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नाम को नहीं है

बराए नाम नहीं है, नाम गिनाने तक को नहीं है, बिलकुल नहीं है, मुतलक़ नहीं है

रात को नाम नहीं लेते हैं

सुब्ह को नाम नहीं लेते

सुबह को निहार मुँह किसी कंजूस का नाम लेना बुरा समझा जाता है

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम हैं

हसन-ए-सुलूक और हसन-ए-ख़िदमत की कोई दाद नहीं देता मगर बुरी बात की फ़ौरन गिरिफ़त हो जाती है

नाम को नहीं

बराए नाम भी नहीं है, बिलकुल नहीं है, नापैद है

जिस के पैसा नहीं है पास , उस को मेला लगे उदास

जिस शख़्स के पास पैसा नहीं उसे किसी चीज़ का लुतफ़ नहीं आता

चाकर को 'उज़्र नहीं कूकर को 'उज़्र है

कुत्ता हुक्म ना माने मगर नौकर को मानना पड़ता है, नौकर को ताबेदारी के सिवा और कोई चारा नहीं

पत्थर को जोंक नहीं लगती कहीं पत्थर में भी जोंग लगी है

कौन सा दरख़्त है जिस को हवा नहीं लगी

ऐब और तकलीफ़ से कोई ख़ाली नहीं

अन-होती को होत को ताकत है सब को, अन-होनी होनी नहीं होनी, होवे सो होए

जो होना है या जो भाग्य में है वह होकर रहता है, जो नहीं होना या जो भाग्य में नहीं है वह कभी नहीं होगा, यद्यपि बहुत से लोग असंभव बात की आशा रखते हैं, परंतु असंभव बात होती नहीं

ख़ुदा को देखा नहीं 'अक़्ल से पहचाना है

बिना देखे ईश्वर पर विश्वास है, यह कहावत उस समय कहते हैं जब किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो इस से सलाह मशवरा नहीं करता

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

नाम-को

सूँघने को नहीं

बिलकुल नहीं, नाम को भी नहीं , किसी चीज़ के बिलकुल ख़त्म हो जाने के मौक़ा पर बोलते हैं

पेट को टिकिया नहीं , सोने को खटिया नहीं

रुक : पेट को टुकड़ा ना तन को चीथड़ा

नाम ख़ुदा कँवारा पिंडा है

(ओ) चशम बददूओर कुंवारी है (उमूमन अभी के साथ

साँच को आँच नहीं

नाम हीरा मल-दमक कंकर सी भी नहीं

नाम अच्छा है मगर गुण अच्छे नहीं हैं, नाम बड़ा और दर्शन छोटे

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

भूका को दे नहीं सकते , रजे को देख नहीं सकते

हासिद की निसबत बोलते हैं

मियाँ घर नहीं, बीवी को डर नहीं

ख़ावंद घर मौजूद ना हो और बीवी खुल खेले तो कहा जाता है

रूठे को मनाए नहीं , फटे को सिलाए नहीं तो काम कैसे चले

रूओठे को मनाना और फटे को सुलाना चाहीए वर्ना दुनिया में गुज़ारा नहीं

दाना को दान नहीं, भिकारी को भीक नहीं

बख़ील की निसबत कहते हैं

सुब्ह का नाम नहीं लेते

ज़िंदगी ज़िंदा दिली का नाम है

(नासिख़ का मिसरा ग़लत तरह से बतौर मक़ूला मशहूर-ओ-मुस्तामल) आदमी को हंस बोल के ज़िंदगी गुज़ारना चाहीए

आँख में लगाने को नहीं

(ये चीज़) इतनी भी नहीं कि आंख में सुरम्य की हरा लगाई जा सके, ज़र्रा भर नहीं

हाँगा नहीं है

ताक़त नहीं है

हरि का नाम सत है सत बोलो मुक्त है

(हिंदूओं के) ख़ुदा का नाम सच्च है और सच्च बोलने में नजात है (एक फ़िक़रा जिस का इस्तिमाल कुछ हिंदू ज़ातों में मुरदे को ले जाते वक़्त किया जाता है)

भूईं बिस्वा भर नहीं नाम पृथ्वी पालक

ज़मीन ज़रा क़बज़े में नहीं नाम ज़मीन का पालने वाला, बरअक्स नहंद नाम ज़ंगी काफ़ूर

अल्लाह को देखा नहीं पर 'अक़्ल से तो पहचाना है

आसार-ओ-क़राइन से किसी अमर वग़ैरा का अंदाज़ा लगाने के मौक़ा पर मुस्तामल

देखता है सो कहता नहीं कहता है सो देखता नहीं

कोई सच्ची गवाही नहीं देता है, जिस ने देखा है वह गवाही नहीं देता और जो गवाही देता है उस ने कुछ देखा नहीं

