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जाग

जागने की क्रिया, भाव या दशा; जागरण।

जागे

जागा

सोकर उठना, नींद से उठना, नींद उचटन, मनुष्य तथा पशु आदि का निद्रा त्यागना, जाग्रत या सावधान होना, चेतन होना, उदय होना, बढ़ना, उठना, ताज़ा होना

जागी

जागा

जागता

जो जाग रहा हो, जागा हुआ, सावधान; सतर्क, चौकस, जो अपने अस्तित्व, शक्ति आदि का परिचय दे रहा हो

जागू

जागना

सोकर उठना, जागता हुआ होना, नींद त्यागना, निद्रारहित होना

जागती

जागरण।

जाग-गान

एक रस्म जिसमें रात को जाग कर गाते हैं यह रस्म सर्दी में पूस के महीने में जब कार्तिक की फ़सल काटी जा रही होती है तब यह मनाई जाती है

जाग़नोल

कुदाल, कुदाली, लोहे का एक यंत्र

जागरण

किसी ब्रत, पर्व या धार्मिक उत्सव के उपलक्ष में अथवा इसी प्रकार के किसी और अवसर पर भगवदभजन करते हुए सारी रात जागना, किसी उत्सव, पर्व आदि के अवसर पर रात भर जागते रहने की अवस्था या भाव, रतजगा

जागुज़ीं

बैठने वाला, बैठा हुआ, स्थापित, गड़ जाने वाला, ठहरा हुआ, घर किए हुए, बसा हुआ

जाग पड़ना

अचानक सचेत हो जाना, आवेश में होना, उत्साह में होना

जागड़

ज़ाग़

काक, वायस, आत्मघोष, कौआ

जाँग

जाँघ

जागीर

वह भूमि जो मध्ययुग में राजाओं, बादशाहों आदि की ओर से बड़े बड़े लोगों को विशिष्ट सेवाओं के उपलक्ष्य में सदा के लिए दी जाती थी

जागा-जागा

जागती-जोत

कोई देवीय चमत्कार

जागा-बंदी

उनींदापन, नींद की झपकी, ऊँघ

जागीर-ए-'आम

जागीर-ए-ज़ात

जाग्री

शुक्र, गुड़

जागती-कला

देवी-देवता आदि का ऐसा प्रभाव जो स्पष्ट दिखाई देता हुआ माना जाता हो, चमत्कार

जाग्रू

दाँयी हुई फसल में का वह अंश जिसमें भूसा और कुछ अन्न-कण भी मिले हुए हों।

जागीर-ए-मंसब

जागन

जागर

जागत

जागना, बेदारी, पहरा देना, हिफ़ाज़त करना, चौकसी, होशियारी

जागीर-दारी

जागीरदारानः निज़ाम, जागीर का शासन

जागीरी

जागीर से संबंधित

जागीर-मुहाल

एक स्वीकृत ज़िला

जागीर-ए-दवाम

वह सम्पदा जो कई नस्ल से परिवार में बनी रहे

जागे सो पाए , सोए सो खोए

जागे सो गाजे सोवे सो खोए

जो होशयार रहेगा वो ख़ुश रहेगा ग़फ़लत में नुक़्सान है

जागीर-ए-एहतिशाम

वह भूमि, जागीर जो सैनिकों के पालन पोषण के लिए दी जाती है

जागीरी-निज़ाम

जागरना

जाग जाना

जाग होना

लोगों का (किसी खटके की वजह से) जाग जाना, जाग पड़ना

जागर्ती

जागत

जागे सो गाजे सोवे सो रोवे

जो होशयार रहेगा वो ख़ुश रहेगा ग़फ़लत में नुक़्सान है

जागेगा सो पावेगा , सोवेगा सो खोवेगा

जागीर-दाराना

जागीरदारों-जैसा, सामंती स्वामी, जागीरदार से जुड़ा या संबंधित

जागरित

वेद और तसव्वुफ़ के मुताबिक़ इंसान की वो हालत जिस में इंद्रियों द्वारा सब प्रकार के व्यवहारों और कार्यों का अनुभव और ज्ञान होता हो, सोते में जागना और जागते में सोने की अवस्था

