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मुझे

एक पुरुषवाचक सर्वनाम जो उत्तम पुरुष, एकवचन और उभयलिग है तथा वक्ता या उसके नाम की ओर संकेत करता है । यह 'मैं' का वह रूप है जो उसे कर्म और संप्रदान कारक में प्राप्त होता है । इसमें लगी हुई एकार की मात्रा विभक्ति का चिह्न है, इसलिये इसके आगे कारक चिह्न नहीं लगता, मुझको

मुझे क़सम है

मुझे गाड़ो

मुझे दे सूप तू हाथों फूँक

स्वार्थी व्यक्ति के संबंध में कहते हैं कि उसे अपने काम से काम होता है दूसरे की पीड़ा एवं तकलीफ़ की परवाह नहीं होती

मुझे क्या नहीं आता

मैं हर विद्या और कौशल से परिचित हूँ

मुझे तो भैरवीं भावे

ख़्वाहमख़्वाह वाक़फ़ीयत जताना, ख़्वाहमख़्वाह इलम जताना

मुझे और तुझे ठौर

मुझे तेरे बगै़र और तुझे मेरे बगै़र चैन नहीं

मुझे बुढ़िया न कहो कोई , मैं ने जवानों की भी 'अक़्ल खोई

चालाक ज़ईफ़ अपने मुताल्लिक़ कहता है कि वो जवानों को उंगलीयों पहुंचा सकता है , ज़ईफ़ चालाक औरत का क़ौल है कि में बढ़िया हूँ तो क्या हवा में नौजवानों को भी फ़रेफ़्ता करलेती हूँ , बुज़ुर्गों की बनिसबत जवान नापुख़्ता कार होते हैं, जवान बुज़ुर्गों से इलम-ओ-शऊर हासिल करते हैं

मुझे खो दिया

नष्ट कर दिया, तबाह कर दिया

मुझे ओर न तुझे ठोर

एक दूजे के लिए दोनों आवश्यक हैं

मुझे क्या हुआ है

में किस हाल में मुबतला हूँ, मेरी क्या हालत होगई है

मुझे क्या कहता है

मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं मुझे दोष क्यूँ देता है

तुम तो मुझे छेड़ोगे

अपने से ही छेड़-छाड़ या दुष्टता पर भड़काना, झूठ-मूठ का नख़रा करना

राँधो न समझाओ मुझे बैठे खिलाओ

ख़ुदग़रज़ पेटू की निस्बत कहते हैं तुम कुछ ही करो, किसी काम के लिए ना कहो खाने के लिए दो, मेरा पेट भर दो

आप गीले में सोई मुझे सूखे में सुलाया

माँ के अद्भुत प्रेम और सहानुभूति प्रदर्शित करने के अवसर पर प्रयुक्त, पर्यायवाची: माँ ने स्वंय कष्ट उठाए और मुझे सदैव सुख-चैन प्रदान किया

काना मुझे भाए नहीं, काने बिन सुहाए नहीं

एक व्यक्ति से नफ़रत या घृणा करना और बिना उसके रह भी नहीं सकता

सास री सास मुझे पेट का दुख

जो व्यक्ति पूरे दिन खाने में लगा रहे, उसके बारे में कहते हैं

हिलाओ न डुलाओ मुझे सुख से खिलाओ

रुक : हिलाओ ना जलाओ मुझे बैठे ही खिलाओ

आँखों देखा फट पड़ा मुझे कानों सुनने दे

सच्चे को झूटा बनाते हो और दूसरे की आँखों से देखी हुई बात को अपनी सुनी सुनाई पर वरीयता देते हो

आ बैल मुझे भकोस नहीं तो मैं तुझे भकोसूँ

मुसीबत को आमंत्रित करना

मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)

सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है

सास मेरी घर नहीं मुझे किसी का डर नहीं

मैं न समझूँ तो भला क्या कोई समझाए मुझे

ज़िद्दी आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, आदमी ख़ुद ना समझना चाहे तो कोई नहीं समझा सकता

ये जवानी मुझे न भावे , सींग डलावे हँसी आवे

ये जवानी मुझे अच्छी नहीं लगती कि सींग मारने पर हंसी आए, मामूली बातों पर हंसना अच्छी बात नहीं

अपना सूप मुझे दे तू हाथों पछोड़

अपनी वस्तु देकर स्वयं कंगाल हो गए

काँड़ा मुझे भाए नहीं काँड़े बिन सुहाए नहीं

अपने नैनाँ मुझे दे और तू झुलाती फिर

अपनी चीज़ मुझे दे दे और स्वयं आश्रित हो जा

चूनी भी कहे मुझे घी से खाओ

साधारण आदमी का स्वयं को असाधारण एवं बड़ा दर्शाना, अपने पद से बढ़ कर दावे करना, अपनी हैसियत से अधिक दिखाना, अयोग्य हो कर भी योग्य बनना

