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पूछें जब बोलिये , बुलाएँ जब जाईये

जब तक कोई पूछे नहीं तब तक बात बतानी नहीं चाईए, और जब तक कोई बुलाए नहीं इस के घर नहीं जाना चाहिए

पूछें ज़मीन की तो कहें आसमान की

रुक : पूछो ज़मीन की अलख

बात पूछे बात की जड़ पूछे

बात के द्वारा कुरेद-कुरेद कर पता लगाता है, बात का स्वरूप और उसका ढंग पूछता है (वाद-विवाद के लिए प्रयुक्त)

बात पूछे बात की वजह पूछे

बात के द्वारा कुरेद-कुरेद कर पता लगाता है, बात का स्वरूप और उसका ढंग पूछता है (वाद-विवाद के लिए प्रयुक्त)

बात पूछे बात का लच्छन पूछे

बात के द्वारा कुरेद-कुरेद कर पता लगाता है, बात का स्वरूप और उसका ढंग पूछता है (वाद-विवाद के लिए प्रयुक्त)

कोई पूछे न पूछे , मेरा धन सुहागन नाम

आप ही आप इतराए जाना चाहे कोई पूछे या ना पूछे

मेरे दिल से कोई पूछे

मुझ से पूछे, मुझ से पूछताछ करे, जो मुझ पर बीत रही है वो में ही जानता हूँ

बे पूछे गछे

बिना खोज किए, बिना अनुमति के

भीक माँगे और पूछे गाँव की जम'

भिकारी होकर आदेश देने के भाव में बात करना, स्थिति तुच्छ और हौसला बड़ा, अपनी हैसियत भूल कर बात करना

कन्थ न पूछे बात, मेरा धना सुहागन नाम

पति बात नहीं पूछता, कहने को में सुहागन हूँ

गंगा के मेले में चक्की को कौन पूछे

बड़े लोगों के मजमा में अदना की कौन सुनता है , बेमहल और बे मौक़ा काम की क़दर नहीं होती

कन्त न पूछे बात री, मेरा धन सुहागन नाम

पति बात नहीं पूछता, कहने को में सुहागन हूँ

हाथी-घोड़े भाग गए, गधा पूछे कितना पानी

बड़े बड़े हिम्मत हार गए, छोटे को अभी साहस बाक़ी है

जिस का हाल देखे , उस का अहवाल क्या पूछे

जिस की ज़ाहिरी हालत से परेशानी ज़ाहिर हो इस से पूछने की क्या हाजत

ख़सम न पूछे बात मेरा धन्ना सुहागन नाम

कोई मुँह लगाना नहीं पर आप ही इतराता है

बड़े बड़े बहे जाएँ, गयहा पूछे कितना पानी

जहाँ बड़े बड़े लोगों की भी किसी को परवाह नहीं वहाँ साधारण व्यक्ति को कौन पूछेगा

कोई न पूछे बात मेरा धन सुहागन नाम

कोई पूछे न गिने आप ही आप इतरावे

सारी रात कहानी सुनी सुब्ह को पूछे ज़ुलैख़ा 'औरत थी या मर्द

उस व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो ध्यान से बात न सुने और फिर उसका मतलब ग़लत समझे

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

बड़े बड़े बहे जाएँ, गधा पूछे कितना

जहाँ बड़े बड़े लोगों की भी किसी को परवाह नहीं वहाँ साधारण व्यक्ति को कौन पूछेगा

ज़ात-ज़मात न पूछे कोए हर को भजे सो हर का होए

जो शख़्स मेहनत और रियाज़त करता है मक़बूल होता है और इस की ज़ात को कोई नहीं पूछता है

ज़ात-पात न पूछे कोए हर को भजे सो हर का होए

जो शख़्स मेहनत और रियाज़त करता है मक़बूल होता है और इस की ज़ात को कोई नहीं पूछता है

