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सुनिए सब की कीजिए अपने मन की

बात हर एक की सुननी चाहिए, मगर करना वही चाहिए जो दिल में आए

हाँ जी हाँ जी सब से कीजिये , करिये अपने मन की

सब की सुननी चाहिए करना वही चाहिए जो दिल को अच्छा मालूम हो

अपने मन से जानिये पराए मन की बात

दूसरे तुम से क्या चाहते हैं अथवा कैसे व्यवहार की आशा रखते हैं इसे स्वयं अपने मन से समझ लेना चाहिए

अपने-अपने क़दह की सब ख़ैर मनाते हैं

हर कोई अपनी भलाई चाहता है, सब अपना प्याला भरा रखना चाहते हैं, सब अपना स्वार्थ तकते हैं

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

जिस का खाइए अन पानी उस की कीजिए आबादानी

अपने आक़ा और मुहसिन की शुक्रगुज़ारी लाज़िम है

मन की तरंग

दिल की लहर, इच्छा का जोश, दिल का शौक़

जिस का खाइए अन पानी उस की कीजिए आवादानी

अपने आक़ा और मुहसिन की शुक्रगुज़ारी लाज़िम है

मन की मन में रहना

दिल की हसरत-ए-दिल ही में रह जाना, अरमान पूरा ना होना, शौक़ और अरमान का बेसूद जाना, मक़सद पूरा ना होना

अपने किए की सज़ा पाना

ग़रीब की जोरू सब की भाबी, ज़बर्दस्त की जोरू सब की दादी

ग़रीब का साथी भी सब में कम रुतबा और ज़बरदस्त का यार सब पर ज़बरदस्त होता है

सब की माँ शाम

शाम को सब घर आकर आराम पाते हैं, इस लिए शाम सब की माँ की तरह है कि इस से सुख मिलता है

मन की बात मन में रखना

दिल की बात ना कहना, ख़ाहिश उदली किसी से ना कहना, ख़ाहिश का इज़हार ना करना

अपने झोंपड़े की ख़ैर माँगो

अपने कुशल क्षेम की प्रार्थना करो, अपने बचाव का प्रयास करो, अपनी कुशल मनाओ फिर दूसरे की चिंता करना

सब कहने की बातें हैं

बनावट की बातें हैं, असत्य बातें हैं, वास्तविकता नहीं है, असलियत कुछ नहीं

सब का भला सब की ख़ैर

रंग की ख़ुशी मन का सौदा

दिल को जो पसंद आए वही रंग अच्छा होता है

मुफ़्लिस की जोरू सब की भाबी

ग़रीब की चीज़ को हर कोई हथियाने की कोशिश करता है, ग़रीब की चीज़ पर हर कोई दावा करना शुरू कर देता है

देल दुनिया की दम बदम कीजिए किस की शादी और किस का ग़म कीजिए

दुनिया में मज़े उड़ाने चाहें ख़ुशी और ग़म की पर्वा नहीं करना चाहिए

मन की धुंद छटना

हृदय पवित्र होना, दिल साफ़ होना, द्वेष जाते रहना

क़िस्मत सब की सब के साथ होती है

हर एक की तक़दीर अलग होती है, हर शख़्स का मुक़द्दर अलग अलग होता है

सास की चेरी सब की झेड़ी

जो सास की ख़िदमत करे वो सब पर हुकूमत करती है

सपने की सी माया जिस को अपने बतलावे

दौलत ख़ाब की तरह एक बेहक़ीक़त चीज़ है जिसे इंसान अपनी कहता है

तन-मन की सुध-बुध न रहना

तन-बदन का होश न रहना, महव हो जाना

अपने-अपने घर सब बादशाह हैं

अपने घर के सब मालिक हैं चाहे जो करें, अपने घर में सब बड़े हैं

आज कल की कन्या अपने मुँह से बर माँगती है

कलयुग का समय है, लोग अनुचित बातें करते हैं, बारह साल की लड़की पति चाहती है

सोने की कटारी किसी ने अपने पेट में न मारी

कितना ही फ़ायदा क्यूँ न हो पर जान कोई नहीं लेता

सख़ी की कमाई में सब का साझा

सखी सब को देता है

सब शक्ल है लंगूर की , इक दुम की कसर है

किसी की बदसूरती पर तंज़न कहते हैं

सब अपने अपने हाल में मुब्तला हैं

हर शख़्स को एक ना एक फ़िक्र लगी हुई है

निबल की जोरू सब की सलहज

मुफ़लिस की कोई इज़्ज़त नहीं करता

बनिये की गौन में नौ मन का धोका

मुआमला थोड़ा सा है मगर ग़लती बहुत बड़ी है

सब की सुन लेना

मन की आसूदगी

आत्म-संतुष्टि, दिल की ख़ुशी, हृदय- सुख- इनमें से अधिकतर मन की शांति को खोजने वाले दिखाई देते हैं