काँड़ा मुझे भाए नहीं और काँड़े बिन सुहाए नहीं

एक शख़्स से नफ़रत करना और बगै़र इस के रह ना सकना

अंधा कहे मैं सरग चढ़ मूतूँ और मुझे कोई न देखे

हर एक यह चाहता है कि जो चाहे करे कोई उसपर आपत्ति न करे

घी गिर पड़ा मुझे रुखी भाती है

कपड़ा कहता है तू कर मुझे तह, मैं तुझे करूँ शह

कपड़े को सुरक्षित तरीक़े से पहनने वाले की ख़ुश-पोशाकी सम्मान का कारण होती है

पड़ा लोटे , दूसरा कहे मुझे चोखी दे

एक शख़्स तो अभी नाआक़बत अंदेशी का बुरा नतीजा भगत रहा है और दूसरे साहबाईसी ही ये इस से भी बढ़ कर हमाक़त के लिए तैय्यार हैं

पढ़े के आगे टोकरा डाला उस ने कहा मुझे उपलों के लिए भेजा

अक़लमंद को इशारा काफ़ी है

तुझे मुझे करना

इस का इस का या एरे ग़ैरे का नाम लेना

जज्मान चाहे स्वर्ग को जाए चाहे नर्क को, मुझे दही पूरी से काम

कोई बने या बिगड़े अपने लाभ से काम

रोटी पर का घी गिर पड़ा, मुझे रूखी ही भाती है

हानि हो जाए तो परवाह न करना

आ बैल मुझे मार

मुसीबत को आमंत्रित करना

आ बला मुझे मार

मुसीबत को आमंत्रित करना

अपना निकाल मुझे डालने दे

अपने लाभ के लिए दूसरे की हानि का इच्छुक होना

क्यूँकर री तू उतरी पार, क्यूँकर री तू चाली बात, क्यूँकर री तू ने ये घर जाना, क्यूँकर री तू ने मुझे पहचाना

महिलाओं के बहुत बातें करने पर व्यंग्य है कि कोई अतिथि आए तो आवभगत या सेवा-सत्कार करने के बजाय सवालों की बोछाड़ कर देती हैं

काँड़ा मुझे भावे नहीं और काँड़े बिन सुहावे नहीं

एक शख़्स से नफ़रत करना और बगै़र इस के रह ना सकना

छोड़ झाड़, मुझे डूबन दे

उस के संबंध में कहते हैं जो हर समय किसी के साथ लगा रहे, परंतु लोगों को कहे कि वह नहीं छोड़ते

आप ने मुझे मोल ले कर छोड़ दिया है

आपने मुझ पर बड़ा उपकार किया है, दया प्रकट करने में प्रयुक्त

न कोई आता था न कोई जाता था, न कोई गोद में ले कर मुझे सुलाता था

ऐसी बात कहना जिस से हर कोई अपनी इच्छानुसार मतलब निकाल सके

हिलाओ ना जुलाओ मुझे बैठे ही खिलाओ

हिलाओ न डुलाओ मुझे बैठे बैठे खिलाओ

काहिल आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं जो कुछ ना करे और मुफ़्त की खाए

तुम भी कहोगी कि मुझे कोई जोरू करे

उस व्यक्ति के संबंधित कहते हैं जो अपने को बहुत बुद्धिमान समझे और जिसे अपनी बुद्धिमत्ता का घमंड हो

ऊँट दाग़े जाते थे मक्कड़ ने टाँग फैलाई कि मुझे भी दाग़ो

आला को देख कर अदना भी इन की रेस करने लगे

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मुझे के अर्थदेखिए

मुझे

mujheمُجھے

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 12

मुझे के हिंदी अर्थ

सर्वनाम

  • एक पुरुषवाचक सर्वनाम जो उत्तम पुरुष, एकवचन और उभयलिग है तथा वक्ता या उसके नाम की ओर संकेत करता है । यह 'मैं' का वह रूप है जो उसे कर्म और संप्रदान कारक में प्राप्त होता है । इसमें लगी हुई एकार की मात्रा विभक्ति का चिह्न है, इसलिये इसके आगे कारक चिह्न नहीं लगता, मुझको

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English meaning of mujhe

Pronoun

مُجھے کے اردو معانی

ضمیر

  • مجھ کو، میری ذات کو، میرے تئیں

मुझे के अंत्यानुप्रास शब्द

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