तेरे फ़रिशतों को मा'लूम नहीं

तुझे कुछ ख़बर नहीं

देने के नाम कुंडी भी नहीं देते

बहुत कंजूस हैं

मुँह में दाँत नहीं और नाम मेरा ख़दीजा ख़ानम

हक़ीक़त कुछ नहीं और मिज़ाज बड़ा

मुझ को पाता है तो हथियार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

तुम्हारे फ़रिश्तों को भी ख़बर नहीं

तुम्हें कुछ पता नहीं है, तुम्हें मालूम ही नहीं हुआ है

है आदमी है काम नहीं आदमी नहीं काम

इंसान के दम क़दम से काम है, इंसान नहीं होता तो काम भी नहीं होता, सारी रौनक इंसान के दम से है, करने वाले के लिए बहुत काम होता है जो न करना चाहे उस के लिए कुछ काम नहीं

राम नाम को आ सगनी भोजन को तैयार

फ़र्ज़शनासी के मौक़ा पर मस्त और फ़ायदे के मुक़ाम पर मुस्तइद ख़ुसूसन काहिल और हरामख़ोर नौकर के हक़ में कहते हैं

पैसा पैसे को खींचता है

सोंटे को सोना लगाता है

बुरी शक्ल वाले को अच्छा कपड़ा पहनाने के अवसर पर बोलते हैं

चंगा है मगर नंगा नहीं

मक़दूर ही मगर फ़ुज़ूलखर्च नहीं

एल्ची को ज़वाल नहीं

कुवारी को सदा बसंत है

आज़ाद और अकेला के लिए हर वक़्त ख़ुशी है, आज़ाद को हर समय ऐश है कुछ फ़िक्र नहीं होता

मुझ को पाता है तो छुरी को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मुझ को पाता है तो तलवार को नहीं पाता

जान का दुश्मन है , क्या करे कुछ बस नहीं चलता यानी जब तक ख़ुदा ना चाहे कोई किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

भैंस को अपनी सींग भारी नहीं होते

किसी को अपने अहल-ओ-अयाल गिरां नहीं गुज़रते

हमाहमी फ़रिश्तों को भी ख़बर नहीं

हमें ज़रा भी मालूम नहीं, हम को मुतलक़ मालूम नहीं, हम बिलकुल बेख़बर हैं

हमारे फ़रिश्तों को भी ख़बर नहीं

ज़र है तो घर है नहीं खंडर है

रुपया पैसा हो तो घर अच्छ्াी हालत में नज़र आता है नहीं तो खंडर बिन जाता है

गाय को अपने सींग भारी नहीं

पत्थर को जोंक नहीं लगती

(लाक्षणिक) कंजूस पैसा नहीं ख़र्च करता, बद्दू पर नसीहत का असर नहीं होता

चेले लावें माँग कर बैठा खाए महंत, राम भजन का नाम है पंथ

भजन नाम को है ये सब पेट भरने के तरीक़े हैं, चेले मांग कर लाते हैं, गुरु बैठे खाते हैं

किसी की किसी को ख़बर नहीं

किसी गिरोह या जमात पर बेहोशी और ग़फ़लत का आलम तारी होने पर बोलते हैं

किसी को किसी की ख़बर नहीं

۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।

ख़बर नहीं है

दम नहीं बदन में, नाम ज़ोर-आवर-ख़ाँ

बहुत दिखावा करना, शरीर में शक्ति नहीं परंतु बुरा स्वभाव ऐसा है कि हर व्यक्ति से झगड़ा करते रहते हैं

गाय को सींग दूभर नहीं होते

गाय को अपने सींग भारी नहीं होते, इंसान को अपनी अहल-ओ-अयाल बूओझ महसूस नहीं होते

सर में फोड़ा नहीं है

नाहक़ की तकलीफ़ क्यूँ उठाऊँ

सांसा साएं मेट दे और ना मेटे को, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लो

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में नाम को नहीं है के अर्थदेखिए

नाम को नहीं है

naam ko nahii.n haiنام کو نَہیں ہے

वाक्य

नाम को नहीं है के हिंदी अर्थ

  • बराए नाम नहीं है, नाम गिनाने तक को नहीं है, बिलकुल नहीं है, मुतलक़ नहीं है
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نام کو نَہیں ہے کے اردو معانی

  • برائے نام نہیں ہے ، نام گنانے تک کو نہیں ہے ، بالکل نہیں ہے ، مطلق نہیں ہے

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