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मरते हैं मरते पर न राह चलते पर

प्यार और मोहब्बत अपनों से होता है न कि दूसरों या अजनबियों से

जीते हैं न मरते हैं सिसक सिसक दम भरते हैं

जीवन से निराश हैं, जीवन के दिन पूरे कर रहे हैं, बहुत कष्टमय जीवन बिता रहे हैं

दादा मरते हैं तो भोज करते हैं

(हिंदू) बुज़ुर्गों के मरने पर ख़ूब मज़े उड़ाए जाते हैं

मरते मर गए, चोंचलों से न गए

बेइज़्ज़त होकर भी ग़रूर ना गया

कहीं कव्वों के कोसे से ढोर मरते हैं

किसी के बुरा चाहने से बुरा नहीं होता

मरते मरते सँभलना

हालत बेहतर होना , मरते मरते बचना

मरते-मरते

मौत के समय, मरते दम तक, मरते वक़्त, आख़िर समय में

कटे मरते हैं

मरते वक़्त कलिमा-ए-मोहम्मद न नसीब हो

(कोसना) एक प्रकार की क़सम और बद-दुआ, इस बात पर ज़ोर देना कि जो कुछ मैं कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है

मरते-मरते बचना

मौत के ख़तरे या मौत जैसी बड़ी मुसीबत से नजात पाना, हालत बेहतर हो जाना, सँभल जाना

मरते हज़ारों को सुना , जनाज़ा कसी का न देखा

महिज़ बलंद बाँग दावे करना और अमल कुछ ना करना

मरते-मरते मर जाना

मरते मर जाना

मरते-वक़्त

मरते जाएँ मलहारें गाएँ

मुश्किलों में भी ज़िंदगी से लुतफ़ लें

मरते वक़्त ईमान नसीब न हो

(ओ) इस बात पर यक़ीन दिलाना कि जो कुछ में कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है (बतौर बददुआ मुस्तामल)

मरते-खपते

मरते-गिरते

मरते हुए

जो मरने के क़रीब हूँ, जान से आजिज़, नीम जान, क़रीब उल-मरग

मरते-दम

मृत्यु के समय, अंतिम समय में, मरते वक़्त, अख़ीर दम, ब-वक़्त-ए-मर्ग, आख़िरी घड़ी में

नाड़ी की कुछ सरत नहीं है दवा सभों की करते हैं, बेदों का क्या जाता है, लोग बिचारे मरते हैं

नब्ज़ देखना जानते नहीं और ईलाज करते हैं, ऐसे मुआलिजों का क्या बिगड़ता है, उन के ईलाज से लोग ही मरते हैं (अनाड़ी हकीमों के मुताल्लिक़ कहते हैं

कौओं के कोसे से बैल नहीं मरते

किसी के बुरा चाहने से किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचता

कौओं के कोसे से ढोर नहीं मरते

किसी के बुरा चाहने से किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचता

मरते-जीते

जिस प्रकार हो सका, जूँ-तूँ करके, बुरी-भली जैसे भी, जिस तरह बने

जीते-मरते

चमार के कोसे ढोर नहीं मरते

श्राप देने से किसी को हानि नहीं होती, कोई आदमी अगर अपने स्वार्थवश दूसरे का बुरा चाहे, तो उससे कुछ होता-हवाता नहीं

मरते के साथ मरा नहीं जाता

मौत में कोई किसी का साथ नहीं देता, किसी प्रियजन की मृत्यु के कारण दुनिया के धंदे नहीं छूटते, मुसीबत के वक़्त कोई किसी का साथ नहीं देता

मरते को मारें शाह मदार

हमेशा ग़रीब ही की शामत आती है, जिस वक़्त ग़रीब आदमी पर कोई मुसीबत पड़ती है इस मौके़ पर बोलते हैं

हैं पर ख़ुदा काम न डाले

ख़ुदा उन का हाजतमंद ना करे, ज़ाहिर में अच्छे हैं मगर हक़ीक़त में बुरे

कोई मरते पीछे नहीं मरता

किसी दूसरे की ख़ातिर मुसीबत मूल नहीं ली जाती

मरते सब को देखा , जनाज़ा किसी का नहीं देखा

आशिक़ी जताने और सिर्फ़ दावा करने वाले की निसबत कहते हैं

राह पर आँखें लगाना

इंतिज़ार करना, राह तिकना

राह-ए-ख़ुदा पर माँगना

ईश्वर के नाम पर मागना, भीख माँगना

राह-ए-रास्त पर लगाना

ख़्यालात-ओ-आमाल को सुधारना , (कनाएन) मुसलमान करना

राह-ए-रास्त पर चलना

ईमानदार होना, बेईमानी ना करना

राह-ए-रास्त पर आना

ग़लत राह से नजात पा कर सही राह इख़तियार करना

राह-ए-रास्त पर लाना

ख़्यालात-ओ-आमाल को सुधारना , (कनाएन) मुसलमान करना

मरते को मारे शामत ज़दा

ग़रीब को हर शख़्स सताता है, मुसीबत पर मुसीबत आती है

अच्छे हैं पर ख़ुदा काम न डाले

जब कोई आदमी देखने में भला पर व्यवहार में बिल्कुल उसके विपरीत हो तब उसके लिए व्यंग्य में यह कहावत कहते हैं

