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ख़ाली हाथ क्या जाऊँ एक संदेसा लेता जाऊँ

स्पष्ट बात न कहना, ٖउस व्यक्ति के संबंध में बोलते हैं जो सभा में हर दिन एक नया चुटकुला या ढकोसला छोड़ता है

किधर जाऊँ क्या करूँ

कोई तदबीर समझ में नहीं आती (मजबूरी के मौक़ा पर बोलते हैं)

क्या मुँह ले कर जाऊँ

(शर्मिंदगी के मौक़ा पर मुस्तामल) किस मुंह से जाऊं, मुंह दिखाते श्रम आती है

कहाँ जाऊँ

क्या ईलाज करूं, क्या तदबीर करूं

अल जाऊँ बल जाऊँ जल्वे के वक़्त टल जाऊँ

(लफ़ज़न) सदक़े हो जाऊं क़ुर्बान हो जाऊं लेकिन रूनुमाई के वक़्त (जब कि कुछ देना पड़ता है) मौक़ा से हिट जाऊं, (मुरादन) ज़बानी मुहब्बत जताते हैं मगर वक़्त पर काम नहीं आते

कहाँ जाऊँ

क़ुर्बान जाऊँ

क़ुर्बान जाऊँ

सदक़े हो जाऊं निसार होजाऊं (तंज़न-ओ-ख़ुशा मदन दोनों तरह मुस्तामल)

वारी-जाऊँ

कहाँ जाऊँ, चूहे का बिल नहीं मिलता

सख़्त नाचारी ज़ाहिर करने को कहते हैं, कभी भी पनाह नहीं मिलती

ज़मीन शक़ हो जाए मैं समा जाऊँ

बहुत परेशानी के आलम में कहते हैं

ज़मीन फटे और समा जाऊँ

बटया आऊँ बटया जाऊँ खेतक खाऊँ न बाली चुराऊँ

बहुत दियानतदार हूँ / है (किसी का तदैयुन ज़ाहिर करने के मौक़ा पर मस्तमाल

न्यारे चोले बल बल जाऊँ, आधा खाती सारा खाऊँ

अपनी कमाई से ख़र्च करना मुश्किल है

न्यारे चोले बल बल जाऊँ, सारा खाती आधा खाऊँ

अपनी कमाई से ख़र्च करना मुश्किल है

सहरी भी न खाऊँ तो काफ़िर न हो जाऊँ

आप का क्या लेता हूँ

रुक : आप का क्या बिगड़ता है

पर लग जाएँ और उड़ कर पहुँच जाऊँ

कहीं जाने की बहुत ज़्यादा ख़ाहिश हो तो कहते हैं

मेरा बस चले तो तुझे कच्चा खा जाऊँ

निहायत ग़ुस्से की हालत में कहते हैं

एक हाथ लेना एक हाथ देना

जो जैसा करेगा वैसा पाएगा

भैंस कहे गुन मेरा पूरा मेरा दूध पी होवे सूरा जिस के घर में बँध जाऊँ दूध दही की नाल बहाऊँ

भैंस की तारीफ़

क्या सौ रूपे की पूँजी , क्या एक बेटे की औलाद

सौ रुपय की पूंजी थोड़ी होती है और एक बेटा ना काफ़ी होता है, सौ रुपय बहुत थोड़ी हो निजी है और एक बेटा काफ़ी औलाद नहीं, किसी वक़्त मर जाये

एक हाथ से ताली नहीं बजती

एक पक्ष चाहे और दूसरा न चाहे तो आपस में दोस्ती या दुश्मनी नहीं हो सकती, झगड़ा एक ही तरफ़ से नहीं होता, दोनों कुछ न कुछ ज़िम्मेदार रहते हैं

ताली एक हाथ से नहीं बजती

मुहब्बत या लड़ाई झगड़ा एक तरफ़ से नहीं होता बल्कि दोनों तरफ़ से होता है

हाथ कंगन को आरसी क्या

(शाब्दिक) हाथ के कंगन को देखने के लिए आईने की ज़रूरत नहीं होती, अर्थात: जो बात ज़ाहिर हो उसके खोजने करने की क्या ज़रूरत है, जो चीज़ आँखों के सामने हो उसको क्या बयान करना

हाथ कंगन के लिए क्या आरसी

क्या काँटों में हाथ पड़ता है

क्या ऐब लगता है, क्या नुक़्सान होता है

हाथ कंगन को आरसी क्या ज़रूर

हाथ लिया काँसा तो भीक का क्या साँसा

۔मिसल।(ओ)जब गदाईआख़तयार करली तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ लिया काँसा तो पेट का क्या साँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार कर ली तो पेट पालने की क्या फ़िक्र

एक हाथ बिखेरो, दो से समेटो

कोई काम ख़राब हो जाए तो बहुत प्रयास के बाद ठीक होता है

हाथ में लिया काँसा तो पेट का क्या साँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ में लिया काँसा तो भीक का क्या साँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ में लिया काँसा तो पेट का क्या आँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ में लिया काँसा तो भीक का क्या आँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ लिया काँसा तो भीक का क्या आसा

