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क्यूँ न हो

शाबाश, क्या कहना, अवश्य, ज़रूर, वाह वाह, क्यों नहीं, ऐसा ज़रूर हो

क़ाज़ी जी तुम क्यूँ दुबले हो शहर के अंदेशे से

असमय चिंता करने वाले के संबंधित बोलते हैं, दूसरों की चिंता में ख़ुद परेशान होना

कहाँ हो कहाँ न हो

पश्म-कंदा न हो सकना

कुछ ना बिगड़ सकना, ज़र्रा भर नुक़्सान ना पहुंचना, कुछ ना हो सकना

कहीं ऐसा न हो जाए

ख़िलाफ़-ए-तवक़्क़ो बात ना हो जाये उमूमन अंदेशे के मौक़ा पर बोलते हैं

हाँसी में खाँसी न हो जाए

ख़ुशी में रंज ना हो जाये

वहाँ मारिए जहाँ पानी न हो

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

सहरी भी न खाऊँ तो काफ़िर न हो जाऊँ

नेक बीबियों के साथ हश्र न हो

(ओ) बख़शिश ना हो (एक कोसना

ये न हो

कोई भी नहीं, एक भी नहीं मिल सकता, इधर ना उधर, दोनों नहीं, दोनों में से कोई भी नहीं

आँखों में शर्म न हो तो ढेले अच्छे

ढीट होने से अच्छा है कि अंधा हो (अश्लीलता को दोष देने के स्थान पर प्रयुक्त)

क़िब्ला हो तो मुँह न करूँ

कमाल-ए-बेज़ारी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर कहते हैं

नाक न हो तो गू खाएँ

महिलाओं की निंदा में प्रयुक्त, अर्थात अगर इज़्ज़त की परवाह न हो तो ख़राब से ख़राब बैठें

वहाँ गर्दन मारिए जगाँ पानी न हो

इस को निहायत सख़्त और संगीन सज़ा देनी चाहिए

कफ़न नसीब न हो

(कोसना) बे गुरू-ओ-कफ़न रहे

दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ

अगर काम हो जाये तो नसीबा ही ना जाग जाये

सख़ी से राह नहीं सूम से क्यूँ तोड़ियो

हों न हों

यक़ीनन

अपनी गाँठ न हो पैसा तो पराया आसरा कैसा

अपने भरोसे पर काम करना चाहिए

साठ सासें नंद हों सौं, माँ की हवा न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

मरते वक़्त कलिमा-ए-मोहम्मद न नसीब हो

(कोसना) एक प्रकार की क़सम और बद-दुआ, इस बात पर ज़ोर देना कि जो कुछ मैं कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है

नज़र न हो जाए

बुरी दृष्टि न लगे, बुरी दृष्टि दूर ही रहे, ईश्वर बुरी दृष्टि से सुरक्षित रखे

ज़ामिन न हो जैसे गिरह से दीजिये

किसी का जिम्मेदार बनने से अच्छा है कि गिरह से दे दे, पक्का आश्वासन देने से रोकड़ देना अच्छा है

नाक न हो तो गुह खाएँ

आबरू की पर्वा ना करें (औरतों की बद अकली के इज़हार के लिए मुस्तामल)

का'बा हो तो उस की तरफ़ मुँह न करूँ

किसी जगह से इस क़दर बेज़ार और तंग होना कि अगर वो जगह मुक़ाम मुक़द्दस और ख़ुदा का घर भी बिन जाये तो उधर का रुख़ ना करना ग़रज़ निहायत बेज़ार तंग और आजिज़ हो जाने के मौक़ा पर ये फ़िक़रा बोला जाता है

भूक में भजन भी न हो

भूखे आदमी से इबादत और पूजा भी नहीं हो सकती

अपनी मुर्ग़ी बुरी न हो तो हमसाए में अंडा क्यों दे

नुक़्सान अपने ही हाथों होता है

ऐसा न हो

मबादा, शाहिद, ख़ुदा-ना-ख़ासता

हुए हैं न होंगे

नामुमकिन है , महिज़ बेमुरव्वत और बे दीद हैं

ये वो न हो

۔ये वो बात नहीं। ये वैसा मुआमला नहीं।

हाथ से दूसरे हाथ को ख़बर न हो

किसी को कानों कान ख़बर नहप हो कि क्या दिया और किस को दिया

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन फिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