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

माया को माया मिले कर के लम्बे हात, तुलसी दास ग़रीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

बड़े बड़े बहे जाएँ, गडड़िया पूछे कित्ती थाह

जहाँ बड़े बड़े लोगों की भी किसी को परवाह नहीं वहाँ साधारण व्यक्ति को कौन पूछेगा

यूँ मत जाने बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय

मूर्ख ये न समझ कि पाप को कोई नहीं पूछेगा ईश्वर के समक्ष एक दिन हिसाब देना होगा

धन-वंती के काँटा लगा दौड़े लोग हज़ार, निर्धन गिरा पहाड़ से कोई न पूछे बात

अमीर आदमी को ज़रा सी तकलीफ़ हो तो सैकड़ों ख़ुशामदी दौड़े पड़ते हैं लेकिन ग़रीब पहाड़ से भी गिर पड़े तो कोई पास नहीं आता

बड़े बड़े ढह गए, बढ़ई पूछे कितना पानी

जहाँ बड़े बड़े लोगों की भी किसी को परवाह नहीं वहाँ साधारण व्यक्ति को कौन पूछेगा

जोबन था जब रूप था गाहक था सब कोई, जोबन रतन गँवाए के बात न पूछे कोई

जब सुंदरता और जवानी थी हर एक चाहने वाला था जब ये जाती रही तो कोई पूछता भी नहीं

भीक माँगें और पूछें गाँव की जम'

भिकारी होकर आदेश देने के भाव में बात करना, स्थिति तुच्छ और हौसला बड़ा, अपनी हैसियत भूल कर बात करना

भट भटयारी बेसवा तीनों जात कुजात आते का आदर करें जात न पूछें बात

ये (भट्ट, भटियारी, बेसवा) सब अपने स्वार्थ के यार होते हैं, ये तीनों स्वार्थी होते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पूछे के अर्थदेखिए

पूछे

puuchheپوچھے

वज़्न : 22

English meaning of puuchhe

  • asked, enquired

Urdu meaning of puuchhe

  • Roman
  • Urdu

खोजे गए शब्द से संबंधित

पूछें जब बोलिये , बुलाएँ जब जाईये

जब तक कोई पूछे नहीं तब तक बात बतानी नहीं चाईए, और जब तक कोई बुलाए नहीं इस के घर नहीं जाना चाहिए

पूछें ज़मीन की तो कहें आसमान की

रुक : पूछो ज़मीन की अलख

बात पूछे बात की जड़ पूछे

बात के द्वारा कुरेद-कुरेद कर पता लगाता है, बात का स्वरूप और उसका ढंग पूछता है (वाद-विवाद के लिए प्रयुक्त)

बात पूछे बात की वजह पूछे

बात के द्वारा कुरेद-कुरेद कर पता लगाता है, बात का स्वरूप और उसका ढंग पूछता है (वाद-विवाद के लिए प्रयुक्त)

बात पूछे बात का लच्छन पूछे

बात के द्वारा कुरेद-कुरेद कर पता लगाता है, बात का स्वरूप और उसका ढंग पूछता है (वाद-विवाद के लिए प्रयुक्त)

कोई पूछे न पूछे , मेरा धन सुहागन नाम

आप ही आप इतराए जाना चाहे कोई पूछे या ना पूछे

मेरे दिल से कोई पूछे

मुझ से पूछे, मुझ से पूछताछ करे, जो मुझ पर बीत रही है वो में ही जानता हूँ

बे पूछे गछे

बिना खोज किए, बिना अनुमति के

भीक माँगे और पूछे गाँव की जम'

भिकारी होकर आदेश देने के भाव में बात करना, स्थिति तुच्छ और हौसला बड़ा, अपनी हैसियत भूल कर बात करना

