लिसी में भी दुबला नहीं होता

नक्टों में एक नाक वाला नाको होता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कमल ओढ़ने से फ़क़ीर नहीं होता के अर्थदेखिए

कमल ओढ़ने से फ़क़ीर नहीं होता

kamal o.Dhne se faqiir nahii.n hotaaکَمَّل اوڑْھنے سے فَقِیر نَہیں ہوتا

कहावत

कमल ओढ़ने से फ़क़ीर नहीं होता के हिंदी अर्थ

  • यानी भैंस के साथ ही ज़ाती कमाल भी चाहिए

کَمَّل اوڑْھنے سے فَقِیر نَہیں ہوتا کے اردو معانی

  • یعنی بھینس کے ساتھ ہی ذاتی کمال بھی چاہئے

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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कमल ओढ़ने से फ़क़ीर नहीं होता

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