अपने झोपड़े की ख़ैर माँगो

तुम्हें दूसरों की क्या पड़ी अपनी तो ख़बर लो

साझे की होली सब से भली

जब ज़्यादा लोग मिलते हैं, तो होली अच्छी तरह से मनाई जाती है, त्योहार या ख़ुशी का आनंद केवल संयोग और एकता से आता है

मन की मारी कासे कहूँ, पेट मसोसा दे दे रहूँ

दिल का रंज कोई दूर नहीं करसकता, किसी से कहना फ़ुज़ूल है, सब्र कर के बैठ रहना चाहिए

भले माँस की सब तरह से ख़राबी है

ज़ियाद रब की , ख़ैर सब की

सदाए फ़क़ीर, यानी ख़ुदा का नाम लेते और सब का भला मनाते हैं कुछ है तो ऐसे लोगों को भी दलवाओ

नाइयों की बरात में सब ठाकुर ही ठाकुर

मन की मुर्री किस से कहूँ पेट मसोसा दे दे रहूँ

अपनी तकलीफ़ या भूक किस से कहूं पेट दबा कर ख़ामोश हो रहती हूँ

मन की हवस

विषयासक्ति, तीव्र इच्छा, लालच

हज़ार मन की

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलते

इशारे से कहते हैं ज़बान से नहीं बोलते, साफ़ साफ़ नहीं कहते

कायथों में सब से छोटे और भाँडों में सब से बड़े की कमबख़्ती है

काएथ छोटों से बहुत काम कराते हैं भांडों में बड़े को करना पड़ता है

उसको सब की फ़िक्र है

ईश्वर सभी का ख़याल रखता है, भगवान सबकी ख़बर लेता है

सब की मय्या शाम

शाम को सब घर आकर आराम पाते हैं, इस लिए शाम सब की माँ की तरह है कि इस से सुख मिलता है

मन साँचा तो सब साँचा

नीयत सही हो तो नतीजा अच्छा निकलता है , सच्चाई अजब चीज़ है, सच्च बोल कर ऐसा महसूस होता है जैसे सारी दुनिया ख़ुश है, सिदक़ दिल अजब शैय है

सब से बेहतर है मियाँ साहिब सलामती दूर की

दूर-दूर रहना ही अच्छा है, घनिष्ठता अच्छी नहीं

शब की शब

रात की रात, सिर्फ़ एक रात में, रात भर में

सब की सुनना अपनी करना

इंसान सुने सब की मगर करे वही जो अपने लिए बेहतर समझे

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो सलाम के जवाब में सिर्फ़ सर हिला दे , मग़रूर और बेवक़ूफ़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसे भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

फ़क़ीर की झोली में सब कुछ

फ़क़ीर के अधिकार में सारी ईश्वरत्व है

नाई की बरात में सब ही ठकुर

वहां मुस्तामल है जहां हर शख़्स काम करने को अपनी इमतियाज़ी हैसियत से पस्त समझता हो, अपने घर या क़ौम में सब इज़्ज़तदार होते हैं

तमाम की सूइयाँ निकाले वो कोई नहीं, जो आँखों की निकाले वो सब कोई

जब बहुत सा काम तो एक शख़्स करले और मेहनत-ओ-तकलीफ़ उठाए और ज़रा सा काम कर लेने या हाथ बटाने से नाम दूसरे का होजाए तो बोलते हैं

तुलसी पैसा पास का सब से नीको होय, होते के सब कोय हैं, अन-होते की जोय

गाँठ का पैसा ही काम आता है

मन की सी कहना

रुक : मन की बात कहना

चोर की बूमड़ी सब से आगे

जो क़सूरवार होता है वो अपनी बेगुनाही साबित करने को ज़्यादा शोर मचाता है

मन भर का सर हिलाए टके की ज़बान न हिलाए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सुनिए सब की कीजिए अपने मन की के अर्थदेखिए

सुनिए सब की कीजिए अपने मन की

suniye sab kii kiijiye apne man kiiسُنیے سَب کی کِیجیے اَپنے مَن کی

वाक्य

सुनिए सब की कीजिए अपने मन की के हिंदी अर्थ

  • बात हर एक की सुननी चाहिए, मगर करना वही चाहिए जो दिल में आए
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سُنیے سَب کی کِیجیے اَپنے مَن کی کے اردو معانی

  • بات ہر ایک کی سننی چاہیے، مگر کرنا وہی چاہیے جو دل میں آئے

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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