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आधे क़ाज़ी क़ुदवा आधे बावा-आदम
उस व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो अपने को सब से बढ़ चढ़ कर समझे और बड़े भाग का अधिकारी जाने (कहा जाता है कि एक क़ाज़ी क़ुदवा नाम के सत्तर या चौरासी बेटे थे, इस लिए अतिश्योक्ति के तौर पर ये उदाहरण प्रसिद्ध हो गई कि आधे हैं कुल मानव की संतान और आधे में क़ाज़ी क़ुदवा की संतान)
अड़ी धड़ी क़ाज़ी के सर पड़ी
पराई बला अपने सर पड़ी, दूसरे की परेशानी उठानी पड़ी, किसी काम की भलाई एवं बुराई मुख्य आदमी के सर आ कर पड़ती है
आधे क़ाज़ी क़ुदवा और आधे बावा-आदम
उस व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो अपने को सब से बढ़ चढ़ कर समझे और बड़े भाग का अधिकारी जाने (कहा जाता है कि एक क़ाज़ी क़ुदवा नाम के सत्तर या चौरासी बेटे थे, इस लिए अतिश्योक्ति के तौर पर ये उदाहरण प्रसिद्ध हो गई कि आधे हैं कुल मानव की संतान और आधे में क़ाज़ी क़ुदवा की संतान)
चूँ क़ज़ा आयद तबीब अब्ला शवद
جب موت آتی ہے طبیب اندھا ہو جاتا ہے یعنی جب موت کا وقت آجاتا ہے تو طبیب کی بھی عقل ناکارہ ہو جاتی ہے، موت کا کوئی علاج نہیں اس وقت حکیم بھی بے وقوف بن جاتا ہے
क़ाज़ी की दाढ़ी तबरुक में गई
जब कोई अच्छी शैय देखते देखते या मुफ़्त में ख़राब हो जाती है तो ये मक़ूला कहते हैं
तन्हा पेश क़ाज़ी रवी राज़ी शवी
تنہائی میں قاضی کے سامنے جو چاہو سو بیان دیدو اور جس طرح چاہو اسے مطمئن کردو ، ایسے موقع پر بولتے ہیں جب معاملہ یک طرفہ پیش ہو اور فریق ثانی کو جواب دبی یا صفائی کا موقع نہ ہو
क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरा, कोई न आया
बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता
क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया
बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता
वक़्त क़ज़ा होना
समय का गुज़रना, (विशेषतः किसी कर्तव्य की अदाई का) प्रार्थना आदि का समय गुज़र जाना, वक़्त बीतना
तन्हा पेश क़ाज़ी रवी राज़ी आई
تنہائی میں قاضی کے سامنے جو چاہو سو بیان دیدو اور جس طرح چاہو اسے مطمئن کردو ، ایسے موقع پر بولتے ہیں جب معاملہ یک طرفہ پیش ہو اور فریق ثانی کو جواب دبی یا صفائی کا موقع نہ ہو
दो दिल राज़ी तो क्या करे क़ाज़ी
फ़रीक़ैन की रजामंदी में हाकिम दख़ल नहीं दे सकता, दो शख़्स मुत्तफ़िक़ हूँ तो तीसरा नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता
दो दिल राज़ी तो क्या करेगा क़ाज़ी
दो पक्षों की सहमति में हाकिम दख़्ल नहीं दे सकता, दो व्यक्ति सहमत हों तो तीसरा व्यक्ति नुक़सान नहीं पहुँचा सकता
जब दो दिल राज़ी तो क्या करेगा क़ाज़ी
दो पक्षों की सहमति में हाकिम दख़्ल नहीं दे सकता, दो व्यक्ति सहमत हों तो तीसरा व्यक्ति नुक़सान नहीं पहुँचा सकता
क़ाज़ी जी दुबले क्यों शहर का अंदेशा
जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला
क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया
जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं
क़ाज़ी जी क्यों दुबले शहर के अंदेशे से
जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला
नमाज़ क़ज़ा करना
निर्धारित समय पर फ़र्ज़ नमाज़ पर न पढ़ना, नमाज़ का वक़्त गुज़ार देना या नमाज़ सिरे से अदा ही न करना, नमाज़ छोड़ देना
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