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माँ की सोत न बाप की यारी, किसी नाते की तू मन्हारी

(ओ) कोई ख़्वाहमख़्वाह का रिश्ता जताए तो कहती हैं कि तरह हम से कोई ताल्लुक़ नहीं है

ना कर नंद बुराई तू भी किसी की भोजाई

बदी का नतीजा बदी है

मत कर नंद बुराई, तू भी किसी की भरजाई

तो मेरे साथ बुरी तरह पेश आती है तेरी नंद तुझ से बुरी तरह पेश आएगी

मत कर नंद बुराई, तू भी किसी की भौजाई

तो मेरे साथ बुरी तरह पेश आती है तेरी नंद तुझ से बुरी तरह पेश आएगी

यार की यारी से मतलब न कि उस के फ़'लों से

रुक : यार की यारी से काम इस के फे़अल / फे़अलों से अलख

साझे की माँ गंगा न पावे

हिंदू धर्म में बेटे के ज़िम्मेदारी है कि माता-पिता की क्रिया-कर्म करें लेकिन जहाँ बहुत बेटे हों वह एक दूसरे की तरफ़ देखते रहते हैं और माँ क्रिया-कर्म से रो जाती है यह कि भागेदारी में नुक़्सान रहता है

किसी की माँ ने धोंसा खाया है जो तुम्हारा मुक़ाबला करे

कौन तुम्हारा प्रतिस्पर्धा अर्थात मुक़ाबला कर सकता है अर्थात हर व्यक्ति अशिष्ट और मुँहफट से कनिया जाता है

समा करे न क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है, मनुष्य कुछ नहीं कर सकता, कभी दिन बड़ा होता है कभी रात अर्थात हालात के आगे मनुष्य लाचार है

उस जातक से करो न यारी, जिस की माता हो कलहारी

उस लड़के से कभी मित्रता या प्रेम मत करो जिसकी माँ लड़ाका अर्थात झगड़ालू हो

साठ सासें नंद हों सौं, माँ की हवा न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

सोने की कटारी किसी ने अपने पेट में न मारी

कितना ही फ़ायदा क्यूँ न हो पर जान कोई नहीं लेता

किसी तरफ़ की न रहना

रुक : कहीं का ना रहना

किस की माँ को माँ कहें

ग़रीब और यतीम बच्चे की निसबत कहते हैं, पहले अनुमानों में मुस्तामल था कि अगर माँ ना हो तो हम किस की माँ को माँ बनाते मगर रफ़्ता रफ़्ता आम और बच्चों के लिए मख़सूस हो गया, यानी कोई फ़र्याद रस नहीं

यार की यारी से काम , यार की बातों से क्या काम

रुक : यार की यारी से काम इस के फे़अलों से किया काम

यार की यारी से मतलब उस की 'अय्यारी से क्या काम

रुक : यार की यारी से काम इस के फे़अलों से किया काम

किसी की नहीं सुनता

किसी की बात नहीं मानता, बेपर्वा है, किसी के समझाने पर अमल नहीं करता

धरती की माँ साँझ

साँझ को आराम मिलता है

किसी की किसी को ख़बर नहीं

किसी गिरोह या जमात पर बेहोशी और ग़फ़लत का आलम तारी होने पर बोलते हैं

किसी को किसी की ख़बर नहीं

۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।

किसी की तरफ़ रुख़ न करना

किसी से शर्म के कारण आँख ने मिलाना, मुँह सामने न करना, ध्यान न देना

धर्नी की माँ साँझ

शाम को आराम मिलता है

सब की माँ शाम

शाम को सब घर आकर आराम पाते हैं, इस लिए शाम सब की माँ की तरह है कि इस से सुख मिलता है

जोरू ज़ोर की नहीं किसी और की

जोरू उसी शख़्स के अपने वश में रहती है जिसकी कमर में बल होता है

हम को यार की यारी से काम , यार की बातों से क्या काम

अपने काम से काम रखना, अपना फ़ायदा हासिल करना, दूसरे की नुक़्सान की पर्वा ना करना, अपना उल्लू सीधा करना

किराए की माँ

पेट किसी की नहीं सुनता

सदा किसी की नहीं रही

हमेशा किसी का ज़माना मुवाफ़िक़ नहीं रहा

सुस्ती मुफ़्लिसी की माँ है

'इनायत-ए-शाही किसी की मीरास नहीं

किसी ने ये भी न पूछा कि तुम किस बाग़ की मूली हो

किसी ने परवाह भी नहीं की, रास्ते सुरक्षित हैं कहीं लूट मार नहीं होती, उस सल्तनत के बारे में कहते हैं जिस में सुख-शाँति हो