जब गदाई इख़तियार करली तो फिर मांगने में क्या श्रम

जब हाथ में लिया कासा तो रोटियों का क्या साँसा

जब निर्लज्जता अपनाई तो रोटी की क्या कमी

एक आँख फूटती है तो दूसरी पर हाथ रखते हैं

सावन भादों के बादलों के प्रकार आँखों से निरंतर आँसूओं का मेघ बरसना, आँसूओं की झड़ी लग जाना, फूट फूट कर रोना

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

ताली एक हाथ से बजना

मर्द का क्या है एक जूती पहनी एक उतार दी

मर्द जब चाहे औरत को तलाक़ दे दे, मर्द के नज़दीक औरत की हैसियत जूती की सी है

एक हाथ ज़िक्र पर दूसरा हाथ फ़िक्र पर

संयमी बनकर संसार कमाना

क्या ख़ूब सौदा नक़्द है इस हाथ दे उस हाथ ले

जैसा करोगे वैसा भरोगे, हर कार्य का परिणाम निकल कर रहता है, इस दुनिया में हर काम का बदला तुरंत मिलता है

कोई किसी का दर्द बांट नहीं लेता

अपना दुख और अपनी पीड़ा खुद ही झेलनी पड़ती है, अपना दुख और दर्द अपने ही उठाने से उठता है

ख़ाक लेता फिरना

अपने मतलब के वास्ते बार बार किसी के दरवाज़े पर जाना

पेट सब कुछ सिखा लेता है

मियो का पूत बारा बरस में बदला लेता है

मेव लोग इंतिक़ाम लेकर रहते हैं, ख़ाह देर में ही

हाथ देखन को आरसी क्या

रुक : हाथ कंगन को आर सी किया (है

ख़ाम को काम सिखा लेता है

जिसको काम नहीं आता काम पड़ने पर सीख जाता है, अनुभव आदमी को परिपक्व बनाता है, तजरबा आदमी को पक्का बना देता है

हाथ-ख़ाली

घर से आए हैं संदेसा लाए हैं

घर से आए हैं संदेसा लाए हैं

जब किसी शख़्स पर कुछ बनी हो और इस से ज़्यादा सर गुज़शता दूसरा आदमी उस को सुनाना चाहे तो उस वक़्त वो ये फ़िक़रा कहते हैं तुम मुझ से ज़्यादा वाकिफ-ए-हाल नहीं हो, कोई ग़ैर मुताल्लिक़ शख़्स दख़ल दे तो कहते हैं

वो पानी में पहुँचने से पहले ही कपड़े उतार लेता है

(पुश्तो कहावत उर्दू में मुस्तामल)अक़लमंद आदमी, मुहतात शख़्स के बारे में कहा जाता है

वक़्त सब कुछ करा लेता है

अवसर और आवश्यकता के समय व्यक्ति वह कार्य करता है जो वह (आमतौर पर) नहीं कर सकता (मजबूरी के अवसर पर बोलते हैं

एक-एक

एक के बाद एक, बाज़ी बाज़ी, यके बाद दीगरे

एक से एक

एक एक पाँव एक एक मन का होना

बहुत थकान; लज्जा या भय आदि से पैर आगे को न उठना

एक हँसे, एक दुख में

इस संसार में एक जैसी हालत नहीं, कोई ख़ुश है और कोई परेशानी में, कोई सुखी है तो कोई दुखी

एकों-एक

एक इकन एक

(लफ़ज़न) एक को एक में ज़रब देने से हासिल-ए-ज़र्ब एक ही निकलता है, (मुरादन) बेफ़ाइदा कोशिश की मगर नतीजा एक एकिन एक के सिवा कुछ ना निकला

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ख़ाली हाथ क्या जाऊँ एक संदेसा लेता जाऊँ के अर्थदेखिए

ख़ाली हाथ क्या जाऊँ एक संदेसा लेता जाऊँ

KHaalii haath kyaa jaa.uu.n ek sandesaa letaa jaa.uu.nخالی ہاتھ کیا جاؤں ایک سَندیسا لیتا جاؤں

कहावत

ख़ाली हाथ क्या जाऊँ एक संदेसा लेता जाऊँ के हिंदी अर्थ

  • स्पष्ट बात न कहना, ٖउस व्यक्ति के संबंध में बोलते हैं जो सभा में हर दिन एक नया चुटकुला या ढकोसला छोड़ता है
  • काम करवाने के लिये सक्षम व्यक्ति से ज़ोर लगवाने के प्राक्कथन में बोलते हैं
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خالی ہاتھ کیا جاؤں ایک سَندیسا لیتا جاؤں کے اردو معانی

  • واضح بات نہ کرنا، اس شخص کی نسبت بولتے ہیں جو بزم میں روز ایک نیا شگوفہ یا ڈھکوسلا چھوڑتا ہے
  • سفارش کی تمہید میں کہتے ہیں

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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