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मूए का कोई नाम नहीं जीते का सब कोई

मूए का कोई नहीं, जीते का सब कोई

ज़िंदा की सब ख़ुशामद करते हैं मरे हुए का कोई नाम नहीं लेता, रुपय के सब यार होते हैं कंगाल की मिट्टी पलीद है, ताक़तवर के सब साथी हैं कमज़ोर का कोई साथ नहीं देता

जीते के सब हैं मरे का कोई नहीं

ज़िंदा का साथ दिया जाता है, मरने के बाद कोई किसी को नहीं पूछता

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागो हैं

दोस्ती, रिश्तेदारी सब ज़िंदगी के साथ है, मौत के बाद कोई साथ नहीं देता

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता, जीवित की सब शुभेच्छा के लिए जाते हैं, मरने के बाद कोई याद नहीं रखता

बनी के सब साथी हैं बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे वक़्त में सब दोस्त होते हैं बुरे वक़्त में कोई ख़बर नहीं लेता

सुख का सब कोई साथी

ख़ुशहाली के ज़माने में हर कोई दोस्त बिन जाता है

पेट का खाया कोई नहीं देखता, तन का पहना सब देखते हैं

कपड़ों पर सब की नज़र होती है, ज़ाहिर को सब देखते हैं बातिन को कोई नहीं जानता, ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब ज़ाहिरदारी बरतना ज़रूरी हो जाये या किसी भी मुआमले में बाअज़ बातों का इज़हार एक ज़रूरत हो

जिस का कोई नहीं उस का ख़ुदा

ग़ैरबों का मददगार ख़ुदा है

हारे का कोई साथी नहीं

रुक : हारे वक़्त का कोई साथी नहीं

बुरे का कोई साथी नहीं

मुसीबत की घड़ी में कोई दोस्त नहीं होता, परेशानी के वक़्त कोई साथी नहीं होता

कोई किसी का नहीं होता

किसी के दुख में कोई साझेदार नहीं होता

कोई किसी का दर्द बांट नहीं लेता

अपना दुख और अपनी पीड़ा खुद ही झेलनी पड़ती है, अपना दुख और दर्द अपने ही उठाने से उठता है

कोई किसी का कुछ नहीं कर सकता

कोई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता

मौत और गाहक का कोई ए'तिबार नहीं

मरने के लिए हर वक़्त तैयार रहना चाहिए मालूम नहीं किस वक़्त मौत आ जाए यही हाल गाहक का है इस लिए दुकानदार को भी हर वक़्त दुकान पर मौजूद रहना चाहिए

जिस के हाथ डोई उस का सब कोई

जिससे लाभ होता है उसी के सब शुभأचिंतक होते हैं

हारे वक़्त का कोई साथी नहीं

मुसीबत में कोई साथ नहीं देता, बुरे दिनों में कोई दोस्त नहीं रहता

सुस्त मूँख का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

सुस्त मुँह का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

मास सब कोई खाता है हड्डी गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

माँस सब खाते हैं हाड गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ को सब पसंद करते हैं, नालायक़ को कोई भी पसंद नहीं करता

ज़रूरत का कोई क़ानून नहीं

आदमी जैसा मौक़ा देखता है ज़रूरत में कर गुज़रता है, किसी क़ायदा की पाबंदी नहीं होती

तमाम की सूइयाँ निकाले वो कोई नहीं, जो आँखों की निकाले वो सब कोई

जब बहुत सा काम तो एक शख़्स करले और मेहनत-ओ-तकलीफ़ उठाए और ज़रा सा काम कर लेने या हाथ बटाने से नाम दूसरे का होजाए तो बोलते हैं

ख़ुदा लगती कोई नहीं कहता, मुँह लगती सब कहते हैं

हक़ बात कोई नहीं कहता, ख़ुशामद की सब कहते हैं

सुख संपत का हर कोई साथी

आराम और दौलत के ज़माने में सब दोस्त बिन जाते हैं

सुख सम्पत का हर कोई साथी

आराम और दौलत के ज़माने में सब दोस्त बिन जाते हैं

मास सब कोई खाता है हाड़ गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ से सब मुहब्बत करते हैं नालायक़ को कोई नहीं पूछता

सब-कोई

ख़ुदा लगती कोई नहीं कहता , मुँह देखी सब कहते हैं

मुँह देखी सब कहते हैं, ख़ुदा लगती कोई नहीं कहता

सब ख़ुशामद और तरफदारी की बात करते हैं सच्च और इंसाफ़ की कोई नहीं कहता

माँ का पेट कुम्हार का आवा कोई काला कोई गोरा

जिस तरह कुम्हार के आवे से बर्तन सुर्ख़-ओ-स्याह निकलते हैं इसी तरह माँ के पेट से भी काले और गोरे बच्चे पैदा होते हैं, मतलब ये कि एक ही माँ बाप के बच्चों में भी बाअज़ ख़ूबसूरत और बाअज़ बदसूरत होते हैं

