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रहतों का घर नहीं होता

असल आबादी मालिक ही से होती है

घर में घर अच्छा नहीं होता

घर के अंदर दूसरा घर बनाने को अशुभ समझते हैं

आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता

जिस से मुहब्बत होती है वो दिल पर बोझ नहीं लगता, जो अपने तन बदन का हिस्सा हो उसे सब चाहते हैं

कोई किसी का नहीं होता

किसी के दुख में कोई साझेदार नहीं होता

बंदे का चाहा कुछ नहीं होता, अल्लाह का चाहा सब कुछ होता है

ईश्वर की मर्ज़ी होती है बंदे या किसी व्यक्ति की मर्ज़ी नहीं होती

मुफ़्लिस का चराग़ रौशन नहीं होता

ग़रीब के पास चिराग़ जलाने के लिए भी कुछ नहीं होता, ग़रीब हमेशा तकलीफ़ में रहता है

ख़ाला जी का घर नहीं

सरल काम नहीं, साधारण बात नहीं

झूटों का घर नहीं बस्ता

झूठ पनप नहीं पाता

'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

यह काम कुछ सरल नहीं है, कोई मेहनत का काम करना सरल नहीं है, प्रेम बहुत कठिन है

सख़ी का ख़ज़ाना कभी ख़ाली नहीं होता

उदार व्यक्ति के पास हमेशा रुपया रहता है

पैग़म्बर अपने घर के सिवा कहीं बे क़द्र नहीं होता

साहिब कमाल की मुख़ालिफ़त सब से ज़्यादा घर वाले ही करते हैं

जिस का डर वही नहीं घर

घर वाला उपस्थित नहीं जो चाहो करो, जब पति घर में नहीं तो चाहे जो करे, परम स्वतंत्र

मौसी का घर नहीं है

ख़ाला जी का घर नहीं है, आसान काम नहीं है, खेल नहीं है, किसी की सहजता और लापरवाही देखकर कहते हैं

मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)

सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है

सास मेरी घर नहीं मुझे किसी का डर नहीं

चाँदी का चमचा मुँह में लिये पैदा नहीं होता

कोई व्यक्ति दौलत साथ लेकर पैदा नहीं होता

जिस का ज़र वही नहीं घर

ख़ावंद जिस का डर है वही घर में नहीं जो चाहो सौ करो

नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी कुछ घर की बात नहीं है कि जी में आया किया, न जी में आया न किया, नौकरी में पाबंदी ज़रूरी है, नौकरी आसान काम नहीं इस में पाबंदी बहुत ज़रूरी होती है

'इश्क़-बाज़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं शेखी बहुत

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

बनी के सौ साले हैं और बिगड़ी का एक बहनोई नहीं होता

अच्छे समय में सब अपना मतलब निकालते हैं और बुरे समय में कोई काम नहीं आता

ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी में वक़्त की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (ज़ाबते की पाबंदी ना करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मर्ज़ी हुई चले गए, गोया कि बेतकल्लुफ़ी का मिलना हो

घर में जोरू का नाम बहू बेगम रख लेने से क्या होता है

अपना सम्मान अपने मुँह से नहीं हुआ करता

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

घर में चने का चून नहीं, गेहूँ की दो पो लाइयो

ग़रीब बड़बोले के संबंध में कहते हैं

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भोला शाम को घर आ जाए तो उसे भोला नहीं कहना चाहिए

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

दिन का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

फ़ज्र का भूला शाम को घर आवे तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई शख़्स बे समझे बूझे कोई नामुनासिब काम करे और फिर इस से दस्तबरदार हो जाये तो इस पर गुनाह साबित नहीं होता

दिन का भूला रात को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

दिन का भूला रात को घर आया तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

तलवार का खेत हरा नहीं होता

अत्याचार कभी हरा नहीं होता, रक्त बहाने का परिणाम बुरा होता है

जा की अच्छी सास वा का ही घर वास, जा की सास नकारा वा का नहीं गुज़ारा

जिस की सास अच्छी हो इस का गुज़ारा अच्छा होता है, जिस की सास बुरी हुबहू मुसीबत में रहती है

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

मौत का घर घाट नहीं

मौत हर जगह आती है इस का कोई नहीं हुय

नानी जी का घर नहीं है

रुक : ख़ाला जी का घर नहीं, आसान काम नहीं, हंसी खेल नहीं है

घर आई लछमी को लात मारना अच्छा नहीं होता

अनायास मिलते हुए धन या मिलती हुई सुख-सुविधा को छोड़ना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में रहतों का घर नहीं होता के अर्थदेखिए

रहतों का घर नहीं होता

rahto.n kaa ghar nahii.n hotaaرَہْتوں کا گَھر نَہیں ہوتا

कहावत

रहतों का घर नहीं होता के हिंदी अर्थ

  • असल आबादी मालिक ही से होती है

رَہْتوں کا گَھر نَہیں ہوتا کے اردو معانی

  • اصل آبادی مالک ہی سے ہوتی ہے

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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