जागता रब सोता संसार

रात के सुनसान होने सा मुराद है (कब :सविता संसार जागता परवरदिगार) यानी दुनिया सूती है लेकिन जागता रहता है

जागती-नौबत का कुंडा

मन्नत पूर्ण होने पर चढ़ावे की एक प्राचीन प्रथा जिसमें प्रातःकाल की प्रार्थना के समय चढ़ावा दिलाया जाता है

जागरण करना

सारी रात जागकर आशूरा के भजन गाना, रात को जागरण करना

जागीर-दारिय्यत

जागीरन

दान, जागीर के रूप में

जागीरदारी-निज़ाम

जागता नसीब सो जाना

ख़ुश केसमती ख़त्म हो जाना, बद केसमती आजाना

जागते की कटिया और सोते का कटड़ा

होशियार व्यक्ति लाभ उठाता है और निश्चेत व्यक्ति हानि उठाता है

जागीर-दाराना-नुक़ूश

ऐसा रूप जिससे जागीरदारी के लक्षण लक्षित हों

जाग उठना

जागीरदार

जागीर का मालिक, संपत्ति का मालिक, भूस्वामी, ज़मींदार

जागीर मु'आफ़ करना

ऐसी जागीर अता करना या बख्शना जिस में पर इसगान वग़ैरा माफ़ हो

जागते रहो की कटया सोने का कटरा

होशयार आदमी फ़ायदा उठाता है ग़ाफ़िल नुक़्सान उठाता है

जागते को जगाना उस को छेड़ना है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मा-ज़ाग़ के अर्थदेखिए

मा-ज़ाग़

maa-zaaGما زاغ

वज़्न : 221

वाक्य

मा-ज़ाग़ के हिंदी अर्थ

  • ۔(ए)इशारा है तरफ़ क़ुरआन शरीफ़ की आयत माज़ाग़ अलबसर विम्मा तिग्गा के यानी आनहज़रतऐ ने मेराज के मुक़ाम क़ुरब में किसी तरफ़ आँख नहीं फेरी।और ना हुक्म इलाही से नाफ़रमानी की।अरबी में मा ।नाफ़ेह और ज़ाग़ । माज़ी का सीग़ा था।ज़ीग़ से ।उर्दू में ज़ाग़ का हर्फ़ आख़िर साकन है।
  • क़ुरआन शरीफ़ की आयत माज़ाग़ अलबसर-ओ-मातग़ा की तख़फ़ीफ़, ना फेरी आँख और ना नाफ़रमानी की, तजल्लियात की वो मंज़िल जो मेराज में रसूल अल्लाह सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम ने देखी
  • क़ुरआन शरीफ़ की आयत माज़ाग़ अलबसर-ओ-मातफ़ा के तरफ़ इशारा, सीगे से माज़ी मारूफ़, फेरा, मुराद: ना फेरी आँख और ना नाफ़रमानी की

ما زاغ کے اردو معانی

  • ۔(ع)اشارہ ہے طرف قرآن شریف کی آیت مازاغ البصر وما طغےٰ کے یعنی آنحضرتؐ نے معراج کے مقام قرب میں کسی طرف آنکھ نہیں پھیری۔اور نہ حکم الٰہی سے نافرمانی کی۔عربی میں ما ۔نافیہ اور زاغ ۔ ماضی کا صیغہ تھا۔زیغ سے ۔اردو میں زاغ کا حرف آخر ساکن ہوگیا ہے۔
  • قرآن شریف کی آیت مازاغ البصر و ماطغیٰ کی تخفیف، نہ پھیری آنکھ اور نہ نافرمانی کی، تجلّیات کی وہ منزل جو معراج میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے دیکھی.
  • قرآن شریف کی آیت مازاغ البصر و ماطفیٰ کے طرف اشارہ، صیغے سے ماضی معروف، پھیرا؛ مراد: نہ پھیری آنکھ اور نہ نافرمانی کی.

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