कन्थ न पूछे बात, मेरा धना सुहागन नाम

पति बात नहीं पूछता, कहने को में सुहागन हूँ

गंगा के मेले में चक्की को कौन पूछे

बड़े लोगों के मजमा में अदना की कौन सुनता है , बेमहल और बे मौक़ा काम की क़दर नहीं होती

कन्त न पूछे बात री, मेरा धन सुहागन नाम

पति बात नहीं पूछता, कहने को में सुहागन हूँ

हाथी-घोड़े भाग गए, गधा पूछे कितना पानी

बड़े बड़े हिम्मत हार गए, छोटे को अभी साहस बाक़ी है

जिस का हाल देखे , उस का अहवाल क्या पूछे

जिस की ज़ाहिरी हालत से परेशानी ज़ाहिर हो इस से पूछने की क्या हाजत

ख़सम न पूछे बात मेरा धन्ना सुहागन नाम

कोई मुँह लगाना नहीं पर आप ही इतराता है

बड़े बड़े बहे जाएँ, गयहा पूछे कितना पानी

जहाँ बड़े बड़े लोगों की भी किसी को परवाह नहीं वहाँ साधारण व्यक्ति को कौन पूछेगा

कोई न पूछे बात मेरा धन सुहागन नाम

कोई पूछे न गिने आप ही आप इतरावे

सारी रात कहानी सुनी सुब्ह को पूछे ज़ुलैख़ा 'औरत थी या मर्द

उस व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो ध्यान से बात न सुने और फिर उसका मतलब ग़लत समझे

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

बड़े बड़े बहे जाएँ, गधा पूछे कितना

जहाँ बड़े बड़े लोगों की भी किसी को परवाह नहीं वहाँ साधारण व्यक्ति को कौन पूछेगा

ज़ात-ज़मात न पूछे कोए हर को भजे सो हर का होए

जो शख़्स मेहनत और रियाज़त करता है मक़बूल होता है और इस की ज़ात को कोई नहीं पूछता है

ज़ात-पात न पूछे कोए हर को भजे सो हर का होए

जो शख़्स मेहनत और रियाज़त करता है मक़बूल होता है और इस की ज़ात को कोई नहीं पूछता है

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

माया को माया मिले कर के लम्बे हात, तुलसी दास ग़रीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

बड़े बड़े बहे जाएँ, गडड़िया पूछे कित्ती थाह

जहाँ बड़े बड़े लोगों की भी किसी को परवाह नहीं वहाँ साधारण व्यक्ति को कौन पूछेगा

यूँ मत जाने बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय

मूर्ख ये न समझ कि पाप को कोई नहीं पूछेगा ईश्वर के समक्ष एक दिन हिसाब देना होगा

धन-वंती के काँटा लगा दौड़े लोग हज़ार, निर्धन गिरा पहाड़ से कोई न पूछे बात

अमीर आदमी को ज़रा सी तकलीफ़ हो तो सैकड़ों ख़ुशामदी दौड़े पड़ते हैं लेकिन ग़रीब पहाड़ से भी गिर पड़े तो कोई पास नहीं आता

बड़े बड़े ढह गए, बढ़ई पूछे कितना पानी

जहाँ बड़े बड़े लोगों की भी किसी को परवाह नहीं वहाँ साधारण व्यक्ति को कौन पूछेगा

जोबन था जब रूप था गाहक था सब कोई, जोबन रतन गँवाए के बात न पूछे कोई

जब सुंदरता और जवानी थी हर एक चाहने वाला था जब ये जाती रही तो कोई पूछता भी नहीं

भीक माँगें और पूछें गाँव की जम'

भिकारी होकर आदेश देने के भाव में बात करना, स्थिति तुच्छ और हौसला बड़ा, अपनी हैसियत भूल कर बात करना

भट भटयारी बेसवा तीनों जात कुजात आते का आदर करें जात न पूछें बात

ये (भट्ट, भटियारी, बेसवा) सब अपने स्वार्थ के यार होते हैं, ये तीनों स्वार्थी होते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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