राह-ए-रास्त पर पड़ना

रुक : राह रास्त पर आना, पसंदीदा रुख़ इख़तियार कुरान, हक़ के रास्ते पर होना

राह-ए-रास्त पर आ जाना

ग़लत राह से नजात पा कर सही राह इख़तियार करना

घर से मरते दम निकलना

मरने से पहले घर न छोड़ना, ज़िंदगी भर घर में रहना

हाथ पाँव चलते हैं

काम करने के काबिल हैं

दबे पर सब शेर हैं

हथेली पर सरसों जमाते हैं

किसी कठिन काम को फ़ौरन करते हैं, मुश्किल काम आसानी से करते हैं, फुर्तीले हैं, बहुत चालाक हैं

मरते के साथ कौन मरता है

मुसीबत के वक़्त कोई किसी का साथ नहीं देता

मुँह पर की सारी बातें हैं

सब ज़ाहिरदारी की बातें हैं, जो कुछ ज़बान पर है सब दिखावे के तौर पर है, ज़ाहिर-ओ-बातिन यकसाँ नहीं

यहाँ फ़रिश्तों के पर जलते हैं

यानी यहां कोई नहीं आ सकता, उस जगह किसी की रसाई और पहुंच नहीं है, यहां परिंदा पर नहीं मार सकता , बड़े अदब का मुक़ाम है (जहां निहायत एहतियात या कमाल-ओ-जलाल हो वहां ये बोला जाता है

क़िस्मत राह पर आना

नसीब अच्छा होना, क़िस्मत जागना, दिन फिरना, अच्छे दिन आना

दम-ए-तेग़ पर राह होना

हलाकत का ख़तरा होना

किसी पर उधार खाए हैं

झोंके नींद के सूली पर आते हैं

नेन् के वक़्त नेन् पर हाल में आती है

आँखें ख़ुदा ने मुँह पर दी हैं

अंधेपन से मत चलो रास्ता देख कर पाँव उठाओ

गधे पर किताबें लदी हैं

बेवक़ूफ़ या बेअमल आलम के लिए मुस्तामल

पढ़े तो हैं पर गुनें नहीं

तालीम तो हासिल कर ली है मगर तजुर्बा नहीं

कानों पर जूँ न रेंगना

बे-ख़बर और बे-हिस होना, तवज्जा ना देना, ग़ाफ़िल होना

यहाँ फ़रिश्ते के पर जलते हैं

यानी यहां कोई नहीं आ सकता, उस जगह किसी की रसाई और पहुंच नहीं है, यहां परिंदा पर नहीं मार सकता , बड़े अदब का मुक़ाम है (जहां निहायत एहतियात या कमाल-ओ-जलाल हो वहां ये बोला जाता है

सर पर आँखें न होना

बसारत से आरी होना , बेअक़ल होना

च्यूँटी के पर निकले हैं

जब कमज़र्फ़ आदमी बहुत शेखी मारता है तो उस वक़्त कहते हैं यानी शामत के दिन मौत का वक़्त क़रीब आगया है

लाखों पर बंद न होना

۔۱۔औरत का आवारा होना। बहुत से लोगों के मुक़ाबले में आजिज़ ना होना

आगे चलते हैं पीछे की ख़बर नहीं

लाभ पर नज़र है और हानि के बारे में नहीं सोचते, फ़ायदे पर नज़र है नुक़्सान को नहीं सोचते

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मरते हैं मरते पर न राह चलते पर के अर्थदेखिए

मरते हैं मरते पर न राह चलते पर

marte hai.n marte par na raah chalte parمَرتے ہَیں مَرتے پَر نَہ راہ چَلتے پر

कहावत

मरते हैं मरते पर न राह चलते पर के हिंदी अर्थ

  • प्यार और मोहब्बत अपनों से होता है न कि दूसरों या अजनबियों से
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مَرتے ہَیں مَرتے پَر نَہ راہ چَلتے پر کے اردو معانی

  • چاہ پیار اپنوں سے ہوتا ہے نہ کہ غیروں یا اجنبیوں سے

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