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कुछ तो गेहूँ गीले, कुछ जंदरी ढीली

बहाने करने वाली औरत के प्रति कहते हैं, काम न करने के सौ बहाने

कुछ गेहूँ गीले कुछ जंदरे ढीले

(अविर) हीले करनेवाली और बहानाबाज़ औरत के बारे में कहते हैं

कुछ गेहूँ गीले कुछ जंदरे ढीले

कुछ गेहूँ गीले कुछ जाँगर ढीले

कुछ गेहूँ गीले कुछ जाँगर ढीले

(अविर) हीले करनेवाली और बहानाबाज़ औरत के बारे में कहते हैं

ये तो कुछ बात नहीं

۔ये ग़लत है ।

और कुछ नहीं तो

कुछ शामत तो आई नहीं है

ज़बान दराज़-ओ-बेअदब से रंजिश के अंदाज़ में गुफ़्तगु , दोस्त से फ़र्त मुहब्बत और तपाक के इज़हार के मौक़ा पर मुस्तामल

कुछ ख़लल तो है जिस से ये ख़लल है

इस ख़राबी या कमी का कोई कारण है

यहाँ कुछ नाल तो नहीं गड़ी

यहां तुम पैदा तो नहीं हुए जो इस क़दर दावा और इस्तिहक़ाक़ जताते हो यानी ये जगह कोई वतन मौलिद तो नहीं कि छूट ना सके , जहां सींग समाएं गे चले जाऐंगे

यहाँ कुछ नाल तो नहीं गड़ा

यहां तुम पैदा तो नहीं हुए जो इस क़दर दावा और इस्तिहक़ाक़ जताते हो यानी ये जगह कोई वतन मौलिद तो नहीं कि छूट ना सके , जहां सींग समाएं गे चले जाऐंगे

गेहूँ भी गीले , जाँगर भी ढीले

काम भी मुश्किल और कोशिश भी पूरी तरह नहीं तो फिर मक़सद कैसे हासिल हो

तक़दीर सीधी है तो सब कुछ

भाग्य अनुकूल होने से सब काम बनते हैं

कुछ-कुछ

ज़रा ज़रा, थोड़ा सा, थोड़ा थोड़ा, लगभग, तक़रीबन, थोड़ा बहुत

यहाँ कुछ माल तो नहीं गड़ा है

जहाँ कोई अपना दावा या अधिकार जताता है, तो कहते हैं

तेरे तो कुछ लछन से झड़ गए हैं

तेरे बुरे दिन आ पहुंचे हैं , तेरे चेहरे की रौनक जाती रही

तुम तो कुछ जानते ही नहीं, औंधे मुँह दूध पीते हो

तुम तो अभी बाल-आयु में हो, बहुत भोले बनते हो, बच्चों जैसी बातें करते हो

कुछ से कुछ

आन में कुछ अन में कुछ

अत्यधिक चंचल-चित्त है कथनी और करनी का कोई विश्वास नहीं

आन में कुछ आन में कुछ

कुछ-ईंट

कुछ-नहीं

कोई हैसियत या एहमीयत नहीं, कोई बात नहीं, नामुनासिब है

कुछ तो बावली, कुछ भूतों खदेड़ी

एक तो स्वयं ही पगली फिर मुसीबत की मारी, विपत्ति पर विपत्ति

मुँह से कुछ का कुछ निकलना

मुँह पर कुछ दिल में कुछ

ज़ाहिर में कुछ बातिन में कुछ, ज़ाहिर और बातिन यकसाँ नहीं हैं

मुँह से कुछ का कुछ निकलना

नशा या डर और रोब से कुछ कहना चाहना और ज़बान से कुछ और निकलना

मुँह से कुछ का कुछ निकालना

भय, शोक, क्रोध, नशा या रोब आदि में कुछ का कुछ कह जाना, ख़ौफ़, ग़म, ग़ुस्सा, नशा या रोब वग़ैरा में मन की बात के बजाय कुछ और कह जाना

कुछ हैं

किसी योग्य हैं, किसी शुमार में हैं, किसी संख्या में हैं

कुछ सोने खोट , कुछ सुनार खोट

कुछ सोना खोटा और कुछ सुनार खोटा, ख़ता दोनों की है, कुछ लोहा खोटा, कुछ लोहार (रुक

कुछ से कुछ करना

हालत, दशा या स्थिति को बिल्कुल बदल देना, अच्छे से बुरे या बुरे से अच्छा करना

कुछ का कुछ समझना

कुछ तुम ने ख़्वाब तो नहीं देखा है

जब कोई शख़्स ऐसी बात कहता है जो नामुमकिन होती है तो ये मक़ूला कहा करते हैं

कुछ ढंग नहीं

कोई सलीक़ा नहीं , कुछ नहीं आता

कुछ तुम समझे कुछ हम समझे

वक़्त गया बात गई, राज़ की बात को दिल में रखू ज़ाहिर ना होने दो, हमारा तुम्हारा लेखा जो खा बराबर है, हिसाब-ए-दोस्ताँ दर-ए-दिल