हड़ लगे न फिटकरी रंग चोखा हो

मुफ़्त काम हो और उम्दा हो , खर्चे और ज़हमत के बगै़र काम बिन जाये

वो राजा मरता भला जिसमें न्याव न हो, मरी भली वो स्त्री लाज न राखे जो

बे इंसाफ़ राजा और बेहया औरत का मर जाना बेहतर है

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

उस जातक से करो न यारी, जिस की माता हो कलहारी

उस लड़के से कभी मित्रता या प्रेम मत करो जिसकी माँ लड़ाका अर्थात झगड़ालू हो

नंगे पाँव हो जाना

आसतीनें चढ़ा लेना, लड़ाई पर आमादा हो जाना

ईमान नसीब न हो

दीन-ओ-इस्लाम से महरूम हो जाउं, (ख़ुदा य ताला) मेरे मज़हब को क़बूल ना करे (किसी बात का यक़ीन दिलाने के लिए किस्म के तौर पर मुस्तामल)

होंट से होंट जुदा न होना

मुँह से बात न निकलना; बिलकुल ख़ामोश रहना, चुप रहना

ओछे संग न बैठिए ओछा बुरी बला, पल माँ हो घी खिचड़ी पल माँ बिसैर ढाल

कमज़र्फ़ और छिछोरे से दोस्ती नहीं करनी चाहिए कभी तो घुल मिल रहे और कभी ज़हरीले साँप का काम करे

आगे रोक पीछे ठोक, ससुरा सरके न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

जिस ने न देखी हो कन्या, देखे कन्या का भाई

अपनी मंगेतर को देखना चाहो तो इस के भाई को देखो, गो ये हमेशा दरुस्त नहीं होता

उत मत कभी न जा रे मीता, जित रहता हो सिंह और चीता

जहाँ अत्याचारी एवं निर्दयी रहते हों वहाँ नहीं जाना चाहिए

आप ने क्यूँ तकलीफ़ की

रुक : आप से हम नहीं बोलते

मरते वक़्त ईमान नसीब न हो

(ओ) इस बात पर यक़ीन दिलाना कि जो कुछ में कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है (बतौर बददुआ मुस्तामल)

अमीर के पास क़ब्र भी न हो

रुक: अमीर के पड़ोस में ख़ुदा क़ब्र भी ना बनवाए

चौधरी हो या राव जब काम न दे ऐसी तैसी में जाओ

कोई बड़े से बड़ा हो जब काम ना आया तो निकम्मा है

गिरह का दीजिए पर ज़ामिन न हो जिए

۔मिसल। ज़मानत की मज़म्मत में बोलते हैं

किसी ने ये भी न पूछा कि तुम किस बाग़ की मूली हो

किसी ने परवाह भी नहीं की, रास्ते सुरक्षित हैं कहीं लूट मार नहीं होती, उस सल्तनत के बारे में कहते हैं जिस में सुख-शाँति हो

जिस का जो स्वभाव, जाए ना उस के जी से, नीम न मीठा हो, सींचो गुड़ और घी से

स्वभाव और बुरी 'आदत नहीं जाती चाहे कितना भी प्रयास किया जाए

नमाज़ नहीं रोज़ा नहीं सहरी भी न हो तो निरे काफ़िर बन जाएँगे

अगर बहुत सा असंभव हो तो थोड़ा सा सही, ऐसे अवसर पर उपयोगित जब किसी धार्मिक शिक्षा पर प्रक्रिया अपने पक्ष में हो

रोज़े रखें न नमाज़ पढ़ें, सहरी भी न खाएं तो काफ़िर हो जाएं

सदा न तोराई केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

मुँह का थोबड़ा न हो जाए

ऐसा ना हो कि पट्ट जावे

जिस का आँचल ग़ैर मर्द ने न देखा हो

नंगी हो के काता सूत , बुड्ढी हो के जाया पूत

बेवक़त काम हुए, अच्छी ना गुज़री

ऊँट बुड्ढा हो गया पर मूतना न आया

आयु बहुत हो जाने पर भी शिष्टाचार न आया

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क्यूँ न हो के अर्थदेखिए

क्यूँ न हो

kyuu.n na hoکِیُوں نَہ ہو

वाक्य

क्यूँ न हो के हिंदी अर्थ

  • शाबाश, क्या कहना, अवश्य, ज़रूर, वाह वाह, क्यों नहीं, ऐसा ज़रूर हो

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English meaning of kyuu.n na ho

  • why not it cannot be gainsaid

کِیُوں نَہ ہو کے اردو معانی

  • شاباش، کیا کہنا، بے شک، ضرور، واہ واہ، ایسا ضرور ہو

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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