यार की यारी से काम उस के फे़'लों से क्या काम

दोस्त की दोस्ती से ग़रज़ है उसकी करतूतों से क्या मतलब। यह कहावत दोस्त के ऐबों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

जग की माँ जहान की ख़ाला

उस औरत को कहते हैं जो घर घर घूमती हो

जग की माँ जहान की ख़ाला

किसी की आग में जलना

दूसरे शख़्स की मुसीबत अपने सर लेना और किसी मुसीबत में शरीक होना, हमदर्दी करना, दूसरे की मुसीबत में साथ देना

किसी की आग में गिरना

दूसरे शख़्स की मुसीबत अपने सर लेना और किसी मुसीबत में शरीक होना, हमदर्दी करना, दूसरे की मुसीबत में साथ देना

किसी की आग में गिरना

मुँह देखे की यारी

दिखावे की दोस्ती, दिखावे की मोहब्बत

यार की यारी से काम यार के फ़े'लों से क्या काम

रुक : यार की यारी से काम इस के फे़अलों से किया काम

यार के फ़े'लों से क्या है , यार की यारी से काम

रुक : यार की यारी से काम इस के फे़अल से अलख

तू ताँ की ठहरना

ज़ंगी की सियाही किसी रंग नहीं जाती

पैदाइशी ऐब मिटाए नहीं मिटता

गधे की यारी, लात की सनसनाहट

बेवक़ूफ़ की दोस्ती में बहुत नुक़्सान होता है

किसी का हाथ चले किसी की मुँह चले

ज़बरदस्त मारता है, कमज़ोर गालियां देता है

बच्चे की माँ और सौ रूपे की पूँजी क्या

ज़ेर-ए-बहिस चीज़ बेहक़ीक़त है

किसी बात की कमी नहीं

हर चीज़ मौजूद है, अमीर हैं

दुनिया में किसी की यक्साँ नहीं गुज़री

ज़माना एक हालत पर नहीं रहता, हालात बदलते रहते हैं

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

जुलाहे की मस्ख़री माँ बहन से

दूसरों के साथ मज़ाक़ करने की जुरात नहीं अपने से कमज़ोरों के साथ छेड़छाड़ रखता है कोई बेवक़ूफ़ी की या नाज़ेबा बात करे तो कहते हैं

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

हमेशा कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपनी ही जवाबदेही करेगा

किस की माँ ने धौंसा खाया है

किस माँ की शामत आई है जो अपनी औलाद को खोना चाहेगी, किस की बदक़िस्मत माँ अपने औलाद की तबाही चाहेगी

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

तू ने की राम-जनी, मैं ने किया राम-जना

दुश्चरित्र स्त्री दुश्चरित्र पति से कहती है तू बुरा काम करता है तो में भी करती हूँ

किसी की आग में पड़ना

दूसरे शख़्स की मुसीबत अपने सर लेना और किसी मुसीबत में शरीक होना, हमदर्दी करना, दूसरे की मुसीबत में साथ देना

न आए की , न गए की

आने जाने वालों की, किसी की कोई इज़्ज़त नहीं

जिस की माँ जलेगी उस की जाई पहले जलेगी

माँ का असर औलाद पर ज़रूर होता है

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

किसी अज़ीज़ या दोस्त की ख़ातिर से झूट ना बोलने और ईमान ना खोने के महल पर बोलते हैं, यानी हर एक अपने आमाल का नतीजा भुगतेगा, किसी के वास्ते बेईमानी नहीं की जा सकती

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में माँ की सोत न बाप की यारी, किसी नाते की तू मन्हारी के अर्थदेखिए

माँ की सोत न बाप की यारी, किसी नाते की तू मन्हारी

maa.n kii sot na baap kii yaarii, kisii naate kii tuu manhaariiماں کی سوت نَہ باپ کی یاری، کسی ناتے کی تُو مَنہاری

कहावत

माँ की सोत न बाप की यारी, किसी नाते की तू मन्हारी के हिंदी अर्थ

  • (ओ) कोई ख़्वाहमख़्वाह का रिश्ता जताए तो कहती हैं कि तरह हम से कोई ताल्लुक़ नहीं है
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ماں کی سوت نَہ باپ کی یاری، کسی ناتے کی تُو مَنہاری کے اردو معانی

  • (عو) کوئی خواہ مخواہ کارشتہ جتائے تو کہتی ہیں کہ ترا ہم سے کوئی تعلق نہیں ہے.

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