कुछ दिनों

जैसी-कुछ

जैसा, जितना, जितनी

सभी-कुछ

कुछ से कुछ होना

हालत या ज़माने का यकसर बदन जाना , दगरगों होना , रंग पलट जाना , यकसर बदल जाना

ये कुछ नहीं

۔ ये कोई बुरी बात नहीं।ये अमर काबिल एतराज़ नहीं।

कुछ ऐसा नहीं

कुछ हासिल नहीं

कोई लाभ नहीं, कोई फ़ायदा नहीं

कुछ गोशे कुछ कमान

सुलह के वास्ते दोनों फ़रीक़ों को थोड़ा थोड़ा देना चाहिए , ताली दोनों हाथों से बजती है

इंसान में कुछ नहीं

ज़िंदगी का कुछ एतबार नहीं

ईमान है तो सब कुछ है

कुछ सोना खोटा और कुछ सुनार खोटा

ताली दोनों हाथ से बजती है , लड़ाई या बिगाड़ दोनों तरफ़ से होता है

कुछ 'अजब नहीं

कोई अचंभे की बात नहीं, कोई हैरत की बात नहीं

ज़ाहिर कुछ बातिन कुछ

कुछ डर नहीं

۔۱۔ख़ौफ़ ख़तर, अंदेशा का मुक़ाम नहीं। २।कुछ मज़ाइक़ा नहीं

वो कुछ सुनाईं

۔ बहुत कुछ बुरा भला कहने की जगह। लॉन तान से मुराद है।

मैं कुछ नहीं कहता

में शिकायत नहीं करता तथा मैं कोई राय नहीं देता

हमें कुछ काम नहीं

दम भर में कुछ दम भर में कुछ

रुक: दम भर में तौला अलख , हर घड़ी बदलने वाले

सवाल कुछ जवाब कुछ

मुँह पर कुछ पीठ पर कुछ

कुछ कान में फूँकना

कोई मंत्र या जादू पढ़ कर कान में फूँकना

कुछ आँसू पुछ गए

किसी क़दर तसल्ली हुई

कुछ से कुछ हो जाना

हालत या ज़माने का यकसर बदन जाना , दगरगों होना , रंग पलट जाना , यकसर बदल जाना

कुछ मुँह से सुनना

कुछ तो ख़रबूज़ा मीठा और कुछ ऊपर से क़ंद पड़ा

ख़ूबी दूनी हो गई, मज़ा दूना हो गया, सोने पर सुहागा

कुछ स्वार्थी कुछ पर मार्थी

कुछ अपने लिए कुछ ख़ुदा के लिए , कुछ दुनिया का काम कुछ आख़िरत का काम , दीन-ओ-दुनिया दोनों का ख़्याल चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कुछ तो गेहूँ गीले, कुछ जंदरी ढीली के अर्थदेखिए

कुछ तो गेहूँ गीले, कुछ जंदरी ढीली

kuchh to gehuu.n giile, kuchh jandrii Dhiiliiکُچْھ تو گیہُوں گِیلے، کُچھ جَنْدری ڈھیلی

अथवा - कुछ तो गेहूँ गीले, कुछ जिंदरी ढीली

कहावत

कुछ तो गेहूँ गीले, कुछ जंदरी ढीली के हिंदी अर्थ

  • बहाने करने वाली औरत के प्रति कहते हैं, काम न करने के सौ बहाने
  • जिससे आटा ठीक नहीं पिस रहा है अर्थात दोनों ओर ही कहीं कुछ त्रुटि है
  • बहुत कठिन है

    विशेष - जंदरी= चक्की की कील, अगर वह ढीली हो तो पीसने में दिक़्क़त होगी।

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کُچْھ تو گیہُوں گِیلے، کُچھ جَنْدری ڈھیلی کے اردو معانی

  • بہانہ باز عورت کے متعلق کہتے ہیں، کام نہ کرنے کے سو بہانے
  • جس سے آٹا ٹھیک نہیں پِس رہا ہے یعنی دونوں طرف ہی کہیں کچھ کمی ہے
  • دوچند مشکل ہے

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