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क्या गुप-चुप के लड्डू खाए हैं

बोलते क्यों नहीं, ख़ामोश क्यों हो

चुप गुप के लड्डू खाए हैं

बिलकुल ख़ामोश हैं, किसी बात का जवाब नहीं देते

गुप-चुप के लड्डू

गुप-चुप का लड्डू

गुपचुप के लड्डू खाए हैं

जो आदमी बिलकुल चुप रहता है उस के संबंध कहते हैं

क्या बोर के लड्डू हैं

कुछ नायाब चीज़ नहीं है क्यों पछताते हो

बूर के लड्डू खाए सो पछताए , न खाए सो पछताए

ऐसा काम जिस के ना करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो। (तग़य्युर फे़अल के साथ भी मुस्तामल है)

गुप-चुप

एक प्रकार का खिलौना, एक खिलौने का नाम जो खुलता और बंद होता है

चुप-गुप

गुप-चुप की शीरनी

ग़ुप-चुप

क्या आसमाँ के तारे हैं

कोई ऐसी दुनिया से निराली या नायाब चीज़ नहीं

गुप-चुप की मिठाई

गुप-चुप की पहेली

दिवानों के क्या सर सींग होते हैं

बेवक़ूफ़ हो, यानी तुम्हारे सड़ी या सौदाई होने में कोई शक नहीं

दीवानों के सर पर क्या सींग होते हैं

दीवाने भी दूसरे लोगों की तरह होते हैं

क्या आसमान के तारे हैं

साँच कहे सो मारा जाए, झूट कहे सो लड्डू खाए

सच्च कहने वाले को लोग बुरा समझते हैं, झूटा मज़े में रहता है

सूरज को क्या आर्सी ही ले के देखते हैं

जो बात ज़ाहिर हो उस की तशरीअ की ज़रूरत नहीं होती

झूट कहे सो लड्डू खाए

झूठ बोलने से लोग अपना काम ख़ूब निकाल लेते हैं

सूँठ के लड्डू खाना

सौंठ की यानी ख़ामोशी की हुलास सूओंघना, घनी साधना, चुप साधना, ख़ामोशी इख़तियार करना, सौंठ की नास लेना

चुप रहूँ बावा कुत्ता खाए , बोलूँ तो माँ मारी जाए

किसी बात के करने से भी मुसीबत आए और ना करने से भी, हर तरह से मुश्किल का सामना हो तो कहते हैं

गुम-सुम के लड्डू खाना

गुपचुप के लड्डू खाना, उदासीनता की दुनिया में होना, किसी बात का जवाब ना देना, ख़ामोश रहना, बिल्कुल चुप रहना

आँखें क्या नहीं हैं

रुक : आंखें क्या मुंह पर नहीं (उमूमन ज़मीर इज़ाफ़ी के साथ मुस्तामल)

मोती-चूर के लड्डू

महीन बुन्दीयों से तैय्यार किया हुआ लड्डू जो आम लड्डूओं से उत्तम माना जाता है

क्या मुँह में घूँगनियाँ हैं

रुक : क्या मुंह में पंजीरी भरी है

मन के लड्डू तो फीके क्यों

किसी पर उधार खाए हैं

आँखें क्या चरने गई हैं

क्या सूझता नहीं

क्या मछलियाँ हैं जो सड़ी जाती हैं

रुक : किया मछलियां सड़ी जाती हैं , क्या जल्दी है, इस वक़्त मुस्तामल जब कोई किसी काम में ख़ुसूसन लड़की के ब्याह में जल्दी करता है

क्या ख़ूब समझते हैं

साँच कहे सो मारा जाए, झूटा भड़वा लड्डू खाए

सच्च कहने वाले को लोग बुरा समझते हैं, झूटा मज़े में रहता है

कव्वे खाए हैं

बड़ी उम्र का है, इस उम्र पर भी बाल स्याह हैं (अवाम का एतिक़ाद है कि को्वे खाने से उम्र बड़ी होती है और बाल स्याह रहते हैं