बुड्ढे का कोई लागू नहीं

बुढ़ापे में कोई छल नहीं आता

माँ का पेट कुम्हार का आवा , कोई काला कोई गोरा

जनम-पत्र सब देखते है, करम-पत्र कोई नहीं देखता

कुंडली तो सब देखते हैं पर भाग्य का लिखा कोई नहीं जानता

मूए की क़ब्र और जीते का घर

मरुदे को क़ब्र में आराम और ज़िंदा को घर में, हर शख़्स अपनी जगह पर ही मौज़ूनियत के साथ रहता है , हर शख़्स अपने ही मुक़ाम पर ख़ुश रहता है , हर चीज़ अपने सही ठिकाने पर भली लगती है

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम हैं

हसन-ए-सुलूक और हसन-ए-ख़िदमत की कोई दाद नहीं देता मगर बुरी बात की फ़ौरन गिरिफ़त हो जाती है

माँ बाप जीते हराम का नहीं कहलाता

रुक : जिस के माँ बाप अलख

सब गुनों पूरी कोई न कहो लंडूरी

चालाक और अय्यार औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

बिपता में कोई साथी नहीं

मुसीबत के वक़्त कोई साथ नहीं देता

किसी का धन कोई खाए, पापी का माल अकारत जाए

कमाए कोई उड़ाए कोई, बख़ील कमाता और जोड़ता है खाते दूसरे हैं

कोई घड़ी का मेहमाँ

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

नन्नहे से बुरा कोई नहीं

मरना भला बदेस का जहाँ न अपना कोई

परदेस में मरना बेहतर है कि वहां कोई अपना नहीं होता जो अफ़सोस करे

कहे से कोई कुँवें में नहीं गिरता

दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं, कोई भी किसी के कहने से अपना घाटा नहीं करता, हर आदमी स्वयं सोच विचार कर ही कोई कार्य करता है, मात्र दुसरे के कहने से कोई अपने को विपत्ति में नहीं डालता

कहे से कोई कुवें में नहीं गिरता

हर एक अपनी बुराई भलाई ख़ूब समझता है, कोई भी किसी के कहने से अपना नुक़्सान नहीं करता

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

हमेशा कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपनी ही जवाबदेही करेगा

कोई कल सीधी नहीं

हर बात में घुमाव है, कोई पहलू ठीक नहीं

कहे से कोई कुए में नहीं गिरता

हर एक अपनी बुराई भलाई ख़ूब समझता है, कोई भी किसी के कहने से अपना नुक़्सान नहीं करता

सब गुन पूरे कोई न कहे लंडूरे

रुक : सब गुण भरी मेरी लाडो, कौन कहे लनडूओरी

ऊँट की कोई कल सीधी नहीं

शुरू शुरू मक़ासिद तक अपने क़लम से लिखे लेकिन ऊंट की कोई कल सीधी नहीं

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

घास खाए दिन कटे तो सब कोई खाए

जिस वस्तु की आवश्यकता होती है उसी वस्तु से वह आवश्यकता पूरी भी होती है, यदि साधारण खाना खा लेना आवश्यकतानुसार हो तो कोई कठोर परिश्रम करने का सहिष्णु न हो

जिस की उतरी लोई उस का किया करेगा कोई

जिस में श्रम-ओ-हया बाक़ी ना रहे उस को कोई क्या कह सकता है, बेशरम की बला दूर

पकाए सो खाए नहीं , खाए कोई और

जो मुहब्बत करे कागा फ़ायदा उठाएगा

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

किसी अज़ीज़ या दोस्त की ख़ातिर से झूट ना बोलने और ईमान ना खोने के महल पर बोलते हैं, यानी हर एक अपने आमाल का नतीजा भुगतेगा, किसी के वास्ते बेईमानी नहीं की जा सकती

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

दीन-ओ-दुनिया दोनों से कोई सरोकार नहीं

हर चीज़ से अलग, किसी बात की फ़िक्र नहीं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मूए का कोई नाम नहीं जीते का सब कोई के अर्थदेखिए

मूए का कोई नाम नहीं जीते का सब कोई

muu.e kaa ko.ii naam nahii.n jiite kaa sab ko.iiمُوئے کا کوئی نام نَہیں جِیتے کا سَب کوئی

مُوئے کا کوئی نام نَہیں جِیتے کا سَب کوئی کے اردو معانی

  • ۔ مثل۔ زندہ کی سبھی خوشامد کرتے ہیں۔ مُردہ کا کوئی نام نہیں لیتا۔ روپیہ کے سب یار ہوتے ہےیں۔ کنگال کی مٹّی کو قبر میں اور زندہ کو اپنے گھر میں آرام ہے یعنی ہر شخص اپنے ہی مسکن میں خوش ہے۔

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