खोजे गए परिणाम
"''باس''" शब्द से संबंधित परिणाम
तुलसीबास
एक तरह का अगहनी धान जिसका चावल सुगंधित होता है
ला-बासा-बिहि
इस में कुछ मज़ाइक़ा नहीं, कोई क़बाहत नहीं , (मुरादन) जायज़, रवा
बास करना
to lodge, stay (with), to abide, dwell, reside, to make (its) nest, to roost (a bird)
मीठी-बास
अच्छी बू; अर्थात : ख़ुशबू
सुख-बस
वह स्थान जहाँ का निवास सुखकर हो
रन-बास
رانیوں کے رہنے کی جگہ ، شاہی محل ، حرم سرا
ढील-बास
(کاشت کاری) ایسے خول یا غلاف کو کہتے ہیں جس میں بیج بنتا ہے اور بڑھتا ہے جو عام طور سے ڈوڈا کہلاتا ہے کاشتکاروں کی اصطلاح میں چنے کے خول کو کہتے ہیں ، ڈھیری ، گھیگر.
नरक-बास
दोज़ख़ में जाना, दोज़ख़ में रहना
बासुकी
वह साँप जिसके सर पर ज़मीन खड़ी है, और जिसको समुंद्र दूहने के लिए रस्सी के तौर पर इस्तेमाल किया गया था
बस-ओ-बास
रहन-सहन, निवास, निवास-स्थान, रहने की जगह
बू बास लेना
संकेत या लक्षण आदि से पता लगाना, जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करें, सुन गुन लेना
बू बास निकलना
रूप पाया जाना, लक्षण प्रकट होना
पाप छुपाए ना छुपे जैसे लह्सन की बास
बुरा काम कभी छिपा नहीं रहता
पाप छुपाए न छुपे जस लह्सन की बास
बुरा काम कभी छिपा नहीं रहता
ला-बासा-तहूर
बीमारी के ग़म ना खाओ वह पापों से पवित्र करने वाली है, हुज़ूर-ए-अनवर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नियम था कि जब आप किसी रोगी का हाल पूछने और उसे ढारस देने के लिए उसके पास जाते तो उससे फ़रमाते "ला बास तहूर इन शा अल्लाह" (अर्थात् इस बीमारी के ग़म ना खाओ कि यह बीमारी पापों से पवित्र करने वाली है यदि अल्लाह चाहे)
ख़ुश-बास
सुगंध देने वाला, सुगंधित, सुवासित
पैसा नहीं पास तो कैसे सूँघें बास
बगै़र पैसे के कोई चीज़ मयस्सर नहीं होती
ला-बासा
(अरबी फ़िक़रा उर्दू में मुस्तामल) ला बॉस बही (रुक) का मुख़फ़्फ़फ़, कोई मज़ाइक़ा नहीं
बन-बास
जला-वतनी, देश निकाला (बस्ती छोड़ कर) बन में रहने की स्थिति
जहाँ बालों का बैठना वहाँ भूतों का बास
कहते हैं कि बच्चों पर भूतों का असर जल्दी होता है इस लिए जहाँ बच्चे रहें वहाँ भूतों के आने का डर होता है
पैसा नहीं पास तो क्यों कर सूँघें बास
बगै़र पैसे के कोई चीज़ मयस्सर नहीं होती
संगत भली न साध की और एक गेंदे की बास
न साधू का साथ अच्छा होता है और न गेंदे की ख़ुश्बू
संगत भली न साध की और क्या गंदी का बास
ना फ़क़ीर की रिफ़ाक़त अच्छी होती है और ना गेंदे की बूओ, इन दोनों की सोहबत पाएदार नहीं होती
बासी फूलों बास नहीं परदेसी बलम की आस नहीं
परदेसी जिससे मिलने की आस न हो उससे प्रेम करनी व्यर्थ है
परदेसी बलम तेरी आस नहीं, बासी फूलों में बास नहीं
परदेसी जिससे मिलने की आस न हो उससे प्रेम करनी व्यर्थ है
बासी फूलों में बास नहीं, परदेसी बालम तेरी आस नहीं
परदेसी जिससे मिलने की आस न हो उससे प्रेम करनी व्यर्थ है
टहल करो माँ बाप की जो होएँ संपूरन आस, या टहल सो जो फिरें नरक उन्हों का बास
माँ बाप की सेवा करने वालों की सब उम्मीदें पूरी होती हैं जो उन की सेवा न करें वो नरक में जाते हैं