क्या ऐसे ला'ल लगे हैं

चुप की दाद ख़ुदा के हाँ

रुक : चप की दाद ख़ुदा देता है / देगा

आप क्या ख़ूब समझते हैं

रुक : अप ऐसी ही बातों से अलख

किसी के खाए किसी के गीत गाए

लाभ किसी से उठाए प्रशंसा किसी की करे

शेरों के शेर हैं

बहुत ज़्यादा बहादुर, बहुत जरी

आंखें क्या फूट गई हैं

ऐसी भी क्या असावधानी या बौखलाहट कि सामने की वस्तु भी दिखाई नहीं देती

उसे क्या कहते हैं

क्या बना सकते हैं

क्या बिगाड़ सकते हैं, कुछ नुक़्सान नहीं पहुंचा सकते

क्या धूप में बाल सफ़ेद किए हैं

बूढ़े और उम्र रसीदा होने पर भी कवी तजुर्बा ना हुआ

चुप-चुप

लसदार वस्तु को बार-बार छूते और उस पर से उँगली या हाथ हटाने से उत्पन्न होनेवाला शब्द।

मूढ़ी के लड्डू

चावलों से बने हुए मुरमुरे के लड्डू जो गुड़ के शीरे में गुँधे होते हैं

अस्सी क्या कहते हैं

रुक : "उस को क्या कहते हैं"

क्या ला'ल लगे हैं

(तंज़न) क्या खूबियां हैं, कोई ख़ूबी नहीं

गाय जब दूब से सुलूक करे क्या खाए

दूसरों का लिहाज़ करने वाला नुक़्सान उठाता है

क्या मछलियाँ सड़ी जाती हैं

मेरी मछलियाँ सड़ नहीं जाएँगी जो जल्दी करूँ, मुझे कोई जल्दी नहीं, विशेषतः जब कोई लड़की के विवाह में जल्दी करे तो कहते हैं

आप दुनिया में हैं क्या मैं दुनिया में नहीं

मैं आप की चालें ख़ूब समझता हूँ मुझ से चालाकी न कीजिए

साईं के खेल हैं

कुदरत के करिश्मे हैं

कहाँ के हैं

कौन सी सरज़मीन और कौन से मुल॒क के रहने वाले हैं, किस मख़फ़ी शहर के हैं, ऐसे कौन हैं

काले कव्वे खाए हैं

अवाम का एतिक़ाद है कि जो काले को्वे का गोश्त खाता है इस के बाल सफ़ैद नहीं होते जब बुढ़ापे में भी बाल सफ़ैद ना हवन तो ऐसे शख़्स की निसबत बोलते हैं

इस को क्या कहते हैं

अजीब बात है (इज़हार हैरत के मौक़ा पर मुस्तामल)

क्या कह के कोसूँ

रुक : किया कोसों

क्या मुँह से फूल झड़ने हैं

क्या मुँह से फूल झड़ते हैं

(तारीफ़ के लिए) किस क़दर ख़ुश बयां है, कैसा फ़सीह है नीज़ जब कोई शख़्स बदकलामी करता है तो इस से तनज़्ज़ा भी कहते हैं

मुँह से क्या फूल झड़ते हैं

क्या पसंदीदा बातें करते हैं , (तंज़न) नाज़ेबा बातें करते हैं

मल्लाही की मलाही दी , बाँस के बाँस खाए

एक नुक़्सान की जगह कई नुक़्सान उठाए

क्या लाल लगे हुए हैं

क्या सुर्ख़ाब का पर लगा है, ऐसी क्या खूबियां हैं, कोई ख़ास बात नहीं

मंडवे के आटे में शर्त क्या

मामूल के मुआमले में किसी बात की शर्त करना फ़ुज़ूल होता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क्या गुप-चुप के लड्डू खाए हैं के अर्थदेखिए

क्या गुप-चुप के लड्डू खाए हैं

kyaa gup-chup ke laDDuu khaa.e hai.nکیا گُپ چُپ کے لَڈُّو کھائے ہیں

कहावत

क्या गुप-चुप के लड्डू खाए हैं के हिंदी अर्थ

  • बोलते क्यों नहीं, ख़ामोश क्यों हो
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کیا گُپ چُپ کے لَڈُّو کھائے ہیں کے اردو معانی

  • بولتے کیوں نہیں ، خاموش کیوں ہو

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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